भारत में कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए जिन 14 वैक्सीनों पर काम चल रहा है, उनमें से चार के अगले तीन से पांच महीनों में क्लिनिकल ट्रायल की स्टेज पर पहुंचने की संभावना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी। एक ऑनलाइन बातचीत में हर्षवर्धन ने कहा कि दुनियाभर में इस समय 100 से ज्यादा वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से कुछ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहयोग भी दे रहा है। हर्षवर्धन ने कहा कि जो लोग इस दिशा में काम कर रहे हैं, उन्हें वित्तीय सहायता और नियामक संबंधी क्लियरेंस दिए जाएंगे।

(और पढ़ें - कोविड-19 से जुड़ा रहस्यमय सिंड्रोम बच्चों के बाद अब युवाओं में भी दिखा)

अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, बातचीत में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'भारत भी इस प्रयास में अपना योगदान दे रहा है। हमारे यहां 14 वैक्सीनों पर अलग-अलग लेवल पर काम चल रहा है। इंडस्ट्री और विद्वान जगत इसमें सहयोग कर रहे हैं और हमारा विज्ञान मंत्रालय इस तरह के प्रयासों में लगे बायोटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट की मदद कर रहा है।'

हाल में डब्ल्यूएचओ के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के अध्यक्ष पद का भार संभालने वाले हर्षवर्धन ने आगे कहा, '14 में से चार वैक्सीन कैंडिडेट अगले तीन-पांच महीनों में क्लिनिकल ट्रायल की स्टेज में जा सकती हैं। फिलहाल वे प्री-क्लिनिकल ट्रायल फेज में हैं।' केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'यह बता पाना मुश्किल है कि (कोविड-19) की वैक्सीन कब आएगी। लेकिन एक डॉक्टर के रूप में मैं इतना कह सकता हूं कि इस प्रक्रिया में एक वर्ष का समय लगेगा। जब तक वैक्सीन विकसित नहीं कर ली जाती, तब तक लोगों को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सोशल वैक्सीन अपनाने चाहिए।'

(और पढ़ें - कोविड-19: इलेक्ट्रोस्यूटिकल फैब्रिक से बने पीपीई कोरोना वायरस से सुरक्षा देने में ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं- शोधकर्ता)

वैक्सीन के बनने को लेकर जो जानकारी स्वास्थ्य मंत्री ने दी, उसे हाल में कुछ अन्य विशेषज्ञों ने भी दोहराया है। उनका कहना है कि भारत में एक साल से पहले कोविड-19 की वैक्सीन बनाने की दिशा में कोई बड़ी कामयाबी हाथ लगने की संभावना नहीं है। उनका कहना है कि देश में अभी यह काम अपने शुरुआती दौर में ही है, लिहाजा एक साल से पहले कोई बड़ा ब्रेकथ्रू मिलना मुश्किल है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाली कई फर्में कोविड-19 की वैक्सीन बनाने के प्रयास में जुटी हैं। इस सिलसिले में पीएम केयर्स फंड ट्रस्ट ने सौ करोड़ रुपये आवंटित करने का भी फैसला किया है। इस पूरे प्रयास के केंद्र में बायोटेक्नॉलजी विभाग है। केंद्र सरकार के अधीन यह एजेंसी वैक्सीन के डेवलेपमेंट के लिए अन्य फर्मों के साथ मिल कर काम कर रही है।

(और पढ़ें - कोविड-19: 'कोरोना वायरस सतहों के जरिये आसानी से नहीं फैलता', सीडीसी की इस गाइडलाइन से अमेरिका में हंगामा क्यों बरपा?)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें भारत में कोविड-19 की वैक्सीन कम से कम एक साल से पहले नहीं बन पाएगी, विशेषज्ञों से लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन तक ने दिए संकेत है

ऐप पर पढ़ें