इस नए कोरोनो वायरस संक्रमण के वैश्विक प्रकोप से दुनिया भर में अब तक 10 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। इतना ही नहीं संक्रमण के चलते अब तक 47,000 से अधिक मौतें भी हो चुकी हैं। बीमारी से मुकाबले को लेकर सभी देश प्रयास में लगे हैं। इस दौरान पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में भी ठहराव देखने को मिल रहा है। अप्रैल के शुरुआती हफ्ते के आंकड़ों के अनुसार भारत में भी कोविड-19 पीड़ितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत तक भारत में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। 2 अप्रैल 2020 तक देश में कोविड-19 के 2,032 ऐक्टिव मामले सामने आ चुके हैं और 50 मौतें भी हो चुकी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा इस महामारी को कम करने के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी लोगों को फिजिकल डिस्टेंसिंग (पहले की शब्दावली सोशल डिस्टेंसिंग की जगह अब फिजिकल डिस्टेंसिंग) का पालन करना चाहिए, साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह साफ और सैनिटाइज करना चाहिए, व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक स्थानों पर जाते वक्त मास्क पहनना चाहिए। इसके अलावा संक्रमण को रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपाय यानी घर पर ही रहकर देशव्यापी लॉकडाउन का पालन करना चाहिए।
11 मार्च 2020 को जैसी ही मामले की गंभीरता को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया वैसे ही बाजारों से हैंड सैनिटाइजर और मास्क गायब होने लगे। भारत में भी इसी तरह के मामले सामने आए। हालांकि बाद में सरकार ने इन सामानों की जमाखोरी करने वाले के खिलाफ कार्यवाई करने की बात कही तो फिर से केमिस्ट की दुकानों में यह वापस मिलने शुरू हुए। बावजूद इसके बाजार में अब भी मास्क की आपूर्ति कम ही है जिसने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। असल में इन लोगों को संक्रमित रोगियों की सेवा में लगाया गया है, ऐसे में मास्क की कमी ने संक्रमण के खतरे को बढ़ा दिया है।
मास्क की कमी को देखते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आम जनता के लिए एक नई तरकीब सुझाई है। 31 मार्च को, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने इस कमी से निपटने के लिए घर पर ही मास्क बनाने का काम शुरू करने का सुझाव दिया है।