पूरी दुनिया इस वक्त कोविड-19 (सार्स-सीओवी-2) महामारी के प्रकोप से प्रभावित है। इसके चलते अब तक दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकी 58 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़कर अब 3 हजार के करीब पहुंच गया है। संक्रमण पर नियंत्रण पाने को लेकर डॉक्टरों की टीम लगातार जुटी हुई है। इसी को लेकर संदिग्ध लोगों को क्वारंटाइन और संक्रमितों को आइसोलेट किया जा रहा है।
क्वारंटाइन का मतलब उन लोगों को अन्य लोगों से अलग करना होता है जिनमें लक्षण तो नहीं दिख रहे हैं लेकिन संक्रमण का खतरा हो सकता है। चूंकि ऐसे लोग संदिग्ध होते है इसलिए इस बात का भी डर होता है कि लक्षण न दिखने पर भी ये अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
वहीं जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है उन्हें आइसोलेशन में रखा जाता है। संक्रमित मरीजों को तब तक अलग आइसोलेशन वॉर्डों में रखा जाता है जब तक लगातार दो परीक्षणों में उनके रिपोर्ट नेगेटिव न आ जाए। कोविड-19 के गंभीर मामलों में रोगी में निमोनिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं ऐसे में उसे सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है।
भारत सरकार ने किसी अस्पताल में आइसोलेशन वॉर्ड बनाने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए हैं। इस लेख में हम आपको स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी इन्हीं दिशा-निर्देशों के बारे में बताएंगे।