तमिलनाडु में कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग मरीजों को बचाने के लिए बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा। राज्य सरकार ने बुधवार को कहा कि वह जल्दी ही यह वैक्सीन लॉन्च करेगी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन का ट्रायल करेगा। इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने स्वीकृत दे दी है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर ने बुधवार को ट्विटर पर इसकी जानकारी दी।
वहीं, राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए एक बयान में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बीसीजी वैक्सीन से 60 से 95 वर्ष के लोगों के कोविड-19 से बीमार होने और मारे जाने की दर के रुकने की संभावना है। चूंकि कोरोना वायरस के खिलाफ कोई भी ड्रग निश्चित इलाज नहीं दे पा रहा है, ऐसे में राज्य सरकार ने आईसीएमआर से बीसीजी वैक्सीन को बुजुर्गों पर आजमाने की मंजूरी मांगी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
क्या है बीसीजी वैक्सीन?
बीसीजी का मतलब है बेसिल कालमेट ग्युरिन। पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाली यह वैक्सीन मुख्य रूप से बच्चों को टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाई जाती है। जानकार बताते हैं कि कई बार ब्लैडर कैंसर और ब्लैडर ट्यूमर के इलाज के लिए भी इस टीके का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को टीबी के रोगाणुओं से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए बीसीटी टीका लगाया जाता है।
यह पहली बार नहीं है, जब कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के इलाज के लिए भी इस टीके को आजमाने की बात सामने आई है। कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 के मरीजों को यह वैक्सीन दिए जाने की खबरें आई थीं। तब कुछ जानकारों ने कहा था कि यह टीका कोरोना संक्रमण से बचाव में कारगर साबित हो सकता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को खारिज करते हुए इसके इस्तेमाल की संभावना से इनकार कर दिया था।
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दरअसल, अप्रैल महीने के मध्य में डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से जुड़ी दैनिक रिपोर्ट में कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, जिनसे पुष्टि होती हो कि बीसीजी वैक्सीन लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से बचा सकती है। रिपोर्ट में बताया गया था, 'जानवर और इन्सानों दोनों पर किए गए शोधों के एक्सपेरिमेंटल एविडेंस (प्रयोग के आधार पर मिले सबूत) से पता चलता है कि बीसीजी वैक्सीन का इम्यून सिस्टम पर गैर-विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों की ठीक प्रकार से व्याख्या नहीं की गई है और न ही इनके प्रभाव को लेकर कोई विशेष जानकारी मिलती है।'