भारत में अगस्त महीने तक हर 15 लोगों में से एक व्यक्ति कोरोना वायरस की चपेट में आ चुका था। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा अगस्त महीने में किए गए दूसरे राष्ट्रीय सेरोलॉजिकल सर्वे के परिणामों के आधार पर सरकार ने यह जानकारी दी है। इसमें सरकार ने कहा है कि अगस्त 2020 तक देश में दस साल से ज्यादा उम्र के हर 15 लोगों में से एक कोविड-19 से ग्रस्त हो गया था। सर्वे को लेकर आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि 17 अगस्त से 22 सितंबर के बीच हुए इस सर्वेक्षण में 29,082 लोगों के सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 6.6 प्रतिशत सेरोपॉजिटिव निकले हैं। यानी ये 1,919 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित होकर इसके खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर चुके थे।

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सर्वे से जुड़ी जानकारी देते हुए डॉ. भार्गव ने बताया कि देश के शहरी इलाकों में अर्बन स्लम (झोपड़पट्टी) और अर्बन नॉन-स्लम इलाकों में सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण काफी ज्यादा है। इसकी अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में वायरस कम स्तर पर फैला है। इस बारे में सेरो-सर्वे रिपोर्ट कहती है, 'शहरी स्लम में (वायरस फैलने का) खतरा नॉन-स्लम एरिया की अपेक्षा दोगुना है और ग्रामीण इलाकों के मुकाबले यह खतरा चार गुना है। चूंकि आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी (वायरस को लेकर) संवेदनशील है, लिहाजा रोकथाम में ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए और 5टी (टेस्ट, ट्रैक, ट्रेस, ट्रीट एंड टेक्नोलॉजी) की रणनीति का पालन करना चाहिए।'

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खबरों के मुताबिक, आईसीएमआर का यह नया सर्वे वयस्क आबादी के 7.1 प्रतिशत हिस्से के कोविड-19 से प्रभावित होने का अनुमान जताता है। मई में हुए पहले नेशनल सेरोलॉजिकल सर्व के परिणामों से तुलना करने पर टेस्टिंग और डिटेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी होने का साफ पता चलता है। सर्वे से जुड़ी अन्य जानकारियां देते हुए आईसीएमआर के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कोविड-19 के खतरे में है। मंत्रालय ने आगामी फेस्टिवल सीजन, सर्दी और लोगों के बड़ी संख्या में इकट्ठा होने की संभावना के मद्देनजर राज्यों से कहा है कि वायरस के नियंत्रण से जुड़ी नई रणनीतियां लागू करना उनकी जिम्मेदारी है।

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सेरोलॉजिकल सर्वे क्या है?
किसी रोगाणु या एंटीजन के खिलाफ मानव शरीर का इम्यून सिस्टम जब काम करना शुरू करता है तो इससे संबंधित रोगाणु के संक्रमण को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज या रोग प्रतिरोधक स्वयं को रोगाणुओं से अटैच कर उन्हें निष्क्रिय कर देते हैं। सेरोलॉजिकल टेस्ट शरीर में इन्हीं एंटीबॉडी की मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया जाने वाला परीक्षण है। यह टेस्टिंग जब बड़े पैमाने पर अंजाम की जाती है, यानी जब किसी अभियान के तहत सैकड़ों-हजारों लोगों के ब्लड टेस्ट लेकर उनमें किसी संक्रामक रोग के खिलाफ पैदा हुए एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है तो उसे सेरोलॉजिकल या सेरो सर्वे कहते हैं। ये सर्वे एंटीबॉडी के अलावा एंटीजन की पहचान करने के लिए भी किए जाते हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: आईसीएमआर ने दूसरे सेरो सर्वे के परिणाम सामने रखे, अगस्त तक देश में हर 15 लोगों में से एक कोरोना वायरस से संक्रमित है

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