भारत में कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए एक और कंपनी ने सरकार से अनुमति मांगी है। खबर है कि भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन दिया है। इससे पहले पुणे स्थित सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने भारत में अपनी-अपनी कोविड-19 वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए डीसीजीआई से इजाजत मांगी है। इस सिलसिले में अपडेट यह है कि डीसीजीआई के तहत एक्सपर्ट पैनल ने एसआईआई और फाइजर के आवेदनों की समीक्षा से जुड़ी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
हालांकि इन दोनों कंपनियों ने जिन टीकों के लिए अप्रूवल मांगा है, उन्हें भारत में विकसित नहीं किया गया है। फाइजर ने जर्मनी की फार्मा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर बीएनटी162बी2 वैक्सीन तैयार की है। वहीं, एसआईआई की कोरोना वायरस वैक्सीन कोवीशील्ड ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई है। वहां इस टीके का नाम एजेडडी1222 है।
यानी अब तक आए तीनों आवेदकों में से केवल भारत बायोटेक की वैक्सीन ही संपूर्ण रूप से भारत में बनी है। इस वैक्सीन का नाम कोवाक्सीन है, जिसे तीसरे चरण के ट्रायल के तहत इस समय देशभर में 25 अलग-अलग साइट्स पर 26 हजार प्रतिभागियों पर आजमाया जा रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, असम और अन्य राज्यों में हजारों लोगों को कोवाक्सीन के शॉट दिए जा रहे हैं। यहां बता दें कि कोवाक्सीन दो शॉट के तहत दी जाने वाले वैक्सीन है। पहले और दूसरे शॉट के बीच कुछ समय का गैप होता है। पूरी तरह वैक्सीनेट किए जाने के 14 दिनों बाद इसकी क्षमता का पता चलेगा।
उधर, एसआईआई और फाइजर के कोरोना टीकों को लेकर खबर है कि इनके आपातकालीन इस्तेमाल को लेकर सबमिट कराए गए आवेदन से संबंधित दस्तावेजों की जांच डीसीजीआई ने शुरू कर दी है। यह एग्जामिनेशेन तीन मानकों - सुरक्षा, गुणवत्ता और क्षमता - के आधार पर किया जाएगा। इसके बाद इन्हें सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसआईसी) की समीक्षा के लिए भेजा जाएगा। एसआईसी को लेकर जानकारी यह है कि वह इन आवेदनों को लेकर इस हफ्ते बैठक कर सकती है। इसमें विचार किया जाएगा कि फाइजर और एसआईआई की वैक्सीनों को आपातकालीन रूप से इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए या नहीं।
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अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने इस मुद्दे पर एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की है। उसने अखबार को बताया, 'यह एक महत्वपूर्ण विषय है और हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहेंगे। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हम सुरक्षा, प्रभाव और इम्यूनोजेनेसिटी के आंकड़ों का जरूरी आंकलन करेंगे।' वहीं, एक अन्य अधिकारी ने बताया कि फाइजर के आवेदन की समीक्षा के लिए तेज प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इस अधिकारी ने कहा, 'हम समीक्षा की प्रक्रिया में है। यह काम तेज प्रोसेस के तहत किया जा रहा है। सिरम इंस्टीट्यूट के लिए भी यही प्रोसेस होगा। यह समय की जरूरत है।'