यूरोपीय संघ (ईयू) के ड्रग नियामक के सदस्यों और कानून निर्माताओं ने कोविड-19 वैक्सीन को अप्रूवल दिए जाने को लेकर दिखाई जा रही जल्दबादी पर चेतावनी दी है। यूरोपीय संघ में दवाओं से जुड़े मामलों की निगरानी करने वाली यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने कहा है कि वैक्सीन को स्वीकृति देने के लिए लंबी प्रक्रिया अपनाना ज्यादा उचित है। ईएमए का कहना है कि ब्रिटेन ने वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए (जल्दबाजी में) जो इमरजेंसी प्रोसीजर अपनाया, उसके मुकाबले लंबी प्रक्रिया अपनाने से वैक्सीन की क्षमता के संबंध में ज्यादा साक्ष्यों का पता चलता और उसकी ज्यादा बार जांच की जा सकती थी।
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गौरतलब है कि बुधवार को ब्रिटेन की सरकार ने अपने यहां की ड्रग एजेंसी एमएचआरए के अप्रूवल के बाद बीएनटी162बी2 नामक कोविड-19 वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। इस वैक्सीन को अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन फार्मा कंपनी बायोएनटेक द्वारा विकसित किया गया है। ब्रिटेन दुनिया का पहला देश है जहां किसी कोविड-19 वैक्सीन को इस्तेमाल करने की औपचारिक अनुमति दी गई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वैक्सीन को अप्रूवल देने के लिए ब्रिटिश प्रशासन ने बहुत तेज गति के साथ जांच प्रक्रिया को अंजाम दिया है, जिसे लेकर कई जानकारों और विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। कइयों का आरोप है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अमेरिकी वैक्सीन को मंजूरी दिलवाई है। बताया जाता है कि जॉनसन कोरोना वायरस संकट से निपटने के अपने तौर-तरीकों को लेकर पहले से आलोचना झेल रहे हैं। वे खुद भी गंभीर रूप से इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।
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कई जानकारों का कहना है कि आलोचकों के आरोप निराधार नहीं हैं। वे तर्क देते हैं कि कोविड-19 की रोकथाम के लिए सबसे भरोसेमंद मानी जा रही एजेडडी1222 वैक्सीन ब्रिटेन में ही विकसित हुई है। हालांकि इस समय यह वैक्सीन ट्रायल में हुई गड़बड़ी के चलते विवादों में है। लेकिन, कोरोना संक्रमण की रोकथाम के संबंध में इसकी क्षमता पर अभी तक सवाल नहीं उठाए गए हैं। फिर भी बोरिस जॉनसन अपने देश में निर्मित वैक्सीन के बजाय अमेरिका में बनी वैक्सीन को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि आलोचक फाइजर की वैक्सीन को आपातकालीन मंजूरी मिलने को बोरिस जॉनसन की अपनी छवि सुधारने के राजनीतिक प्रयास के रूप में देख रहे हैं। लेकिन उनका यह कदम यूरोप में सराहा नहीं जा रहा है। फाइजर वैक्सीन को ब्रिटेन में स्वीकृति मिलने से पहले मंगलवार को ईएमए ने इस बारे में किए गए सवालों पर कहा था, 'ईएमए समझती है कि मौजूदा महामारी के कारण पैदा हुए आपातकाल में वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए शर्तों के साथ मार्केटिंग अधिकार दिया जाना सबसे उचित नियामक व्यवस्था है।'
वहीं, बुधवार को वैक्सीन को मिली मंजूरी के बाद ईयू के सदस्यों ने ब्रिटिश सरकार की आलोचना की। जर्मन चांसलर अंगेला मर्केल की पार्टी की सदस्य और ईयू के लॉमेकर पीटर लेज ने कहा, 'मेरे विचार में यह निर्णय समस्या पैदा करने वाला है। मेरा सुझाव है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देश इस प्रकार के प्रोसेस को न दोहराएं। ऐसी जल्दबाजी दिखाते हुए वैक्सीन को इमरजेंसी मार्केटिंग ऑथराइजेशन देने से बेहतर है यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी कुछ हफ्तों तक जांच करे।' वहीं, ईयू में सोशलिस्ट ग्रुप के लॉमेकर टिएमो वॉल्कन ने कहा, 'पूरी दुनिया में वैक्सीन को जल्दी से जल्दी मार्केट में लाने की होड़ साफ दिखती है। हालांकि मेरा मानना है कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वैक्सीन को स्वीकृति गुणवत्ता, क्षमता और सुरक्षा की गारंटी और ईयू के मानकों पर दी जाए।'