केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन दवा के इस्तेमाल को आधिकारिक स्वीकृति दे दी है। उसने कोविड-19 के इलाज से जुड़े अपने क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल में संशोधन करते हुए इस ड्रग को शामिल किया है। इस संबंध में उल्लिखित नियमों के मुताबिक, कोरोना वायरस के प्रभाव में जिन कोविड-19 मरीजों को सूजन बढ़ने के चलते सांस लेने में दिक्कत महसूस हो, उन्हें डेक्सामेथासोन दी जा सकती है। इन मरीजों में कोविड-19 के गंभीर और सामान्य मरीज दोनों को शामिल किया गया है, लेकिन दवा का सेवन तभी कराया जाएगा जब उनमें सांस में कमी की समस्या दिखाई देगी। अभी तक ऐसी स्थिति होने पर कोरोना मरीजों को मेथाइलप्रेडनिसोलोन ड्रग (0.5-1 एमजी) दिया जा रहा था। नए प्रोटोकॉल के मुताबिक, अब इसके विकल्प के रूप में डेक्सामेथासोन (0.1-0.2 एमजी) भी दी जा सकती है।
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इस बारे में अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है, 'कोविड-19 के संशोधित क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल को जारी कर दिया गया है। डेक्सामेथासोन को मेथाइलप्रेडनिसोलोन के विकल्प के रूप में दिए जाने की अनुमति दे दी गई है।' गौरतलब है कि ब्रिटेन के शोधकर्ता बड़े पैमाने पर किए गए ड्रग ट्रायल में डेक्सामेथासोन की मदद से कोविड-19 के कई गंभीर मरीजों की जान बचाने में कामयाब रहे थे। परीक्षण कामयाबी के बाद उन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक स्तर पर किए जा रहे संघर्ष में इस दवा को अभी तक का सबसे बड़ा 'ब्रेकथ्रू' बताया था। यह भी उल्लेखनीय है कि डेक्सामेथासोन को कोविड-19 के खिलाफ पहली जीवनरक्षक दवा कहा गया है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने जब इसके परिणाम की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दी उसने भी इसका स्वागत किया था। बाद में उसने इस दवा के उत्पादन में तेजी लाने की अपील की थी।
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ब्रिटिश वैज्ञानिकों और डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रियाएं सामने आने के बाद भारत में भी डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल की अटकलें तेज हो गई थीं। कुछ समय पहले आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारत में मेडिकल विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगा लिया था कि देश में इस दवा की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, कुछ ने इसके उत्पादन को लेकर शंकाएं व्यक्त की थीं। इन जानकारों का कहना था कि भारत में डेक्सामेथासोन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए ज्यादा कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट की जरूरत होगी, जिसके लिए भारत पूरी तरह चीन पर निर्भर है।
क्या है डेक्सामेथासोन?
'यह एक तरह स्टेरॉयड है, जिसे 1960 से कई प्रकार की सूजन और जलन (इनफ्लेमेशन) को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। इनमें कई इनफ्लेमेटरी डिसॉर्डर और कुछ विशेष प्रकार के कैंसर रोगों में होने वाली सूजन भी शामिल हैं। यह दवा 1977 से ही डब्ल्यूएचओ की जरूरी दवाओं की सूची में अलग-अलग फॉर्म्युलेशन में शामिल है। फिलहाल यह पेटेंट (एकस्व) नहीं है और ज्यादातर देशों में आसानी से उपलब्ध है।'
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भारत में इस दवा के इस्तेमाल को ऐसे समय में मंजूरी मिली है जब यहां कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता दिख रहा है। हाल के दिनों में देश में लगभग हर दिन कोविड-19 के मरीजों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। शुक्रवार की बात करें तो इस दिन 18 हजार से ज्यादा नए मरीजों की पुष्टि हुई है, जिसके बाद देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या पांच लाख के आंकड़े को पार कर गई है। वहीं, मृतकों का आंकड़ा 15,700 से ज्यादा हो गया है। देखना होगा कि भारत में कोविड-19 से लोगों की जान बचाने में डेक्सामेथासोन कितनी काम आती है।