केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को कोविड-19 से संबंधित विस्तृत क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया गया है। यह प्रोटोकॉल आयुर्वेद और योग पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि कैसे कोरोना वायरस के असिम्प्टोमैटिक या हल्के लक्षणों वाले मरीज आयुर्वेद और योग के जरिये खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके अलावा, प्रोटोकॉल में पोस्ट-कोविड के दौरान आने वाली समस्याओं के मैनेजमेंट से जुड़ी जानकारी भी दी गई है। इसमें कहा गया है कि प्रोटोकॉल में दिए गए सुझाव तीन पहलुओं पर आधारित हैं: प्रयोगसिद्ध साक्ष्य और बायोलॉजिकल प्लॉजिबिलिटी; मौजूदा क्लिनिकल अध्ययनों का उभरता ट्रेंड; तथा आयुर्वेद का ज्ञान और क्लिनिकल प्रैक्टिस का अनुभव।

हालांकि प्रोटोकॉल में दिए गए सुझावों को लेकर यह भी कहा गया है कि ये केवल एक 'जनरल एडवाइजरी' के तहत दिए गए हैं, जिन्हें अप्लाई करते समय डॉक्टरों को अपने विवेक का इस्तेमाल करना होगा। प्रोटोकॉल के मुताबिक, फिजिशियन को बीमारी की स्थिति, लक्षणों की जटिलता और दवाओं की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सोच-समझकर ड्रग्स का चयन करना होगा।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मंगलवार को प्रोटोकॉल जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, 'यह प्रोटोकॉल (कोविड-19 बीमारी की) रोकथाम और रोगनिरोधी उपायों के मद्देनजर रिलीज किया गया है। यह न सिर्फ कोविड-19 के नियंत्रण के लिहाज से एक उल्लेखनीय कदम है, बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं का पारंपरिक ज्ञान से समाधान करने के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है।' प्रोटोकॉल में अलग-अलग प्रकार के व्यायामों का जिक्र किया गया है। इनमें शरीर को ढीला रख करने वाली एक्सरसाइज, श्वसन संबंधी व्यायाम, प्राणायाम और क्रिया को कोविड-19 की शुरुआती रोकथाम के लिहाज से बतौर योग प्रोटोकॉल शामिल किया गया है। उल्लिखित दिशा-निर्दशों की मानें तो श्वसन और हृदय की क्षमता बेहतर करने, तनाव और चिंता कम करने और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन व्यायामों को करना जरूरी है।

कोविड-19 को जिन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है और जो लोग संक्रमितों के सबसे पहले संपर्क में आते हैं, उनके लिए भी प्रोटोकॉल में रोगनिरोधी सुझाव दिए गए हैं। इनके मुताबिक, ऐसे लोगों को 'अश्वगंधा', 'गुड़ूची घन वटी' का सेवन करना चाहिए। इन औषधियों को 500 मिलीग्राम रस या एक से तीन ग्राम पाउडर के रूप में दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ लेने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, दिन में एक बार हल्के गर्म पानी या दूध के साथ 'च्यवनप्राश' लेने को भी कहा गया है।

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असिम्प्टोमैटिक मरीजों के लिए प्रोटोकॉल में कुछ सुझाव दिए गए हैं। ऐसे लोग 'गुड़ूची घन वटी' को 'गुड़ूची' और 'पिप्पली' के साथ ले सकते हैं। प्रोटोकॉल में कहा गया है कि ये चीजें 'बीमारी को बढ़ने से रोकने का काम' करती हैं। कहा गया है कि इन आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से कोविड-19 असिम्प्टोमैटिक से सिम्प्टोमैटिक डिसीज 'नहीं' बनती। साथ ही इन औषधियों के सेवन से कोविड-19 का रिकवरी रेट भी 'इंप्रूव' होता है। गुड़ूची और पिप्पली को लेकर कहा गया है कि इनकी 375 मिलीग्राम वाली डोज 15 दिनों तक प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ लेनी चाहिए।

वहीं, हल्के लक्षणों वाले मरीजों को प्रोटोकॉल सुझाव देता है कि उन्हें 'गुड़ूची और पिप्पली' के साथ 500 मिलीग्राम 'आयुष 64' को मिलाकर लेना चाहिए। इस आयुर्वेदिक खुराक को 15 दिनों तक प्रतिदिन 'दो बार' लेने को कहा गया है। प्रोटोकॉल कहता है कि जिन मरीजों में बुखार, सिरदर्द, थकान के साथ आने वाली सूखी खांसी, गला खराब होने और नाक जमने जैसे लक्षण हों, उनके लिए सिम्प्टोमैटिक मैनेजमेंट के तहत यह आयुर्वेदिक सुझाव दिया गया है।

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इसके अलावा, जिन लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखने के साथ हाइपोक्सिया भी देखा गया है, उन्हें 10 मिलीग्राम 'वसावलेहा' लेने की सलाह दी गई है। केवल हल्के लक्षणों वाले संक्रमितों को तरल पदार्थ के रूप में 10 मिली ग्राम 'कनकासव' का सेवन करने को कहा गया है। साथ ही, पोस्ट-इन्फेक्शन मैनेजमेंट के तहत लंग कॉम्प्लिकेशंस (जैसे फाइब्रोसिस) की रोकथाम के लिए 'अश्वगंधा', 'च्यवनप्राश' और पोली-हर्बल फॉर्मुलेशन 'रसायन चूर्ण' लेने की बात कही गई है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय ने आयुर्वेद और योग आधारित कोविड-19 मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया, हल्के लक्षण वाले और असिम्प्टोमैटिक मरीजों को दिए गए ये सुझाव है

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