कोविड-19 महामारी के बीच एक प्रभावी वैक्सीन की उम्मीद में बैठे लोगों का इंतजार जल्द खत्म हो सकता है। वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन विकसित करने से अब महज कुछ कदम ही दूर हैं। ऐसी संभावना है कि भारत में एक स्वदेसी वैक्सीन अगले साल की शुरुआत में ही आ सकती है। आईसीएमआर के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने समाचार एजेंसी रॉयटर को बताया कि भारत सरकार द्वारा समर्थित कोविड-19 वैक्‍सीन (कोवैक्सिन) फरवरी 2021 तक आ सकती है। उन्‍होंने कहा कि वैक्सीन से जुड़े नतीजे अब तक प्रभावी और सुरक्षित रहे हैं। वैक्‍सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो फरवरी की शुरुआत में वैक्‍सीन उपलब्ध होगी। गौरतलब है कि भारत बायोटेक कंपनी, आईसीएमआर के साथ मिलकर कोरोना की ये वैक्‍सीन बना रही है। पहले इस वैक्‍सीन के अगले साल की दूसरी तिमाही में आने की उम्मीद थी।

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वैक्सीन पूरी तरह से प्रभावी और सुरक्षित-शोधकर्ता
आईसीएमआर के वैज्ञानिक और केंद्र की कोविड टास्क फोर्स टीम के सदस्य डॉ. रजनीकांत के मुताबिक वैक्सीन ने अभी तक अच्छा प्रभाव दिखाया है, उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत में यानी फरवरी या मार्च में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।" इस तरह संभावना यह भी है कि फरवरी में लॉन्च होने वाली "कोवैक्सिन" भारत की पहली कोरोना वैक्सीन होगी। डॉ. रजनीकांत जो आईसीएमआर के अनुसंधान प्रबंधन, नीति, नियोजन और समन्वय सेल के प्रमुख हैं वो कहते हैं "यह स्वास्थ्य मंत्रालय पर निर्भर करता है कि क्या तीसरे चरण के परीक्षण समाप्त होने से पहले भी लोगों को कोवैक्सिन के शॉट्स दिए जा सकते हैं।"

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डॉ. कांत आगे कहते हैं, "ट्रायल-1, ट्रायल-2 और जानवरों पर की गई स्टडी में वैक्सीन से जुड़े सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन जब तक ट्रायल-3 खत्म नहीं हो जाता तब तक आप 100 प्रतिशत सुनिश्चित नहीं हो सकते। चूंकि, जोखिम हो सकता है लेकिन अगर आप जोखिम लेने को तैयार हैं तो आप वैक्सीन का शॉट ले सकते हैं। हालांकि, अगर जरूरत पड़ती है तो सरकार आपातकालीन स्थिति में वैक्सीन देने के बारे में सोच सकती है।"

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इमरजेंसी में वैक्सीन देने पर हुआ था विचार
दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सितंबर में कहा था कि सरकार कोविड-19 वैक्सीन के लिए एक आपातकालीन अनुमति देने पर विचार कर रही थी। विशेष रूप से बुजुर्गों और उन लोगों के लिए जो अपने काम के दौरान संक्रमण के अधिक जोखिम में है। गौरतलब है कि कई वैक्सीन कैंडिडेट्स पहले से ही ट्रायल के अंतिम चरण में हैं। इसमें भी ब्रिटेन के एस्ट्राएनेका द्वारा विकसित वैक्सीन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। ब्रिटेन को उम्मीद है कि इसी साल दिसंबर के अंत में या फिर 2021 की शुरुआत में इस वैक्सीन को रोल आउट किया जा सकता है।

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क्या है कोवैक्सिन?
कोवैक्सिन भारत में तैयार हो रही पहली कोविड-19 वैक्सीन है, जिसे असक्रिय वैक्सीन कैंडिडेट बताया जा रहा है, क्योंकि कोवैक्सिन को तैयार करने में वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस के मृत कणों (डेड पार्टिकल्स) का इस्तेमाल किया है। इस कारण यह वैक्सीन किसी को संक्रमित नहीं कर सकती। लेकिन भारत बायोटेक का दावा है कि यह मृत कण शरीर में जाकर नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा कर सकते हैं। जुलाई 2020 में कोवैक्सिन के मानव परीक्षण का पहला ट्रायल शुरू हुआ था और सितंबर में कंपनी को दूसरे चरण का ट्रायल करने की अनुमति मिली थी।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: फरवरी तक लॉन्च हो सकती है स्वदेशी कोवैक्सिन, आईसीएमआर ने दिखाया उम्मीद का दीया है

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