कोविड-19 बीमारी की जांच के लिए भारत में तैयार किया गया एक टेस्ट हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है। पेपर स्ट्रिप आधारित इस टेस्ट का नाम भारत के महान फिल्ममेकर सत्यजित राय द्वारा रचित जासूसी किरदार 'फेलूदा' के नाम पर रखा गया है। इस टेस्ट को बनाने वालों का दावा है कि बहुत सस्ती लागत में तैयार हुआ यह टेस्ट केवल एक घंटे के अंदर परिणाम देकर बता सकता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस है या नहीं। 'फेलूदा' के सामने आने के बाद यह बहस छिड़ गई है कि क्या यह टेस्ट भारत में कोविड-19 की तेज और बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जरूरत को पूरा कर सकता है।

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केंद्र सरकार की संस्था के तहत हुआ तैयार
इस टेस्ट को दिल्ली स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलजी (सीएसआईआर) के दो वैज्ञानिकों डॉ. सौविक मैती और डॉ. देबज्योति चक्रवर्ती ने तैयार किया है। यहां बता दें कि सीएसआईआर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक शाखा है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री और उपाध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री होते हैं।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 'फेलूदा' आरटी-पीसीआर और एंटीबॉडी टेस्ट से बिल्कुल अलग है। इसमें जीन एडिटिंग से जुड़ी आधुनिक तकनीक 'क्रिस्प्र-कैस9' (Crispr-Cas9) का इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीक नए कोरोना वायरस के जेनोमिक सीक्वेंस को आईडेंटिफाई करने के काम आती है। इससे किसी संदिग्ध मरीज में वायरस के होने या नहीं होने का पता चलता है।

फेलूदा की टेस्ट किट प्रेग्नेंसी का पता करने के लिए इस्तेमाल होने वाली किट की तरह होती है। इसमें दो पेपर स्ट्रिप होते हैं। इनका इस्तेमाल अन्य कोविड-19 टेस्टों की अपेक्षा ज्यादा आसान है। फिलहाल डॉ. सौविक और डॉ. देबज्योति कुछ लोगों का टेस्ट कर इस किट की सटीकता के साथ इसका रेस्पॉन्स जानने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि अगले एक हफ्ते में उनके द्वारा बनाए गए टेस्ट को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद से मंजूरी मिल जाएगी।

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सस्ता और आत्मनिर्भर
फेलूदा टेस्ट न केवल अन्य टेस्टों की अपेक्षा ज्यादा जल्दी परिणाम दे सकता है, बल्कि यह ज्यादा किफायती और आत्मनिर्भर भी है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो इस टेस्ट की कीमत केवल 500 रुपये है, जबकि कोविड-19 के लिए सबसे सटीक माने जाने वाले आरटी-पीसीआर टेस्ट की परीक्षण लागत 4,500 रुपये है। इसके अलावा, अलग तकनीक के इस्तेमाल की वजह से फेलूदा को आरएनए को अलग करने, डीएनए के रूपांतरण (कन्वर्जन) और विस्तारण (एंप्लिफिकेशन) के लिए महंगी पीसीआर मशीनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, जिनकी आपूर्ति पहले से ही कम है।


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