भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि जिस अध्ययन के हवाले से यह दावा किया जा रहा है कि भारत में कोविड-19 संकट नवंबर महीने में अपने चरम पर पहुंच होगा, उसे संस्थान द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया है। सोमवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से आईसीएमआर ने कहा, 'इस अध्ययन के संदर्भ में आईसीएमआर (की भूमिका) को लेकर गलत न्यूज रिपोर्ट हो रही है। इस अध्ययन में गैर-समीक्षा आधारित मॉडलिंग का हवाला दिया गया है, जिसे आईसीएमआर ने अंजाम नहीं दिया है और न ही यह आईसीएमआर का आधिकारिक रुख दर्शाता है।'

आईसीएमआर ने जिस न्यूज रिपोर्ट को लेकर यह स्पष्टीकरण दिया है, उसे प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने प्रकाशित किया था। इसमें अध्ययन के हवाले से बताया गया था कि भारत में नवंबर के मध्य में कोविड-19 संकट अपने चरम पर जा सकता है। पीटीआई के मुताबिक, इस अध्ययन के लिए आईसीएमआर ने फंड मुहैया कराया था। उधर, आईसीएमआर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दिए स्पष्टीकरण में फंडिंग को लेकर कोई बात नहीं कही है।

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क्या कहता है अध्ययन?
अध्ययन के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन लगाने के फैसले ने देश में कोविड-19 के सबसे घातक प्रभाव को रोक दिया है। अध्ययन में कहा गया है कि इस फैसले के चलते (नवंबर में कोरोना संक्रमण के चरम पर पहुंचने पर) बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्यगत ढांचे को तैयार करने का समय मिला है। अध्ययन के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते महामारी के सबसे घातक प्रकोप को आगे धकेल दिया गया और इससे कोविड-19 के चरम पर जाने में 34 से 76 दिनों की देरी हुई है। इससे सरकार को हेल्थकेयर सिस्टम को बेहतर करने में मदद मिली है। समाचार एजेंसी ने यह भी बताया था कि इस अध्ययन की समीक्षा नहीं की गई है। उसके मुताबिक, आईसीएमआर द्वारा गठित 'ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रुप' के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को अंजाम दिया है।

हालांकि सूत्रों के हवाले से आई कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस अध्ययन में कई कमियां हैं और आईसीएमआर ने इसे प्रमाणित नहीं किया है। सूत्रों ने उदाहरण देते हुए बताया कि अध्ययन में कहा गया है कि बीती छह मई तक (लॉकडाउन के छठवें हफ्ते के अंत में) देश में कोविड-19 के पांच लाख से ज्यादा केस हो गए थे, जबकि अब तक देश में सामने आए कोरोना वायरस के कुल मरीजों की संख्या ही 3.32 लाख है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें 'नवंबर में कोविड-19 के चरम पर होने का दावा करने वाले अध्ययन को आईसीएमआर से जोड़ना गलत' है

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