देश-दुनिया में कोविड-19 महामारी की रोकथाम और बचाव के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं। बावजूद इसके विश्वभर में हर दिन लाखों मामले सामने आ रहे हैं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में अब तक करीब साढ़े तीन करोड़ लोग कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं जबकि इसमें से ही 10 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। हैरानी की बात है कि वायरस की रोकथाम के बावजूद यह स्थिति है जो यह बताती है कि कोरोना संक्रमित देशों की सूची में अमेरिका पहले और भारत दूसरे पायदान पर है। यही वजह है कि अब हर किसी को सिर्फ एक प्रभावी वैक्सीन की आस है।

हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना हैं कि वैक्सीन के लिए अभी कुछ महीनों का इंतजार और करना पड़ सकता है। इस स्थिति में वायरस से बचाव के तौर पर सभी लोग फेस मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना और हाथों की सफाई का ध्यान रखना- इन ऐहतियाती कदमों को ही महत्व दे रहे हैं। लेकिन सवाल है कि जो लोग फेफड़े के रोग से ग्रसित हैं उनके लिए मास्क लगाना कितना प्रभावी और उचित है? 

दरअसल फेस कवर या मास्क लगाने के बाद नाक और मुंह पूरी तरह ढंक जाते हैं। लिहाजा संदेह की स्थिति पैदा होती है कि मास्क लगाकर सांस लेते वक्त कहीं व्यक्ति दोबारा कार्बन डाइऑक्साइड तो सांस के जरिए शरीर के अंदर नहीं ले रहा, कहीं शरीर में ऑक्सीजन की कमी तो नहीं हो जाएगी। हालांकि एक रिसर्च के माध्यम से शोधकर्ताओं ने इस सवाल का जवाब देते हुए यह दावा किया है कि मास्क लगाने से “कार्बन डाइऑक्साइड विषाक्तता” का कोई खतरा नहीं है।

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मास्क लगाने से फेफड़े के रोगी को कोई खतरा नहीं
अमेरिका स्थित शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के तहत बताया है कि उन्हें ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे यह पता चलता हो कि मास्क लगाने से फेफड़ों के रोगियों को किसी तरह का नुकसान पहुंचता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका “एनल्स ऑफ द अमेरिकन थोरैसिक सोसायटी” में प्रकाशित रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके अध्ययन के आंकड़ों से सर्जिकल मास्क के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में किसी भी आशंका को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही इस एहतियाती उपाय से लोग मास्क पहनने का पालन करेंगे जिससे नए कोरोना वायरस के जोखिम को कम किया जा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन का उद्देश्य मास्क से जुड़ी लोगों की चिंताओं को दूर करना था और इसी हिसाब से इस रिसर्च को डिज़ाइन किया गया था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि नाक और मुंह पर मास्क लगाने के दौरान सांस लेने पर कार्बन डाइऑक्साइड शरीर में नहीं जाती। साथ ही ऑक्सीजन की कमी भी महसूस नहीं होती है।

कैसे की गई थी रिसर्च?
रिसर्च के तहत शोधकर्ताओं ने सर्जिकल मास्क का उपयोग करने से पहले और बाद में स्वस्थ व्यक्तियों और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रोगियों के बीच गैस एक्सचेंज यानी ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में परिवर्तन का आंकलन किया। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी हॉस्पिटल के एक पल्मोनरी मेडिसिन विशेषज्ञ और रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता माइकल कैम्पोस का कहना है  "इस आंकलन से हमने पाया कि फेफड़ों के गंभीर रोगियों में भी इस तरह का प्रभाव बेहद कम था।"

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शोधकर्ताओं ने 15 स्वस्थ व्यक्तियों और 15 सीओपीडी रोगियों को छह मिनट की वॉक टेस्ट लेने के लिए कहा। डॉक्टरों का कहना है कि छह मिनट के वॉक टेस्ट में गंभीर सीओपीडी वाले मरीजों में उम्मीद के मुताबिक ऑक्सीज़न में कमी आई थी। हालांकि, उम्मीद के अनुरूप सीओपीडी के मरीजों को सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन ओवरऑल इस समूह के लोगों में गैस एक्सचेंज के कारण कोई शारीरिक बदलाव देखने को नहीं मिला। विशेष रूप से कार्बन डाइऑक्साइड प्रतिधारण में। शोधकर्ताओं का मानना है कि रिसर्च का सैंपल साइज छोटा जरूर था, लेकिन उनके निष्कर्षों से पता चलता है कि "नियमित रूप से गैस विनिमय में प्रासंगिक शारीरिक परिवर्तनों पर सर्जिकल मास्क का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला।

फेफड़ों के रोगियों के लिए मास्क जरूरी- विशेषज्ञ
चेस्ट विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि फेफड़े की बीमारी वाले मरीजों को विशेष रूप से संक्रमित होने से बचना चाहिए । इसके लिए फेस मास्क का इस्तेमाल, हाथों की स्वच्छता और भीड़ से बचने के उपयोगों को शामिल किया जाना चाहिए। चूंकि पहले से ही फेफड़ों की बीमारी के चलते उन्हें कोविड-19 बीमारी से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा अधिक होता है।

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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वाराणसी में एक वरिष्ठ श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञ जय कुमार सामरिया की मानें तो, "मास्क कई तरह से मदद करते हैं और वे कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण नहीं करते। गैस एक्सचेंज मास्क के माध्यम से होता है। लोगों को यह जानने की जरूरत है। वायरस की मात्रा को कम करने में मास्क की महत्वपूर्ण भूमिका है जिसे सांस के जरिए शरीर के अंदर लिए जाने का खतरा हो सकता है। साथ ही मास्क वायरस की मात्रा को कम रखने में मदद करता है।"


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: फेस मास्क पहनने से फेफड़ों के रोगियों को नहीं होगा कोई नुकसान- रिसर्च है

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