कोविड-19 संकट से जूझ रहा केरल डॉक्टरों के संकट में घिरता दिख रहा है। खबर है कि केरल में कोविड-19 के इलाज के लिए ट्रीटमेंट सेंटरों में नियुक्त किए गए करीब 870 जूनियर डॉक्टरों ने वेतन में कटौती होने के खिलाफ अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। ये डॉक्टर इस साल सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पास होकर निकले उन 1,080 एमबीबीएस ग्रैजुएट्स में से एक हैं, जिन्हें अस्थायी रूप से कोविड-19 की ड्यूटी पर लगाया गया था। इन डॉक्टरों को हर महीना 42 हजार रुपये वेतन के रूप में दिए जाने का वादा किया गया था, लेकिन असल में उन्हें मिले 27 हजार रुपये।

इन युवा डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार ने वेतन देने में आ रही चुनौतियां का हवाला देते हुए उनकी सैलरी काट ली। इस बारे में केरल जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन 2020-21 के अध्यक्ष डॉ. उसम हुसैन ने बताया, 'सरकार की वेतन चुनौती के नाम पर (डॉक्टरों के वेतन में से) टीडीएस और प्रोफेशनल टैक्स के अलावा 8,400 रुपये अलग से काट लिए गए हैं। अब हमें केवल 27 हजार रुपये ही मिल पा रहे हैं.'

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कुछ अन्य मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस मुद्दे पर एसोसिएशन की सचिव डॉ. कृष्णप्रिया ने कहा है, 'हमारे पद अस्थायी हैं और हमें तीन महीनों के लिए रीक्रूट किया गया था। हम ड्यूटी जॉइन करने के समय से (कोरोना वायरस को रोकने के लिए) फ्रंटलाइन पर काम कर रहे हैं। हमारा वेतन काटना पूरी तरह गलत है। हममें से कइयों को अपनी जेब से रोजमर्रा के खर्चे उठाने पड़ रहे हैं। अधिकारियों के सामने कई बार हमने ये मुद्दे उठाए हैं, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक रेस्पॉन्स नहीं मिला है।' खबर के मुताबिक, एसोसिएशन ने डॉक्टरों की तरफ से कई शिकायती पत्र केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन और स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा को भेजे गए हैं और उनसे मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।

उधर, सरकार के सूत्रों ने कहा है कि इन डॉक्टरों के जाने से केरल में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी। एक मीडिया रिपोर्ट में एक सूत्र ने कहा, 'सरकार वेकेंसी भरने की स्थिति में नहीं है और न ही और डॉक्टरों को रीक्रूट कर इस लड़ाई को मजबूती दे सकती है, क्योंकि लोग आगे आकर काम करने को तैयार नहीं हैं। इन डॉक्टरों को स्वैब सैंपल इकट्ठा करने जैसी कई फील्ड ड्यूटी दी गई थीं। अगर ये गए तो सरकार के लिए इन पदों को भरना अंसभव हो सकता है।'

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केरल सरकार के लिए यह संकट ऐसे समय में सामने आया है, जब राज्य में कोरोना वायरस पहले के किसी भी समय की तुलना ज्यादा तेजी से फैल रहा है। आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों के चलते केरल देश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्यों में शामिल हो सकता है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक यहां सार्स-सीओवी-2 वायरस से 78 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके थे। मंगलवार को 1,100 से ज्यादा नए मरीजों का पता चला था, जबकि बुधवार शाम तक ही 1,500 से अधिक और नए मामलों की पुष्टि हो गई थी। इसी दौरान सात मरीजों की मौत भी हो गई थी। इससे केरल में कोविड-19 से मारे गए लोगों की संख्या 300 के आंकड़े को पार कर गई है। हालांकि राहत की बात यह है कि केरल में कोविड-19 की मृत्यु दर महज 0.4 प्रतिशत है और रिकवरी रेट 71 फीसद से ज्यादा है। लेकिन डॉक्टरों की कमी होने से राज्य सरकार के लिए इन आंकड़ों को बेहतर करना या बरकरार रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें केरल में कोविड-19 संबंधी ड्यूटी पर कार्यरत 870 डॉक्टरों ने वेतन कटने के खिलाफ इस्तीफा दिया है

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