ट्यूबरकुलोसिस या टीबी से सुरक्षा देने वाली बीसीजी वैक्सीन को ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के खिलाफ बतौर प्रयोग इस्तेमाल करने का फैसला किया है। यह ट्रायल जल्दी ही ब्रिटेन की जानी-मानी यूनिवर्सिटी ऑफ एक्जेटर के नेतृत्व में किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रायल के तहत ब्रिटेन के अगड़ी पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों को बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। इस बारे में यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर जॉन कैंपबेल का कहना है, 'बीसीजी वैक्सीन में सामान्य रूप से इम्यूनिटी को बूस्ट करने की क्षमता दिखी है, जिससे शायद कोविड-19 के खिलाफ भी कुछ सुरक्षा मिले। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या बीसीजी वैक्सीन उन लोगों की कोई मदद कर सकती है, जिन पर कोविड-19 से ग्रस्त होने का खतरा है। अगर हां, तो हम इस पहले से बनी वैक्सीन की मदद से कम लागत का टीकाकरण कर कई जिंदगियां बचा सकते हैं।'

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कोविड-19 को लेकर यूनाइटेड किंगडम में होने जा रहा बीसीजी वैक्सीन ट्रायल पहले से चल रहे एक वैश्विक प्रयोग का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। यहां के वैज्ञानिकों ने अप्रैल महीने में बीसीजी वैक्सीन को कोरोना वायरस के खिलाफ आजमाना शुरू किया था। तब से नीदरलैंड, स्पेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में टीबी के इस टीके का ट्रायल हो चुका है। इसी सिलसिले के तहत कुछ समय पहले यूके के वैज्ञानिकों ने भी कोविड-19 से प्रोटेक्शन देने के लिए बतौर ट्रायल बीसीजी टीके का प्रयोग करने का फैसला किया था। इसके लिए वे वॉलन्टियर्स की भर्ती कर रहे हैं। हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि यह प्रक्रिया आसान नहीं होने वाली, क्योंकि यूके इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। बहरहाल, एक्जेटर यूनिवर्सिटी ने ट्रायल के लिए 1,000 प्रतिभागियों का नामांकन करने का लक्ष्य रखा है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 10 हजार वॉलन्टियर्स को टीका लगाने की योजना है।

इससे पहले, अगस्त महीने में आए एक अध्ययन में बीसीजी वैक्सीन को कोविड-19 के मरीजों के इलाज में प्रभावी होने का दावा किया गया था। उस समय की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, एक अमेरिकी रिसर्च पेपर में कहा गया था कि बीसीजी वैक्सीन की मदद से कोविड-19 के संक्रमण को कम्युनिटी स्तर पर फैलने से रोका जा सकता है और मृत्यु दर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। चर्चित विज्ञान व मेडिकल पत्रिका 'साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कई देशों में कोविड-19 बीमारी के बतौर स्वास्थ्य संकट शुरू होने के बाद शुरुआती 30 दिनों के दौरान बीसीजी वैक्सीन के कारण कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों की दर को कम करने में मदद मिली थी। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा था कि अगर अमेरिका में दशकों पहले बीसीजी टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया गया होता तो 29 मार्च तक वहां कोविड-19 से मारे गए लोगों की संख्या 2,467 की बजाय 468 हो सकती थी।

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भारत की बात करें तो यहां भी कोरोना संक्रमण के खिलाफ बीसीजी वैक्सीन को इस्तेमाल करने से जुड़ी खबरें आती रही हैं। जुलाई में आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय दवा कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने कोविड-19 के इलाज के लिए बीसीजी वैक्सीन 'वीपीएम1002' के तीसरे चरण के ट्रायल करने की जानकारी दी थी। उसके मुताबिक, कंपनी देखना चाहती थी कि बीसीजी वैक्सीन कोरोना वायरस के बुजुर्ग और गंभीर मरीजों, पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त संक्रमितों और वायरस के हाई-एक्सपोजर के खतरे में रह रहे हेल्थकेयर वर्कर्स में संक्रमण को कम करने की क्षमता रखती है या नहीं। इसके अलावा, जुलाई में ही तमिलनाडु में भी कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग मरीजों को बचाने के लिए बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि वह जल्दी ही ऐसे मरीजों के लिए बीसीजी वैक्सीन को लॉन्च करेगी। बताया गया था कि चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन का ट्रायल करेगा। इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने स्वीकृत दे दी थी। हालांकि इन तमाम ट्रायलों के बारे में फिलहाल कोई अपडेट उपलब्ध नहीं है।

क्या है बीसीजी वैक्सीन?
बीसीजी का मतलब है बेसिल कालमेट ग्युरिन। पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाली यह वैक्सीन मुख्य रूप से बच्चों को टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाई जाती है। जानकार बताते हैं कि कई बार ब्लैडर कैंसर और ब्लैडर ट्यूमर के इलाज के लिए भी इस टीके का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को टीबी के रोगाणुओं से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए बीसीटी टीका लगाया जाता है। यह पहली बार नहीं है, जब कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के इलाज के लिए भी इस टीके को आजमाने की बात सामने आई है। मार्च-अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 के मरीजों को यह वैक्सीन दिए जाने की खबरें आई थीं। तब कुछ जानकारों ने कहा था कि यह टीका कोरोना संक्रमण से बचाव में कारगर साबित हो सकता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को खारिज करते हुए इसके इस्तेमाल की संभावना से इनकार कर दिया था। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से जुड़ी एक दैनिक रिपोर्ट में कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं है, जिनसे पुष्टि होती हो कि 'बीसीजी' वैक्सीन लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से बचा सकती है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: ग्लोबल ट्रायल के तहत यूके में जल्दी ही बीसीजी वैक्सीन को कोरोना वायरस के खिलाफ आजमाया जाएगा है

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