कोविड-19 महामारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 का नया म्यूटेशन डी614जी वैज्ञानिकों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है। इस हफ्ते आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मलेशिया में सार्स-सीओवी-2 वायरस का यह नया स्ट्रेन मिला है, जिसके संक्रमण फैलाने की क्षमता इसी वायरस के अन्य स्ट्रेन्स के मुकाबले दस गुना ज्यादा है। लेकिन क्या इतना ज्यादा संक्रामक होने का मतलब यह है कि यह नया वायरस स्ट्रेन अन्य म्यूटेशन से बने परिवर्तित सार्स-सीओवी-2 वायरसों के मुकाबले ज्यादा जानलेवा भी है। इस बारे में सिंगापुर के एक मेडिकल विशेषज्ञ की राय मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी के सीनियर कनसल्टेंट और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ इनफेक्शियस डिसीजेज के निर्वाचित अध्यक्ष पॉल तांब्या का कहना है कि कोरोना वायरस डी614जी म्यूटेशन के साथ पहले यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के हिस्सों में पाया गया है। पॉल के मुताबिक, कोरोना वायरस के इस परिवर्तित रूप के संक्रमण फैलाने की क्षमता अन्य स्ट्रेन्स के मुकाबले काफी ज्यादा है, लेकिन जान लेने के मामले में यह कम घातक है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में पॉल ने कहा है कि दुनिया के कई हिस्सों में इस वायरस स्ट्रेन से जुड़े सबूत बताते हैं कि इसके चलते संक्रमण के मामले बढ़े हैं, लेकिन मृत्यु दर कम दर्ज हुई है। इस आधार पर सिंगापुर के प्रमुख मेडिकल विशेषज्ञ ने कहा कि डी614जी कोरोना वायरस कम जानलेवा है।

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एजेंसी से बातचीत में पॉल ने वायरस के ज्यादा संक्रामक होने को एक तरह से 'अच्छा' ही बताया। उन्होंने कहा, 'शायद ऐसा वायरस होना अच्छा ही है जोकि संक्रामक ज्यादा है, लेकिन जानलेवा कम।' पॉल का कहना है कि वायरस जैसे-जैसे परिवर्तित होते हैं, वैसे-वैसे नुकसान पहुंचाने की उनकी क्षमता भी कम होती जाती है। पॉल ने कहा, 'यह वायरस के लिए फायदे की बात है कि वह ज्यादा लोगों को संक्रमित करे, लेकिन उनकी जान न ले, क्योंकि खाने और जीवित रहने के लिए उसे शेल्टर की जरूरत है और उसके लिए वह इन्सानी शरीर पर निर्भर है।'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अध्ययनों के आधार पर बताया है कि डी614जी वायरस फरवरी महीने की शुरुआत में यूरोप और अमेरिकी देशों में फैलना शुरू हुआ था। डब्ल्यूएचओ ने यह भी बताया कि ज्यादा संक्रामक होने के बावजूद इस बात के सबूत नहीं हैं कि डी614जी के चलते ज्यादा मौतें देखने को मिलीं। यह वायरस एक बार फिर चर्चा का विषय तब बना, जब बीते रविवार को मलेशिया के स्वास्थ्य महानिदेशक नूर हिशम अब्दुल्लाह ने पुष्टि की कि उनके देश में कोरोना वायरस डी614जी स्ट्रेन के साथ पाया गया है। इसके बाद वहां वायरस को नियंत्रण करने से जुड़े इंतजामों में वृद्धि देखने को मिली है।

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नूर अब्दुल्लाह ने आम लोगों से भी पहले से ज्यादा सतर्क रहने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 की कोई वैक्सीन शायद डी614जी पर कारगर न हो। लेकिन पॉल तांब्या और सिंगापुर के एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा है कि इस म्यूटेशन से वायरस में ऐसे बदलाव नहीं होंगे कि वैक्सीन लगने के बाद भी उस पर कोई प्रभाव न हो।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: नए कोरोना वायरस का ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन के साथ पाया जाना 'अच्छी बात', जानें सिंगापुर के शीर्ष विशेषज्ञ की इस राय के पीछे की वजह है

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