पूरी दुनिया इस समय कोविड-19 बीमारी की दवा बनने का इंतजार कर रही है और उधर जर्मनी में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए एक लाख 53,000 मरीजों में से एक लाख से ज्यादा मरीजों को बचा लिया गया है। यह कामयाबी हासिल करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। जर्मनी से आने वाली कोविड-19 से संबंधित रिपोर्टें बताती हैं कि इस यूरोपीय देश ने इस स्वास्थ्य संकट को काफी पहले भांप लिया था और तैयारियां शुरू कर दी थीं। इसी के चलते जर्मनी में कोविड-19 की टेस्टिंग का दायरा अमेरिका से भी काफी ज्यादा रहा है। उसने प्रति दस लाख की आबादी में 24,000 से ज्यादा टेस्ट किए हैं, जबकि उससे चार गुना ज्यादा आबादी वाला अमेरिका 14,000 टेस्ट कर पा रहा है। इस मामले में केवल इटली ही जर्मनी से आगे है। वहां प्रति दस लाख लोगों पर 26,000 से ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं।

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जर्मनी में कोविड-19 की लड़ाई कितनी एडवांस है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस महामारी के पहले संकट से काफी हद तक सफलता के साथ लड़ने के बाद उसने कोविड-19 की संभावित 'दूसरी लहर' से भी निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जर्मनी ने अपनी इंटेन्सिव केयर क्षमता और वेंटिलेटर्स की आपूर्ति अभी से तेज कर दी है। राजधानी बर्लिन में जर्मनी की सेना एक प्रदर्शनी केंद्र को बहुत बड़े अस्पताल के रूप में तब्दील करने में लगी हुई है। स्थानीय प्रशासन को यकीन है कि अगर कोविड-19 वापसी करती है, तो वह उससे लड़ने के लिए तैयार है।

इन्हीं तैयारियों का नतीजा है कि इस हफ्ते जर्मनी में कोरोना वायरस के संक्रमण की दर रिकॉर्ड स्तर पर नीचे यानी 1.6 प्रतिशत ही रही। बीते कई दिनों से जर्मनी में नए मरीजों का आंकड़ा प्रतिदिन के हिसाब से कभी दो हजार तो कभी उससे भी नीचे रहा है। जर्मनी अब इस संख्या को तीन अंकों यानी एक हजार से नीचे लाना चाहता है ताकि लॉकडाउन में ढील दी जा सके। हालांकि अभी यहां इसे लेकर वाद-विवाद चल रहा है।

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बहरहाल, जर्मनी ने कोविड-19 की लड़ाई कितनी प्रभावी तरीके से लड़ी है, इसे अन्य विकसित देशों से तुलना करके भी जाना जा सकता है। यूरोपीय देशों की ही बात करें तो युनाइटेड किंगडम में मरीजों की संख्या (एक लाख 38 हजार) जर्मनी से करीब 15,000 कम है, और फ्रांस (एक लाख 58 हजार) में 5,000 मरीज ज्यादा है। लेकिन इन दोनों ही देशों में मृतकों की संख्या क्रमशः 18,738 और 21,856 है, जो जर्मनी से तीन गुना या उससे भी ज्यादा है। बता दें कि जर्मनी में मरीजों का आंकड़ा एक लाख 53 हजार से कुछ ज्यादा है, लेकिन मृतकों की संख्या 5,575 है। इटली (25,549 मौतें) और स्पेन (22,524 मौतें) से तुलना करने पर यह अंतर चार गुना से भी ज्यादा हो जाता है।

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जर्मनी ने यह सब तब करके दिखाया है जब कोविड-19 की वैक्सीन बनने की संभावना कम से कम एक साल से पहले बनती नहीं दिखती और ज्यादातर देशों में बचाव के रास्ते अपनाने की अपेक्षा वैक्सीन ही बनाने की होड़ ज्यादा दिख रही है। हालांकि अब जर्मनी ने कोविड-19 से बचाव के इंतजामों के साथ-साथ वैक्सीन बनाने का काम भी आगे बढ़ा दिया है। खबर है कि जल्दी ही यहां कोविड-19 के लिए बनाई गई पहली वैक्सीन मानव परीक्षण शुरू होने वाला है। इसके लिए जर्मनी के दवा नियामक से अनुमति ले ली गई है। बता दें कि इस वैक्सीन को 'बायोइनटेक' नाम की कंपनी ने तैयार किया है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 से एक लाख लोगों को बचाने वाला पहला देश बना जर्मनी, कोरोना वायरस की संभावित 'दूसरी लहर' से निपटने की अभी से तैयारी है

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