अफ्रीका महाद्वीप (54 देश) में नए कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने अब तक करीब 30,000 लोगों को संक्रमित किया है। इनमें से 1,300 से ज्यादा की मौत हो चुकी है। उत्तरी अमेरिका (23 देश) और यूरोप (44 देश) महाद्वीपों के मुकाबले ये आकंड़े काफी कम कहे जा सकते हैं। हालांकि, इसके बावजूद अफ्रीका में कोविड-19 के फैलने का डर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत दुनिया के कई विकसित देशों को सता रहा है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। पहली यह कि बीते एक हफ्ते में अफ्रीका में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, दूसरा डर इसी वृद्धि के चलते पैदा हुआ है। दरअसल, डब्ल्यूएचओ और अफ्रीका में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों को डर है कि अगर यहां कोरोना वायरस बड़े पैमाने पर फैलता है तो उससे पैदा होने वाले मानवीय संकट का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
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स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत बेहद खराब
इस अंदेशे का कारण यह है कि अफ्रीका में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बदतर है। आलम यह है कि 54 देशों में से 18 ऐसे हैं, जहां वेंटिलेटर की संख्या सौ से भी कम है। वहीं, सात अफ्रीकी देश ऐसे हैं जिनके पास दस वेंटिलेटर भी नहीं हैं, जबकि इन सभी की आबादी लाखों में हैं। अमेरिका के चर्चित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
वह, अल जजीरा 'अफ्रीका सेंटर्स फॉर डिसीज एंड कंट्रोल' के निदेशक जॉन केनगासोंग के हवाले से बताता है कि अफ्रीका मेडिकल उपकरणों की उपलब्धता के मामले में 'भयावह रूप से' से दुनिया से पीछे है। जॉन की मानें तो दस अफ्रीकी देशों के पास कोई वेंटिलेटर तक नहीं है। वहीं, टेस्टिंग इतनी कम हो रही है कि अंदाजा लगाना संभव नहीं है कि असल में अफ्रीका में कितने लोग कोविड-19 से पीड़ित हैं। ऐसे में कोविड-19 संकट के संदर्भ में अफ्रीका का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वहां चिकित्सा सुविधाओं और उपकरणों की आपूर्ति कैसी रहती है।
डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में मुहिम की शुरुआत
शायद यही वजह है कि अब डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व में दुनिया के कुछ विकसित देश कोविड-19 की टेस्टिंग, दवा और वैक्सीन के साझा वैश्विक वितरण के लिए आगे आए हैं। इस मुहिम का मकसद नए कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी और सुरक्षित वैक्सीन, ड्रग और टेस्टिंग तैयार करना और समाज के हर वर्ग तक उनका समान वितरण सुनिश्चित करना है।
इस अभियान को लेकर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने कहा है कि पूरी दुनिया इस समय एक समान खतरे का सामना कर रही है, जिसे समान प्रयास के साथ ही खत्म किया जा सकता है। वहीं, यूरोपियन कमिशन की अध्यक्ष उर्सुला वोन डे लियेन ने कहा कि इस काम के लिए मई महीने में 8.10 बिलियन डॉलर (61,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल शुरुआती प्रयास है, आगे और भी मदद की जाती रहेगी।