भारत में कोविड-19 से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों को आम लोगों से सपोर्ट नहीं मिल रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने अपने एक बयान में यह संकेत दिया है। कोरोना वायरस संकट को लेकर मंगलवार को हुई दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईसीएमआर निदेशक ने कहा कि गैर-जिम्मेदार लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक प्रकार से पालन कर रहे हैं। ये दोनों नियम कोविड-19 को और फैलने से रोकने में कारगर माने जाते हैं। लेकिन यह देखने में आया है कि कई लोग अभी भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। बलराम भार्गन ने कहा कि इससे भारत में कोरोना वायरस महामारी फैल रही है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रेस ब्रीफिंग के दौरान आईसीएमआर प्रमुख ने कहा, 'मैं यह तो नहीं कहूंगा कि ऐसे लोग युवा हैं या बुजुर्ग। मेरे विचार में गैर-जिम्मेदार कहना उचित होगा। कम सावधानी बरतने वाले लोग हैं जो मास्क नहीं पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रख कर भारत में महामारी को और बढ़ा रहे हैं।'

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कॉन्फ्रेंस के दौरान बलराम भार्गव ने यह जानकारी भी दी कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर आईसीएमआर ने राष्ट्रीय स्तर पर एक और सेरोलॉजिकल सर्वे करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि सितंबर के पहले हफ्ते तक इस सेरो सर्वे को पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, पिछले सेरो सर्वे को लेकर भार्गव ने कहा कि उससे जुड़े पेपर की समीक्षा हो गई है। आईसीएमआर महानिदेशक ने बताया कि इस हफ्ते के अंत में यह पेपर संस्थान के तहत आने वाली मेडिकल पत्रिका इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हो सकता है। वहीं, अन्य सेरो सर्वे पर उन्होंने कहा, 'ज्यादातर सेरो सर्वे में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। इन बड़े सर्वेक्षणों में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी और टी सेल की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन नहीं किया जा रहा है। सेरो सर्वे से हमें यह जानने में मदद मिलती है कि हम महामारी के कौन से चरण में हैं और लोगों के स्वास्थ्य और कनटेंमेंट जोन घोषित इलाकों को ध्यान में रखते हुए कौन से कदम उठाने की जरूरत है।'

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सेरोलॉजिकल सर्वे क्या है?
किसी रोगाणु या एंटीजन के खिलाफ मानव शरीर का इम्यून सिस्टम जब काम करना शुरू करता है तो इससे संबंधित रोगाणु के संक्रमण को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज या रोग प्रतिरोधक स्वयं को रोगाणुओं से अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। सेरोलॉजिकल टेस्ट शरीर में इन्हीं एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया जाने वाला परीक्षण है। यह टेस्टिंग जब बड़े पैमाने पर अंजाम की जाती है, यानी जब किसी अभियान के तहत सैकड़ों-हजारों लोगों के ब्लड टेस्ट लेकर उनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है तो उसे सेरोलॉजिकल या सेरो सर्वे कहते हैं। यह सर्वे एंटीबॉडी के अलावा एंटीजन की पहचान करने के लिए भी किए जाते हैं।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें गैर-जिम्मेदार लोग मास्क न पहनकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करके कोविड-19 महामारी को बढ़ा रहे हैं: आईसीएमआर प्रमुख है

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