भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) द्वारा हाल में की गई एक सेरो-सर्विलेंस स्टडी में यह पता चला है कि कोविड-19 बीमारी की वजह बने कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ सामूहिक रोग-प्रतिकारक क्षमता यानी हर्ड इम्यूनिटी 'धीरे-धीरे' विकसित हो रही है। आईसीएमआर ने सेरो-सर्विलेंस के तहत कोई हजार लोगों का सर्वेक्षण किया था। पता चला कि उनमें से सात लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, लेकिन उनके शरीर ने संक्रमण को खत्म करने वाले एंडीबॉडी 'इम्यूनोग्लोबुलिन जी' (IgG) विकसित कर लिए थे। आईसीएमआर ने इसे हर्ड इम्यूनिटी के संकेत के रूप में लिया है।
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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कर्नाटक के बेंगलुरु अर्बन, कलबुर्गी और चित्रदुर्गा देश के उन 82 जिलों में शामिल हैं, जिनमें यह सेरो-सर्वे किया गया था। इसके तहत प्राप्त डेटा का बेंगलुरु स्थित श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्क्युलर साइंसेज एंड रिसर्च में अध्ययन किया गया। इसके बाद सामने आए परिणामों से यह संकेत मिलता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ धीरे-धीरे हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है। अखबार से बातचीत में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने खुद कहा, 'कई तथ्य संकेत देते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है, जो कि एक महत्वपूर्ण सुधार है।' आईसीएमआर प्रमुख के मुताबक, सेरो-सर्वे यह भी बताता है कि कोविड-19 उतनी जानलेवा नहीं है, जितनी की कई अन्य बीमारिया हैं। उन्होंने कहा, 'भारत में इसके संक्रमण की मृत्यु दर 0.08 प्रतिशत है, जबकि पूरी दुनिया में यह दर 0.02 प्रतिशत से 1.4 प्रतिशत के बीच है।'
वहीं, कर्नाटक के मेडिकल शिक्षा मंत्री के सुधाकर कर्नाटक में कोविड-19 के रिकवरी रेट में हुई बढ़ोतरी को रेखांकित करते हुए महत्वपूर्ण बात कहते हैं। उनकी मानें तो राज्य में कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों की दर 57 प्रतिशत से भी ज्यादा हो जाना इस बात को प्रमाणित करता है कि लोगों में वायरस के खिलाफ इम्युनिटी पैदा हुई है। के सुधाकर ने कहा, 'इससे साफ पता चलता है कि एंटीबॉडीज वायरस को खत्म कर रहे हैं।' अखबार के मुताबिक, हर्ड इम्युनिटी के धीरे-धीरे विकसित होने का ही नतीजा है कि अब कर्नाटक सरकार लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियां हटाने की योजना पर विचार कर रही है।
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