देश में कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले यानी असिम्प्टोमैटिक मरीजों की संख्या बढ़ते देख केंद्र सरकार ने होम आइसोलेशन से जुड़े दिशा-निर्देशों में बदलाव किया है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, होम आइसोलेशन में गए मरीजों को लक्षण दिखने की शुरुआत के दस दिन बाद और तीन दिनों तक बुखार नहीं होने की सूरत में डिस्चार्ज माना जाएगा। इससे पहले की गाइडलाइन में कहा गया था कि लक्षण दिखने के 17 दिन और दस दिनों तक बुखार नहीं दिखने के बाद मरीज के होम आइसोलेशन की अवधि समाप्त हो जाएगी। लेकिन अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसमें बदलाव कर दिया है।
होम आइसोलेशन से जुड़े दिशा-निर्देशों में बदलाव के बाद माना जा रहा है कि इससे आने वाले दिनों में स्वस्थ मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। क्योंकि कम समय में ही असिम्प्टोमैटिक मरीजों को डिस्चार्ज केस माने जाने के चलते कोरोना-मुक्त मरीजों की संख्या में इजाफा होना लाजमी है। हालांकि, गाइडलाइंस में साफ हिदायत दी गई है कि होम आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के बाद भी मरीज को अगले सात दिनों तक घर में ही अलग-थलग रहना होगा। इस दौरान उसे अपनी स्वास्थ्य स्थिति की खुद ही मॉनिटरिंग करनी होगी। आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के बाद मरीज की टेस्टिंग की जरूरत नहीं है।
हालांकि यह स्पष्ट गाइडलाइंस केवल उन मरीजों के लिए हैं, जिनकी आयु 60 साल से कम है और जो पहले से किसी अन्य बीमारी (हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हृदय रोग, फेफड़ों की बीमारी, किडनी रोग, लिवर की समस्या, सेरिब्रो-वस्क्युलर डिसीज आदि) से पीड़ित नहीं हैं। गाइडलाइन के मुताबिक, 60 से अधिक उम्र के कोविड-19 मरीजों और पहले से किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे संक्रमितों को होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति सरकार द्वारा भेजे गए मेडिकल ऑफिसर की उचित जांच के बाद ही दी जाएगी। वहीं, एचआईवी, ट्रांसप्लांट सर्जरी, कैंसर थेरेपी आदि कारणों के चलते जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से कम है, उन्हें होम आइसोलेशन के दायरे से बाहर रखा गया है। इसका मतलब है कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने पर ऐसे मरीजों को अस्पताल ही जाना होगा।
इसके अलावा, असिम्प्टोमैटिक, हल्के और प्री-सिम्प्टोमैटिक मरीजों के होम आइसोलेशन को लेकर सरकार ने तीन अतिरिक्त लक्षण निर्धारित किए हैं, जिनके दिखने पर ऐसे मरीजों को मेडिकल मदद की जरूरत पड़ सकती है। इनमें ऑक्सीजन सैच्युरेशन में कमी, जुबान का लड़खड़ना और चेहरे अथवा किसी अन्य अंग का सुन्न हो जाना। इसके अलावा, सांस में कमी, सीने में दर्द या दबाव, मानसिक भ्रम और होंठों के नीला पड़ने जैसे लक्षणों को भी मेडिकल अटेंशन के लिए बरकरार रखा गया है।
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गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि सभी राज्यों के जिला स्तर के निरीक्षण के तहत होम आइसोलेशन में रह रहे सभी मामलों की निगरानी की जानी चाहिए। इसके तहत, जमीनी स्तर पर मौजूद स्टाफ को मरीजों के घर जाकर उनकी स्वास्थ्य स्थिति जाननी चाहिए। इसमें एक समर्पित कॉल सेंटर की भी मदद ली जानी चाहिए। हरेक मरीज का रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए। इसमें उसकी शरीर के तापमान, पल्स रेट और ऑक्सजीन सैच्युरेशन जैसी जानकारी शामिल की जानी चाहिए। इस आधर पर फील्ड स्टाफ के लोग मरीज और उसकी देखभाल कर रहे व्यक्ति को जरूरी निर्देश देंगे। गाइडलाइन के मुताबिक, इस व्यवस्था के तहत होम आइसोलेशन वाले मरीजों की रोजाना सख्ती से मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। साथ ही, मरीज से मिली जानकारी को कोविड-19 पोर्टल और आरोग्य सेतु एप पर अपडेट किया जाना चाहिए।
होम आइसोलेशन से जुड़ी गाइडलाइंस की मुख्य बातें
- लक्षण दिखने की शुरुआत के दस दिन बाद मरीज को डिस्चार्ज माना जाएगा, बशर्ते उसे तीन दिनों तक बुखार नहीं हुआ हो
- होम आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के बाद भी मरीज को अगले सात दिन घर में ही अलग-थलग रहना होगा
- आइसोलेशन पीरियड खत्म होने के बाद मरीज की टेस्टिंग की जरूरत नहीं
- 60 साल से कम उम्र और जो पहले से किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को मेडिकल ऑफिसर की उचित जांच के बाद ही होम आइसोलेशन में जाने की अनुमति
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की इजाजत नहीं
- असिम्प्टोमैटिक, हल्के और प्री-सिम्प्टोमैटिक मरीजों के मेडिकल अटेंशन के लिए तीन नए लक्षण (ऑक्सीजन सैच्युरेशन में कमी, जुबान लड़खड़ना और किसी अंग का सुन्न हो जाना) शामिल किए गए