नोबल कोरोना वायरस यानी सार्स सीओवी-2 ने दुनिया के लगभग सभी देशों को अपने चपेट में ले लिया है। भारत भी इस वायरस की वजह से फैलने वाली कोविड-19 महामारी से प्रभावित होने वाले देशों में हैं। दुनियाभर में 30 मार्च 2020 तक जहां 7 लाख से अधिक संक्रमण के मामले देखने को मिले हैं वहीं भारत में यह आंकड़ा 1200 के करीब पहुंच चुका है। इस संक्रमण के कारण पूरी दुनिया में अब तक 38 हजार से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं। बीमारी से संक्रमित लोगों के इलाज और देखभाल में लगे चिकित्सक दोगुना काम कर रहे हैं, जिससे इस संक्रमण से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जा सके।
भारत के दृष्टिकोण से बात करें तो मौजूद हालात इस बात का सूचक हैं कि हम इस तरह से होने वाले किसी भी स्वास्थ्य संबंधी आपदा से मुकाबले को कितने तैयार हैं, इस पर विचार करने की जरूरत है? भविष्य में इस तरह के संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए हमें स्वास्थ्य प्रणालियों और स्थानीय क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
इस लेख में हम ऐसे ही तीन बिंदुओं के बारे में बात करेंगे जो देश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चिंता का विषय हैं। भविष्य में होने वाली किसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पहले इनको सही करने की आवश्यकता है, जिससे स्थिति बेकाबू न हो पाए।