कोविड-19 को लेकर वैज्ञानिक अहम जानकारी जुटाने में जुटे हैं, जिससे संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके। इसी के तहत शोधकर्ताओं ने पाया कि डायबिटीज और आंख संबंधी बीमारियों (नेत्र रोग) से ग्रसित लोगों को कोविड-19 के गंभीर संक्रमण का खतरा है। साथ ही, कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती होने पर ऐसे लोगों को इंटुबेशन की आवश्यकता पड़ सकती है, जिसका पांच गुना अधिक रिस्क है। इंटुबेशन, मुंह के जरिए एक ट्यूब डालने की प्रक्रिया को कहते हैं। इस ट्यूब या नली को एंडोट्राइकल ट्यूब (ईटी) के नाम से जाना जाता है। यह ट्यूब उन लोगों को लगाई जाती है, जो सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाते।

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  1. पांच गुणा अधिक खतरा - रिसर्च
  2. कैसे की गई थी रिसर्च?

इस रिसर्च को स्वास्थ्य के क्षेत्र की प्रमुख पत्रिका "डायबिटीज रिसर्च एंड क्लीनिकल प्रैक्टिस" में प्रकाशित किया है। ब्रिटेन में किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ता एंटोनेला कोर्सिलो का कहना है 'यह पहली बार है जब शोधकर्ताओं को डायबिटीज से पीड़ित लोगों में रेटिनोपैथी और कोविड-19 से जुड़े जोखिम का पता चला है।' कोर्सिलो आगे बताते हैं कि रेटिनोपैथी, ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) को नुकसान पहुंचाती है। रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि रक्त वाहिकाओं को पहले से होने वाले नुकसान के चलते अधिक गंभीर कोविड-19 संक्रमण हो सकता है, जिसके बाद मरीज को गहन देखभाल वाले उपचार की जरूरत होगी।

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शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में डायबिटीज से पीड़ित 187 लोगों को शामिल किया था। इसमें 179 लोग टाइप-2 डायबिटीज से ग्रसित थे, जबकि आठ लोग टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित थे। इन सभी लोगों को कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसमें 67 यानी 36 प्रतिशत रोगियों में डायबिटीक रेटिनोपैथी थी, जिसमें से अधिकांश रोगी रेटिनोपैथी बैकग्राउंड से थे। रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती 187 रोगियों में से 26 प्रतिशत को इंटुबेशन (सांस लेने के लिए ट्यूब लगाई गई) किया गया और इनमें से 45 प्रतिशत रोगियों में रेटिनोपैथी थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि रेटिनोपैथी के साथ इंटुबेशन का पांच गुना अधिक जोखिम था। समूह में शामिल 32 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो गई थी। हालांकि, रेटिनोपैथी और मृत्यु दर के बीच कोई संबंध देखने को नहीं मिला।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, इससे जुड़े बहुत से साक्ष्य हैं जो ये बताते हैं कि जो लोग कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती हुए हैं, उनके फेफड़े और अन्य अंगों में रक्त वाहिकाओं को काफी नुकसान होता है। वहीं, डायबिटीज से पीड़ित लोगों में वाहिकाओं (बड़े और छोटे रक्त वाहिका) को प्रभावित करने वाली जटिलताओं का अधिक जोखिम है।

शोधकर्ता जनाका कार्लाइडे का कहना है, 'हमारे अनुमान के मुताबिक डायबिटीज से संबंधित वाहिका (वस्कुलर) रोग जैसे रेटिनोपैथी का होना कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता को बढ़ाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी (श्वसन विफलता) का अधिक जोखिम हो सकता है।' हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि संभावित फैक्टर की जांच के लिए अभी और शोध की आवश्यकता होगी, जिससे डायबिटीक वस्कुलर डिजीज जैसे रेटिनोपैथी और गंभीर कोविड-19 संक्रमण के बीच संबंध का पता चल सकेगा।

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