भारतीय दवा कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) कोविड-19 के इलाज के लिए बीसीजी वैक्सीन 'वीपीएम1002' के तीसरे चरण के ट्रायल कर रही है। कंपनी ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। इसके मुताबिक, एसआईआई यह देखना चाहती है कि बीसीजी वैक्सीन कोरोना वायरस के बुजुर्ग और गंभीर मरीजों, पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त संक्रमितों और वायरस के हाई-एक्सपोजर के खतरे में रह रहे हेल्थकेयर वर्कर्स में संक्रमण को कम करने की क्षमता रखती है या नहीं। कंपनी का दावा है कि वह करीब 6,000 लोगों पर वैक्सीन टेस्ट करने जा रही है। इन लोगों में कोविड-19 के मरीजों के करीबी संपर्क के लोग, बीमारी के प्रति ज्यादा संवेदनशील लोग और स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।
गौरतलब है कि नवजात बच्चों को ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) की बीमारी से बचाने के लिए बीसीजी का टीका नियमित रूप से लगाया जाता है। सरकार ने इसके लिए बकायदा नेशनल चाइल्डहूड इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम चला रखा है। टीबी की बीमारी एक प्रकार के बैक्टीरिया से होती है, जो मुख्य तौर पर मरीज के फेफड़ों की क्षमता प्रभावित करता है।
(और पढ़ें - कोविड-19: तमिलनाडु सरकार बीसीजी वैक्सीन से कोरोना वायरस के बुजुर्ग मरीजों का इलाज करेगी, लॉन्चिंग को दी हरी झंडी)
बताया जाता है कि बीसीजी वैक्सीन में एंटीवायरल और इम्यून सिस्टम को बढ़ाने वाली प्रोपर्टीज होती हैं, जनसे संक्रामक रोगों से सुरक्षा मिलती है। यही कारण है कि भारत समेत कुछ अन्य देशों में इस वैक्सीन को कोरोना वायरस के खिलाफ आजमाया जा रहा है। हालांकि सार्स-सीओवी-2 को खत्म करने के मामले में इसके प्रभावी होने के स्पष्ट सबूत अभी तक किसी रिसर्च रिपोर्ट में नहीं आए हैं। लेकिन अब एसआईआई वैक्सीन का प्रयोग करने जा रही है। कंपनी का कहना है कि उसके ट्रायल का मकसद बीसीजी वैक्सीन वीपीएम1002 की क्षमता का आंकलन करना है, इसलिए इसे कोविड-19 के बुजुर्ग संक्रमितों, गंभीर मरीजों और संक्रमण के खतरे में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर आजमाया जा रहा है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले तमिलनाडु में भी कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार बुजुर्ग मरीजों को बचाने के लिए बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आई थी। इस महीने के मध्य में आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि वह जल्दी ही ऐसे मरीजों के लिए बीसीजी वैक्सीन लॉन्च करेगी। बताया गया था कि चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन का ट्रायल करेगा। इसके लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने स्वीकृत दे दी थी।
(और पढ़ें - कोविड-19: भारत में मां से नवजात को कोरोना वायरस ट्रांसमिट होने का पहला मामला सामने आया)
क्या है बीसीजी वैक्सीन?
बीसीजी का मतलब है बेसिल कालमेट ग्युरिन। पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाली यह वैक्सीन मुख्य रूप से बच्चों को टीबी और दिमागी बुखार से बचाने के लिए लगाई जाती है। जानकार बताते हैं कि कई बार ब्लैडर कैंसर और ब्लैडर ट्यूमर के इलाज के लिए भी इस टीके का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को टीबी के रोगाणुओं से लड़ने में सक्षम बनाने के लिए बीसीटी टीका लगाया जाता है।
यह पहली बार नहीं है, जब कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों के इलाज के लिए भी इस टीके को आजमाने की बात सामने आई है। कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया में कोविड-19 के मरीजों को यह वैक्सीन दिए जाने की खबरें आई थीं। तब कुछ जानकारों ने कहा था कि यह टीका कोरोना संक्रमण से बचाव में कारगर साबित हो सकता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को खारिज करते हुए इसके इस्तेमाल की संभावना से इनकार कर दिया था।