भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भारत में बनी एक कोरोना वायरस आरटी-पीसीआर डायग्नॉस्टिक टेस्ट किट को इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। 'ग्लोबल टीएम डायग्नॉस्टिक किट' नाम की इस किट को इक्वीन बायोटेक नामक स्टार्टअप कंपनी ने तैयार किया है, जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के एक फैकल्टी सदस्य उत्पल तटू ने शुरू किया था। खबर के मुताबिक, किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस होने की पुष्टि करने के लिए यह टेस्ट किट डेढ़ घंटे का समय लेती है। किट के बारे में जानकारी देते हुए उत्पल तटू ने कहा कि इस किट के सही परिणाम देने की क्षमता विश्वसनीय है और इसकी कीमत भी मौजूदा अन्य टेस्टिंग किट्स से काफी कम है। आईआईएससी के फैकल्टी मेंबर ने बताया, 'कोरोना वायरस से जुड़े संक्रमणों की टेस्टिंग को लेकर हमारा स्टार्टअप सालों से काम कर रहा है। इस अनुभव ने हमें कोविड-19 की टेस्ट किट बनाने में मदद की है।'
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किट को लेकर आईआईएससी ने बयान जारी कर बताया कि यह वायरस को डिटेक्ट करने के लिहाज से संवेदनशील, तेज और किफायती कोविड-19 डॉयग्नॉस्टिक किट है। संस्थान के मुताबिक, इसका इस्तेमाल आसान है और इसकी स्पेसिफिटी यानी वायरस मौजूद नहीं होने का पता लगाने की क्षमता 100 प्रतिशत है। आईआईएससी का दावा है कि यह टेस्ट किट बाजार में मौजूद अन्य टेस्टिंग किट्स से ज्यादा तेजी से परिणाम दे सकती है। बयान में संस्थान ने कहा है कि किट को आधिकारिक मंजूरी मिलने के बाद इक्वीन बायोटेक इसकी बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करने और बेचने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की कोशिश रही है। इस बारे में बयान में कहा गया है, 'समझौते में (टेस्टिंग किट को तैयार करने की) तकनीक को ट्रांसफर करने और मैन्युफैक्चरिंग में सपोर्ट करने की शर्त शामिल होगी। हम मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी ऐसी तकनीकी कंपनियों की तलाश कर रहे हैं, जिन्हें डायग्नॉस्टिक किट्स के वितरण और मार्केटिंग दोनों का अनुभव हो।'
इससे पहले, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने टाटा समूह द्वारा विकसित किए गए कम लागत वाले क्रिस्प्र (क्लस्टर्ड रेग्युलर्ली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रोमिक रिपीट्स) कोविड-19 टेस्ट को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने की अनुमति दे दी है। क्रिस्प्र नामक जीन एडिटिंग तकनीक से तैयार किए गए इस टेस्ट का नाम 'फेलूदा' है, जिसे कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए कुछ महीने पहले तैयार किया गया था। भारत में ही बने इस टेस्ट को आखिरकार सरकारी नियामक एजेंसियों से कमर्शियल बाजार में उतारने की इजाजत मिल गई है।
इस बारे में बयान जारी करते हुए सीएसआईआर ने कहा था टाटा क्रिस्प्र टेस्ट की वायरस को डिटेक्ट करने की क्षमता आरटी-पीसीआर टेस्ट जितनी है, जिसे कोरोना वायरस की टेस्टिंग में 'गोल्डन स्टैंडर्ड' वाला परीक्षण माना जाता है। विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसी ने यह भी बताया था कि टाटा क्रिस्प्र कोविड-19 टेस्ट को आरटी-पीसीआर टेस्ट की अपेक्षा ज्यादा जल्दी पूरा किया जा सकता है। इसमें लगने वाली लागत भी काफी कम है और इस्तेमाल भी ज्यादा आसान है। यहां बता दें कि टाटा ग्रुप ने जिस क्रिस्प्र तकनीक की मदद से यह टेस्ट तैयार किया है, उसे सीएसआईआर ने इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के साथ मिलकर विकसित किया है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में टाटा समूह और इक्वीन बायोटेक में से किसके कोविड-19 टेस्ट को ज्यादा कामयाबी मिलती है।
चलते-चलते बता दें कि भारत में कोरोना संक्रमण की चपेट में आए लोगों की पहचान करने के लिए किए जा रहे टेस्टों ने नया आंकड़ा छू लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने शनिवार को बताया कि देश में अब तक सात करोड़ से ज्यादा कोविड-19 टेस्ट किए जा चुके हैं। शुक्रवार को 13 लाख 44 हजार 535 कोरोना टेस्ट किए गए हैं। आईसीएमआर के मुताबिक, इससे अब तक किए गए परीक्षणों की संख्या सात करोड़ दो लाख 69 हजार 975 हो गई है। इस मामले में केवल चीन और अमेरिका ही भारत से आगे हैं। चीन में जहां 16 करोड़ से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं, वहीं अमेरिका में यह आंकड़ा दस करोड़ से ज्यादा है। हालांकि भारत और चीन से कम जनसंख्या होने के चलते वहां प्रति दस लाख की आबादी पर होने वाले टेस्टों की संख्या काफी अधिक है।
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