सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कोविड-19 वैक्सीन कोवीशील्ड को कोरोना वायरस की रोकथाम में इस्तेमाल करने के लिए सरकार से आपातकालीन लाइसेंस लेने की तैयारी कर रही है। बीते सप्ताहांत कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला ने एक बयान में यह जानकारी दी। इसमें उन्होंने कहा कि अगले दो हफ्तों में एसआईआई इस अप्रूवल के लिए अप्लाई करेगी। बता दें कि कोवीशील्ड नामक इस टीके को ब्रिटेन की प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाया गया है। इसका मूल नाम 'एजेडडी1222' है, जिसका भारतीय वर्जन कोवीशील्ड है।

अदार पूनावाला ने कहा है कि कोवीशील्ड के मौजूदा (अंतिम चरण के) ट्र्रायल कोरोना वायरस के खिलाफ इसकी क्षमता को साबित करने के लिए काफी हैं। हालांकि यूरोप और अमेरिका में वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी किसी त्रुटि का पता चलने के बाद इस टीके के प्रभाव को लेकर सवाल किए गए हैं। लेकिन एसआईआई के सीईओ ने कहा है कि भारत में वैक्सीन को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा है, 'कम्युनिकेशन में थोड़ी उलझन सामने आई थी। (लेकिन) इससे यूके में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ने वाला और भारत में भी ऐसा नहीं होना चाहिए। हम वैक्सीन का स्टॉक बढ़ा रहे हैं और मैन्युफैक्चरिंग का काम भी जारी है।'

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पूनावाला का कहना है कि कोवीशील्ड को लेकर भारत में केवल 18 साल से कम उम्र वाले प्रतिभागियों के समूह के अलावा किसी और प्रकार के अतिरिक्त ट्रायल की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, 'सभी वैक्सीन के मामले में भी ऐसा ही है, अमेरिका हो या यूरोप।' दरअसल, भारत में एजेडडी की मैन्युफैक्चरिंग और डिस्ट्रिब्यूशन के लिए एसआईआई के साथ समझौता करने वाली एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वह वैक्सीन की क्षमता को लेकर पैदा हुए कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए एक अतिरिक्त वैश्विक ट्रायल कर सकती है। यह ट्रायल वैक्सीन के कम मात्रा वाले डोज (एक शॉट आधा और एक पूरा) को लेकर किया जा सकता है। 

गौरतलब है कि इसी डोज को लेकर हाल में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने माना था कि वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के दौरान कुछ डोज गलती से आधे रह गए थे। ट्रायल के दौरान प्रतिभागियों को यही डोज लगा दिए गए। हालांकि अच्छी बात यह रही कि इस डोज ने बीमारी के खिलाफ 90 प्रतिशत क्षमता दिखाई। हालांकि दूसरे शोधकर्ताओं को वैक्सीन पर सवाल उठाने का मौका भी मिल गया। यही कारण है कि एस्ट्राजेनेका ने तमाम सवालों का जवाब देने और वैक्सीन की क्षमता साबित करने के लिए एक और संभावित ट्रायल की बात कही है।

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बहरहाल, भारत में इस वैक्सीन के प्रॉडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन का काम एसआईआई देख रही है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी माना जाता है। इसके सीईओ के रूप में पूनावाला का कहना है कि कंपनी इस समय हर महीने कोवीशील्ड के पांच से छह करोड़ डोज तैयार कर रही है। जनवरी से उसकी योजना दस करोड़ डोज प्रति महीना मैन्युफैक्चर करने की है। पूनावाला ने कहा है कि टीके के डिस्ट्रीब्यूशन के मामले में भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'कोवाक्स' योजना को प्राथमिकता दी जाएगी। वहीं, बीती 28 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एसआईआई दौरे और उनसे हुई बातचीत के विषय में पूनावाला ने कहा, 'हमने वैक्सीनेशन के इम्प्लिमेंटेशन को लेकर चर्चा की, जिसे इमरजेंसी लाइसेंस दिए जाने के बाद ही लागू किया जा सकता है। इसके लिए हम डेटा मुहैया कराएंगे। हम कोई शॉर्ट कट नहीं लेना चाहते।'

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोवीशील्ड के इस्तेमाल के लिए आपातकालीन लाइसेंस लेने की तैयारी में सिरम इंस्टीट्यूट, दो हफ्तों में करेगी अप्लाई है

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