अमेरिकी कंपनी फाइजर के बाद सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भी कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारत की सरकार से अनुमति मांगी है। कंपनी ने इसके लिए आवेदन दे दिया है, जिसकी तैयारी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद से ही कर रही थी। इसके साथ ही एसआईआई ऐसी दूसरी कंपनी बन गई है, जिसने भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन अभियान चलाने के लिए केंद्र सरकार के तहत आने वाले ड्रग नियामक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन दिया है। इससे पहले अमेरिका की फाइजर और जर्मनी की बायोएनटेक के संयुक्त प्रयास से विकसित हुई एक अन्य मजबूत कोविड-19 वैक्सीन बीएनटी162बी2 को भारत में कोविड-19 की रोकथाम में इस्तेमाल किए जाने की इजाजत मांगी गई है। इसकी निर्माता फाइजर ने डीसीजीआई के समक्ष आवेदन दिया है। वहीं, एसआईआई की वैक्सीन कोवीशील्ड की निर्माता ब्रिटेन की बड़ी दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका है, जिसने प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इस टीके को तैयार किया है। वहां इसका नाम एजेडडी1222 है।
एसआईआई ने यह आवेदन ऐसे समय में दिया है, जब एजेडडी1222 को ब्रिटेन की सरकार ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दे दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने कोवीशील्ड के मामले में एक सूत्र के हवाले से बताया है, 'कोवीशील्ड सुरक्षित और सहनीय है और लक्षित आबादी में कोविड-19 की रोकथाम के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकता है। लिहाजा बीमारी के व्यापक स्तर पर फैलने के खतरे के हिसाब से देखें तो ऐसा करना फायदेमंद है।' उधर, एसआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने आवेदन को लेकर ट्वीट कर कहा है, 'जैसा कि हमारा वादा था, 2020 के अंत से पहले सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहली बार मेड-इन-इंडिया वैक्सीन कोवीशील्ड के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए अप्लाई कर दिया है। इस कदम से अनगिनत जिंदगियां बचेंगी। मैं भारत सरकार और (प्रधानमंत्री) श्री नरेंद्रमोदी जी के बहुमूल्य समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।' बता दें कि पिछले महीने पूनावाला ने ही घोषणा की थी कि उनकी कंपनी दो हफ्तों में इस अप्रूवल के लिए अप्लाई करेगी।
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गौरतलब है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के सहयोग से कोवीशील्ड के देशभर में तीसरे चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं। ब्राजील में एक और यूके में दो ट्रायल पहले ही किए जा चुके हैं। इसके तहत एसआईआई ने अब तक चार परीक्षणों का डेटा डीसीजीआई से साझा किया है। बीते महीने चेन्नई में चल रहे ट्रायल के दौरान एक प्रतिभागी में कथित रूप से विपरीत रिएक्शन होने की बात सामने आई थी। हालांकि एसआईआई का कहना था कि इस घटना का संबंध कोवीशील्ड के वैक्सीनेशन से नहीं था। कंपनी और इसके सीईओ का दावा था कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इम्यूनिटी जनरेट करने में सक्षम है। वहीं, सरकार ने भी पिछले हफ्ते साफ कर दिया था कि उसके पास ऑक्सफोर्ड द्वारा निर्मित वैक्सीन के ट्रायल को रोकने का कोई कारण नहीं है। उसने ट्रायल की निगरानी करने वाले स्वतंत्र डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड और एथिक्स कमेटी द्वारा वैक्सीन को क्लीन चिट दिए जाने के बाद यह बात कही थी।
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इस बीच, फाइजर द्वारा किए गए आवेदन को लेकर अपडेट यह है कि सरकार की एक एक्सपर्ट कमेटी इस हफ्ते एक बैठक कर कंपनी की एप्लिकेशन पर विचार करेगी। खबर के मुताबिक, आवेदन में फाइजर ने कहा है कि उसकी वैक्सीन केवल सरकार द्वारा किए गए समझौतों के जरिये सप्लाई की जाएगी। इस पर इकनॉमिक टाइम्स ने एक वरिष्ठ सरकारी से बात की है, जिसने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया है, 'मामला सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी को रेफर कर दिया गया है। यह पैनल ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को नई दवाओं और वैक्सीन के अप्रूवल के संबंध में सलाह देने का काम करता है।'