कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने आज दुनिया की लगभग आधी आबादी को उनके ही घरों में कैद कर दिया है। इस वैश्विक महामारी से संबंधित अब तक जितनी भी रिपोर्टें आई हैं, वे इस बात की ओर साफ इशारा करती हैं कि कोविड-19 बुजुर्ग उम्र के लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि युवा कोरोना वायरस से पूरी तरह सुरक्षित हैं, भले ही वे इसकी चपेट आए हों। यह जानने के लिए कुछ दूसरे तथ्यों की तरफ गौर करते हैं। वहीं, उन लोगों के लिए भी कोविड-19 जानलेवा है, जो पहले से किसी बीमारी से लंबे समय से पीड़ित हैं, जैसे कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज आदि।
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इसी हफ्ते ब्रिटेन की राजधानी लंदन में एक 13 वर्षीय किशोर इस्माइल मोहम्मद अब्दुलवहाब की कोविड-19 से मौत हो गई। उसे ब्रिटेन समेत पूरे युनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस से मारा गया सबसे कम उम्र का पीड़ित बताया जा रहा है। इस्माइल की मौत की जानकारी देते हुए उसके परिवार ने साफ-साफ कहा कि बीती 26 मार्च को उनका बेटा इस बीमारी की चपेट में आया, उससे पहले वह किसी भी अन्य रोग से पीड़ित नहीं था। इतना ही नहीं, परिवार ने यह भी बताया कि इस्माइल के परिवार में उससे पहले किसी को भी कोरोना वायरस नहीं था। अब रिपोर्टें हैं कि इस्माल के भाई-बहनों में से दो में कोविड-19 के लक्षण दिखाई दिए हैं। अभी तक ऐसी रिपोर्टें नहीं आई हैं, जो बताती हों कि ये दोनों किशोर पहले से किसी और बीमारी से पीड़ित हैं या नहीं।
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इस्माइल से पहले लंदन में ही एक 19 वर्षीय इटैलियन शेफ की कोरोना वायरस से मौत हो गई थी। पीड़ित का नाम लूका डी निकोला बताया गया है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पीड़ित के परिवार वालों को उसकी मौत से गहरा सदमा लगा। इसकी वजह केवल यह नहीं कि उन्होंने जवान बेटा खोया, बल्कि वे इसलिए भी दुखी हैं कि उनके बेटे को पहले कोई बीमारी नहीं थी और उसकी सेहत 'काफी अच्छी' थी। निकोला के मामले में गौर करने लायक तथ्य पता चला है। इटली स्थित उसके गृहनगर के मेयर ने आरोप लगाया है कि निकोला को ब्रिटेन में सही इलाज नहीं मिला और उसको केवल पैरासिटामोल दी गई। मेयर के मुताबिक, अगर निकोला का ठीक प्रकार से इलाज किया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
मेयर के आरोप में यह बात गौर करने वाली है कि अगर कोई सेहतमंद युवा भी कोरोना वायरस की चपेट में आ जाए और किसी भी कारणवश उसका ठीक प्रकार से इलाज न हो पाए, कोविड-19 उसके लिए जानलेवा हो सकती है।
वहीं, अपने देश की बात करें तो यहां भी उत्तर प्रदेश राज्य में एक 25 साल के युवक की कोरोना वायरस से मौत हुई है। बीती 30 मार्च को इस युवक ने गोरखपुर जिले के बीआरडी अस्पताल में दम तोड़ दिया। रिपोर्टों में बताया गया कि युवक पिछले तीन महीनों से किडनी और लिवर की समस्या से जूझ रहा था। उसकी मौत के बाद जब उसका ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजा गया तो मृतक युवक कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाया गया। इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में एक 38 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना वायरस से मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यह पीड़ित भी पहले किडनी की समस्या से ग्रस्त था।
ये दोनों मामले साफ इशारा करते हैं कि भले ही कोविड-19 ज्यादातर युवाओं के लिए जानलेवा नहीं है, लेकिन अगर किसी युवा में पहले से कोई गंभीर बीमारी है तो कोरोना वायरस से उसकी जान को उतना ही खतरा है, जितना की किसी बुजुर्ग व्यक्ति को।
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बहरहाल, यूरोप और दुनिया के और देशों में कोविड-19 से युवा मौतों का आंकड़ा बढ़ा है, इस बात को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी स्वीकार किया है। शुक्रवार को इस बाबत उसने चिंता भी जाहिर की है। डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने कहा कि जिन युवाओं की मौत कोविड-19 से हुई है, उनमें से कुछ पहले किसी अन्य बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन कुछ युवाओं को कोई बीमारी नहीं थी, यानी वे केवल कोरोना वायरस की वजह से मारे गए। डब्ल्यूएचओ की एक शाखा की प्रमुख डॉक्टर मारिया वेन केरखोव ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि अब पहले से ज्यादा युवाओं को यह जानलेवा बीमारी हो रही है। हमने कई यूरोपीय देशों के आंकड़े देखें हैं, जहां युवा उम्र के लोगों की मौत हुई है। उनमें से कुछ पहले से बीमार थे, लेकिन कुछ नहीं भी थे।'
वहीं, डब्ल्यूएचओ के एक और बड़े अधिकारी और डॉक्टर माइक रेयान कहते हैं कि यह समझ लेना एक गलती है कि यह वायरस केवल बुजुर्गों के लिए या उन लोगों के लिए खतरनाक है जो पहले से बीमार हैं। वे बताते हैं कि यूरोप में आईसीयू में भर्ती कोरोना मरीजों में से दस से 15 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिनकी उम्र 50 साल से कम है। वे आलोचनात्मक लहजे में कहते हैं, 'कुछ महीनों से इस बीमारी को लेकर यह रवैया देखा गया है कि यह तो केवल बूढ़ों को होती है, युवाओं को इससे कुछ नहीं होगा।' डॉक्टर के मुताबिक, यह सोच अपनेआप में एक समस्या है। इससे पहले डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने भी युवाओं को चेतावनी देते हुए कहा था, 'आप अपराजेय नहीं हैं। यह वायरस आपको कई हफ्तों के लिए अस्पताल पहुंचा सकता है और आपकी जान भी ले सकता है।'
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