विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 के 80 प्रतिशत मामले माइल्ड यानी हल्के संक्रमण वाले होते हैं, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती। कोविड-19 के हल्के लक्षणों की बात करें तो इसमें मरीज को थकान, बुखार, बेचैनी, खांसी- सूखी खांसी या बलगम वाली, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, नाक में कंजेशन, सिरदर्द और एनोरेक्सिया जैसी समस्याएं महसूस होती हैं।

वैसे तो कोविड-19 के हल्के संक्रमण के मामले में भी सही इलाज करवाना बेहद जरूरी है, ताकि बीमारी को और बढ़ने व शरीर में किसी तरह की जटिलता पैदा करने से रोका जा सके। लेकिन कोविड-19 के हल्के संक्रमण के मामले में इलाज के साथ-साथ आप कुछ बेहद आसान घरेलू नुस्खों को भी अपना सकते हैं ताकि बीमारी के लक्षणों को संभालने में मदद मिल सके। 

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चूंकि कोविड-19 एक नई बीमारी है इसलिए किसी भी तरह के नुस्खे को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें। 

  1. कोविड-19 के लिए घरेलू उपाय
  2. इन बातों का भी रखें ध्यान
कोविड-19 का हल्का संक्रमण हो तो इलाज के साथ इन घरेलू नुस्खों को भी अपनाएं के डॉक्टर

अगर आपको कोविड-19 के बेहद हल्के संक्रमण का पता चला है तब भी सबसे जरूरी यही है कि आप खुद को आइसोलेट करें और फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें। ऐसा करने से बीमारी को और फैलने से रोका जा सकता है। साथ ही साथ अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी तरह की सलाह को मानें और दवाइयों का सेवन करना न भूलें। इस बीमारी से छुटकारा पाने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह है- सही इलाज। इलाज के साथ-साथ आप इन घरेलू उपायों को भी अपना सकते हैं ताकि कोविड-19 के लक्षणों को मैनेज करने में मदद मिल सके। (डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही)

(और पढ़ें: कोविड-19 के इलाज को लेकर चर्चा बटोर रही रेमडेसिवियर दवा से जुड़े सवालों के जवाब)

 

भाप को श्वास के जरिए अंदर लेना

छाती या सीने में कफ जमने (कंजेशन) का सबसे बेहतर और जांचा-परखा नुस्खा है भाप लेना। गर्म भाप को जब श्वास के जरिए शरीर के अंदर लिया जाता है तो इससे सीने में जमा बलगम ढीला होने लगता है और खांसी के जरिए शरीर से बाहर निकलने लगता है। सिवियर एक्यूट लोअर रेस्पिरेटी ट्रैक्ट इंफेक्शन से पीड़ित 26 मरीजों पर की गई एक पायलट स्टडी में यह बात सामने आयी थी कि भाप को श्वास के जरिए अंदर लेने से इस बीमारी के लक्षणों को सुधारने में मदद मिलती है।

स्टडी में शामिल मरीजों में से 16 को ब्रॉन्कियोलाइटिस (फेफड़ों का इंफेक्शन जिसमें श्वसननलिका में सूजन और जलन होने लगती है) था और 20 मरीजों को निमोनिया था। सभी मरीजों को स्टीम थेरेपी दी गई थी या तो कपड़े के टेंट के जरिए या फिर कंट्रोल के जरिए। हालांकि भाप लेने से निमोनिया की गंभीरता कम नहीं हुई थी लेकिन श्वसननलिका में मौजूद सूजन-जलन (इन्फ्लेमेशन) जरूर कम हो गया। श्वसननलिका (ब्रॉन्क्यिोल्स) फेफड़ों में मौजूद छोटे-छोटे वायु-मार्ग होते हैं।

ब्रॉन्कियोलाइटिस से पीड़ित मरीजों में हाइपोक्सिया के लक्षणों में जरूर कमी देखने को मिली। हालांकि बाद की स्टडीज में यह बात सामने आयी कि स्टीम थेरेपी के प्रभावी होने के बहुत ज्यादा सबूत नहीं मिले हैं। बावजूद इसके स्टीम थेरेपी के अब तक कोई हानिकारक प्रभाव सामने नहीं आए हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर आपको इसकी परमिशन दे देते हैं तो आपको कोविड-19 में नाक या छाती में जमा बलगम (कंजेशन) को दूर करने में भाप का इस्तेमाल करना चाहिए। कैसे करना है यहां जानें:

इसके लिए आपको क्या चाहिए:

  • एक कटोरा
  • पानी
  • पैन

भाप लेने की प्रक्रिया:

  • पैन में थोड़ा पानी उबालें
  • कम से कम इतना पानी ताकि कुछ देर के लिए उसमें से भाप निकलता रहे।
  • उबले हुए पानी को कटोरे में निकालें और अगर यह भाप किसी बच्चे के लिए हो तो उसे थोड़ा ठंडा कर लें। अगर भाप बहुत ज्यादा गर्म होगा तो इससे वायुमार्ग को नुकसान पहुंच सकता है।
  • अब अपने सिर और गर्दन को किसी मोटे कपड़े या तौलिए से ढंक लें ताकि आपकी नाक गर्म भाप की तरफ हो।
  • अपने सिर को इस तरह से तौलिए से ढंकें ताकि भाप बाहर न निकल पाए।
  • अब इस गर्म भाप को सांस के जरिए शरीर के अंदर लें
  • जहां तक संभव हो गहरी सांस लें लेकिन खुद को तनाव न दें।
  • इस प्रक्रिया को कुछ मिनट तक जारी रखें और दिन में करीब 2-3 बार भाप लेने की प्रक्रिया को दोहराएं।
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पानी पिएं

हमारा शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना हुआ है। शरीर के अलग-अलग तरह के चयापचयी (मेटाबॉलिक) क्रियाओं को बेहतर तरीके से जारी रखने के लिए पानी की जरूरत होती है। साथ ही पानी पीने से शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को भी बाहर निकालने में मदद मिलती है। यह बात वैज्ञानिक तौर पर साबित हो चुकी है कि पर्याप्त जलयोजन यानी हाइड्रेशन, शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। एक्सपर्ट्स की मानें तो शरीर में मौजूद तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने के लिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी पीना जरूरी है।

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लिहाजा खुद को हाइड्रेटेड रखें और खूब सारा पानी पीना न भूलें। शरीर में पानी के इन्टेक को बेहतर बनाए रखने के लिए आपको पानी के साथ-साथ फ्रूट जूस, सूप आदि का भी सेवन करना चाहिए। फल खाने से आपको फाइबर और जरूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं जो शरीर की सेहत को बनाए रखने के लिए जरूरी है। अगर आप सूप का सेवन करें तो बुखार और गले में दर्द जैसी समस्या में आराम मिल सकता है। स्टडीज में भी यह बात साबित हो चुकी है कि नाक में मौजूद वायु मार्ग की बाधा को दूर कर बेहतर बनाने में गर्म तरल पदार्थ, ठंडे तरल पदार्थ की तुलना में ज्यादा बेहतर साबित होते हैं। इतना ही नहीं अगर आपको ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण हो जाए तो उसमें भी चिकन सूप पीना गर्म या ठंडे पानी की तुलना में ज्यादा बेहतर साबित हो सकता है।

गर्म पानी से नहाएं

गर्म पानी से नहाने का आपके शरीर पर ठीक वैसा ही असर होता है जैसा भाप को श्वास के जरिए शरीर के अदंर लेने का। स्टडीज में भी यह बात साबित हो चुकी है गर्म पानी में डुबकी लगाने से (40 डिग्री सेल्सियस के आसपास) वाहिकाप्रसरण (वैसोडिलेशन) की प्रक्रिया होती है जिससे शरीर के उत्तकों को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई बेहतर तरीके से हो पाती है। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में भी मदद मिलती है। गर्म पानी से नहाने का पूरा फायदा आपको मिले इसके लिए आप चाहें तो हॉट शावर ले सकते हैं, सॉना बाथ ले सकते हैं या गर्म पानी के टब में पानी भरकर नहा सकते हैं।

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एक्सरसाइज करें

पीयर-रिव्यूड जर्नल एक्सरसाइज और स्पोर्ट साइंसेज रिव्यूज में प्रकाशित एक स्टडी की मानें तो मध्यम तीव्रता की एक्सरसाइज करने से श्वसन पथ से जुड़े वायरल इंफेक्शन के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इस तरह की एक्सरसाइज करने से वायरस के खिलाफ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। शरीर के इन्फ्लेमेशन को कम कर टीएच1 रेस्पॉन्स को चेंज करके टीए2 रेस्पॉन्स बनाने में मदद मिलती है। लंबे समय तक टीएच1 की वजह से रेस्पिरेटरी वायरल इंफेक्शन डैमेज हो सकता है। कम तीव्रता वाले एक्सरसाइज हैं- ब्रिस्क वॉकिंग, साइक्लिंग, बैडमिंटन खेलना या फिर कई तरह की ऐक्टिविटीज जैसे- घर की सफाई करना और झाड़ू पोछा लगाना।

श्वास संबंधी एक्सरसाइज

अमेरिकन लंग एसोसिएशन (एएलए) ने सुझाव दिया है कि श्वास संबंधी एक्सरसाइज करने से लंबे समय से चली आ रही फेफड़ों की बीमारी में आराम मिल सकता है। एएलए की की मानें तो होंठों को सिकोड़ कर कई गई ब्रीदिंग (पर्स्ड ब्रीदिंग) और डायफ्राम ब्रीदिंग के जरिए फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है, वायु मार्ग खुल जाते हैं और आपको सांस लेने में मदद मिलती है। कैसे की जाती है ये 2 एक्सरसाइज जानें:

पर्स्ड ब्रीदिंग

  • नाक से सांस अंदर लें
  • अपने होंठों को सिकोड़ कर रखें और फिर जिस तेजी से सांस को अंदर लिया था उससे दोगुनी स्पीड से बाहर निकालें

डायफ्राम ब्रीदिंग

  • नाक से सांस अंदर लें
  • गहरी सांस लें ताकि आपका पेट भी सांस से भर जाए। अपने हाथ को पेट पर रखें ताकि आप नोटिस कर पाएं कि पेट में सांस भरी या नहीं
  • अब आराम से अपने मुंह से सांस बाहर निकालें। आप जिस स्पीड से सांस को बाहर निकाल कर रहे हैं वह सांस अंदर खींचने की तुलना में 2-3 गुना ज्यादा होना चाहिए।

इसके साथ-साथ आप अपने फेफड़ों के फंक्शन्स को बेहतर बनाए रखने के लिए प्राणायाम भी कर सकते हैं।स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि योग के जरिए श्वास लेने से श्वास संबंधी बीमारियां दूर करने में मदद मिलती है और फेफड़ों का फंक्शन भी बेहतर तरीके से हो पाता है। प्राणायाम में अनुलोम-विलोम, गहरी सांस लेना, भ्रामरी प्राणायाम आदि करने से फेफड़ों के फंक्शन बेहतर होते हैं खासकर उन मरीजों में जिन्हें ब्रॉन्काइल अस्थमा की समस्या हो। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें सांस लेने में मुश्किल होती है, सांस लेते वक्त घरघराहट की आवाज आती है और छाती में कसाव और खिंचाव महसूस होने लगता है।

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ऊपर बताए गए घरेलू उपायों के अलावा अगर आपको कोविड-19 का हल्का संक्रमण हो गया हो तो आपको इन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • पर्याप्त नींद लें और खूब सारा आराम करें।
  • अपने इम्यून सिस्टम को पूरी एनर्जी लेने दें ताकि संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सके।
  • स्वस्थ और संतुलित डाइट का सेवन करें।
  • अपनी मानसिक सेहत का भी ध्यान रखें। जहां तक संभव हो तनाव और बेचैनी से दूर रहें।

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संदर्भ

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