कोविड-19 महामारी के बीच भारत ने नए कोरोना वायरस की जांच का दायरा बढ़ाने के लिए दक्षिण कोरिया की एक कंपनी से बड़ा करार किया है। समाचार एजेंसी 'एएनआई' की रिपोर्ट के मुताबिक, सियोल स्थित भारतीय दूतावास और ‘मेसर्स ह्युमेसिस लिमिटेड’ कंपनी के बीच यह समझौता हुआ है। इसके तहत इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर को पांच लाख रैपिड टेस्टिंग किट की सप्लाई करने पर सहमति बनी है। बताया जा रहा है कि भारत में कोरोना वायरस के मामलों को और बढ़ने से रोकने के लिए यह समझौता अहम भूमिका निभाएगा।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन पांच लाख किट को चार अलग-अलग किस्तों (कन्साइनमेंट) में मुहैया कराया जाएगा। समझौते के तहत भारत को टेस्टिंग किट की पहली खेप 30 अप्रैल तक मिलेगी। दक्षिण कोरिया में भारत की राजदूत श्रीप्रिया रंगनाथन ने बताया कि इस डील के बाद भारत की कोविड-19 का परीक्षण करने की क्षमता बढ़ेगी, जो कोरोना वायरस से जंग में एक ‘बड़ा हथियार’ है। भारतीय राजदूत ने कहा कि खरीदी गई सभी टेस्टिंग किट प्रमाणित हैं और निर्यात की जा सकती हैं। उन्होंने कहा सभी किट की गुणवत्ता की भी जांच की जा सकती है। रंगनाथन के मुताबिक, भारतीय दूतावास ने जिस कोरियाई कंपनी के साथ समझौता किया है, वह पहले से ही भारत में डायग्नोस्टिक टेस्टिंग किट के उत्पादन के लिए कच्चे माल की सोर्सिंग कर रही है।
बता दें कि बीते कुछ हफ्तों में भारत की निजी कंपनियों के अलावा सरकारी एजेंसियों को दक्षिण कोरिया की अलग-अलग कंपनियों से साढ़े चार लाख टेस्टिंग किट (आरटी- पीसीआर और एंटीबॉडी) मिली हैं। इन सरकारी एजेंसियों में केंद्र और राज्य सरकारों की एजेंसियां शामिल हैं।
भारत के लिए यह समझौता इस मायने में भी अहम है कि कभी चीन के बाद कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज दक्षिण कोरिया में थे, लेकिन अब यह देश इस मामले में कई देशों से बेहतर स्थिति में है। रिपोर्टें बताती हैं कि अब यहां प्रतिदिन नए मरीजों की संख्या अक्सर दस से नीचे भी रहती है। इसकी वजह है दक्षिण कोरिया का बहुत बड़े स्तर पर टेस्टिंग किट का इस्तेमाल करना। इसके लिए उसने सभी संदिग्धों की पहचान की और हरेक का टेस्ट सुनिश्चित किया। यही कारण है कि आज दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या दस हजार से कुछ ही ज्यादा है और इस मामले में वह अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ-साथ कई एशियाई देशों से भी बेहतर स्थिति में है।