रूस द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक 5 के क्लिनिकल ट्रायल में प्रतिभागियों में कोरोना संक्रमण फैलने के मामले सामने आए हैं। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट में स्पुतनिक 5 को बनाने में शामिल रहे एक अधिकारी के हवाले से यह दावा किया गया है। रूसी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने बताया है कि इन मामलों का पता चलने के बाद वैक्सीन बनाने वाला रूस का गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर (जीएनआरसी) प्रतिभागियों से जुड़ा डेटा डिसक्लोज करने पर विचार कर रहा है। इस डेटा से यह पता चल सकता है कि ट्रायल के दौरान किन प्रतिभागियों को वैक्सीन दी गई है और किन्हें नहीं। बता दें कि गामालेया रिसर्च सेंटर रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आता है। इससे पहले जीएनआरसी के डेप्युटी रिसर्च डायरेक्टर डेनिस लोगुनोव ने कहा था कि प्रतिभागियों को ट्रायल टेस्ट के अंत में बताया जाएगा कि उनमें से किसे वैक्सीन दी गई है और किसे वैक्सीन के प्रभाव की तुलना के लिए केवल प्लसीबो ड्रग दिया गया है।
वहीं, सेंटर के डायरेक्टर एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तीसरे चरण के वैक्सीन ट्रायल में शामिल किए गए 40 हजार वॉलंटियर्स के अंतिम ग्रुप को जनवरी 2021 के अंत तक टीका लगाया जाएगा। तब तक डेटा को डिसक्लोज करने पर विचार नहीं किया गया था। वहीं, इस सवाल पर कि अगर डेटा को ट्रायल के पूरा होने के बाद ही डिसक्लोज किया जाएगा तो उससे पहले इसके प्राथमिक परिणामों का कैसे पता चलेगा, एलेक्जेंडर ने कहा था कि इस संबंध में नए संशोधन लाकर कानून में बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन ट्रायल के चलने के दौरान ही प्रतिभागियों में संक्रमण के मामले सामने आने के बाद इस पूरी योजना पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। अब इस पर जीएनआरसी प्रमुख ने कहा है कि हो सकता है कि जिन प्रतिभागियों में संक्रमण दिखा है, उन्हें वैक्सीनेट न किया गया हो और वे केवल प्लसीबो प्राप्त करने वाले वॉलंटियर्स हों।
क्या है स्पूतनिक 5?
रूस द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन स्पूतनिक 5 को वहां के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिल कर तैयार किया है। इस टीके को बनाने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसे एडीनोवायरस नामक एक हल्के कोल्ड वायरस की मदद से तैयार हुआ है, जिसमें कोरोना वायरस के वंशाणु को जोड़ा दिया गया है। दावा है कि शरीर में जाने के बाद एडीनोवायरस सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को खत्म करने या उसे रोकने वाले एंटीबॉडी पैदा करने का काम करता है। बता दें कि ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी की चर्चित कोविड-19 वैक्सीन कोवीशील्ड के निर्माण में भी इसी वायरस का इस्तेमाल किया गया है। खबरों के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने भी अपनी 'प्रभावी' वैक्सीन में सर्दी जुकाम देने वाले इस वायरस को उपयोग किया है। वैक्सीन निर्माण में यह एक नई तकनीक है, जिसे इबोला वायरस के इलाज के लिए भी वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल किया जा चुका है।
लेकिन ऑक्सफोर्ड और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियां जहां अंतिम चरण के ट्रायलों की तैयारियों में जुटी हुई हैं, वहीं रूस ने केवल पहले चरण के तहत मात्र 38 लोगों पर आजमाने के बाद स्पूतनिक 5 को आधिकारिक तौर पर लॉन्च कर दिया था। हालांकि ट्रायल में सभी प्रतिभागियों के शरीर में एंटीबॉडी पैदा होने का दावा किया गया था, लेकिन लाखों की आबादी के लिए वैक्सीन के इस्तेमाल का इसे मजबूत आधार नहीं माना जा रहा। विवादों के बीच कुछ समय पहले ही मेडिकल पत्रिका दि लांसेट ने अपने विश्लेषण में स्पूतनिक 5 को सुरक्षित और कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत एंटीबॉडी पैदा करने वाली बताया था। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस पर सवाल उठाए हैं।