दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के मरीजों को लेकर राजधानी स्थित अस्पतालों को नया आदेश दिया है। इसमें उसने कहा है कि दिल्ली के अस्पतालों में कोविड-19 के कम गंभीर और बिना लक्षण वाले मरीजों को भर्ती होने के बाद 24 घंटों के अंदर डिस्चार्ज किया जाए। साथ ही, इस बारे में जिला निरीक्षण अधिकारी को जानकारी दी जाए। खबरों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने इस फैसले से संबंधित नोटिस का पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
दिल्ली की स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला द्वारा जारी किए नोटिस में कहा गया है, 'हमारे संज्ञान में आया है कि कई कम गंभीर और बिना लक्षण वाले मरीजों को अस्पतालों में भर्ती किया गया है। ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में भेजा जाना चाहिए। अगर उनके घर में उचित जगह नहीं है तो उन्हें कोविड केयर सेंटरों या कोविड हेल्थ सेंटरों में भेजा जाना चाहिए।' खबरों के मुताबिक, इस नोटिस से पहले दिल्ली सरकार ने दिल्ली की कुछ प्राइवेट लैबों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था। इन लैबों पर बिना लक्षण वाले मरीजों के टेस्ट करने और उनकी रिपोर्ट में देरी करने का आरोप था।
दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई गाइडलाइन के मुताबिक ही यह आदेश जारी किया गया है। अधिकारी ने कहा, 'केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि कम गंभीर और बिना लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में नहीं भर्ती करना है।' वहीं, दिल्ली में कोविड-19 संकट से निपटने के लिए बनाए गए पैनल के प्रमुख डॉ. एसके सरीन ने कहा है कोरोना वायरस के हल्के और बिना लक्षण वाली मरीजों का घर में ही इलाज किया जाना चाहिए। डॉ. सरीन ने कहा कि अस्पतालों को गंभीर मरीजों के लिए रिजर्व रखा जाना चाहिए।
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इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के संबंध में अस्पतालों के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर या एसओपी भी जारी किया है। खबरों के मुताबिक, राजधानी स्थित विशेष कोविड अस्पतालों को इस प्रक्रिया के नियमों का पालन करना होगा। बताया गया है कि एसओपी को जारी करने का मकसद दिल्ली में कोविड-19 से निपटने के तरीकों को कारगर और सरल बनाना है। एसओपी में बताया गया है कि मरीज या संदिग्ध मरीज के अस्पताल में भर्ती होने से लेकर डिस्चार्ज होने तक क्या-क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। एसओपी से संबंधित ये नियम इस प्रकार हैं-
कोविड-19 के किसी मरीज को (अस्पताल पहुंचने के बाद) 15 मिनट के अंदर इलाज वाली जगह पर ले जाया जाना चाहिए
- एक घंटे के अंदर किसी डॉक्टर का मरीज को अटेंड करना जरूरी है
- किसी भी कोरोना मरीज को ट्राइएज एरिया (जहां आपातकाल में इलाज की प्राथमिकता का निर्धारण किया जाता है) में तीन घंटे से ज्यादा नहीं रखा जाना चाहिए
- जरूरत पड़े तो डॉक्टर को मरीज को भर्ती करने या कहीं और रेफर करने को लेकर कोविड-19 विशेषज्ञों से बातचीत कर सलाह लेनी चाहिए
- अगर मरीज में बीमारी के हल्के लक्षण दिखें, लेकिन उसके घर में क्वारंटीन के लिए पर्याप्त जगह न हो तो ऐसी स्थिति में उसे कोविड केयर सेंटर (सीसीसी) भी भेजा जा सकता है
- सीसीसी में भेजे जाने से पहले मरीज को अटेंड करने वाले अस्पताल के डॉक्टर को सेंटर के नोडल ऑफिसर से बेड की उपलब्धता के विषय में बात करनी होगी
- इलाज के दौरान मरीज को समय से खाना दिया जाना चाहिए
- इलाज के लिए संबंधित मेडिकल प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए
- मरीज का कोविड-19 टेस्ट नए आदेशों के तहत होना चाहिए
- यदि मरीज की मौत हो जाए या उसे मृत हालत में अस्पताल लाया जाए तो शव को डिसइन्फेक्ट करने के बाद उसे सीधे शवगृह में भेज दिया जाना चाहिए