अमेरिका और चीन में कोविड-19 महामारी की काट निकालने के दो नई वैक्सीन सामने आई हैं। खबरों के मुताबिक, अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया की पहली नेजल कोविड वैक्सीन तैयारी की है। इसके एक डोज से चूहों में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोकने में सफलता मिलने का दावा किया गया है। उधर, चीन के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र की एक स्थानीय सरकार ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वहां के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कीड़े की कोशिकाओं की मदद से कोविड-19 की संभावित वैक्सीन तैयार की है।

खबरों के मुताबिक, चीन में कोविड-19 के इलाज के लिए तैयार की गई इस नई वैक्सीन के मानव परीक्षणों को मंजूरी दे दी गई है। चेंगदु प्रांत की स्थानीय सरकार द्वारा जारी किए नोटिस में बताया गया है कि चीन की सिचुआन यूनिवर्सिटी के वेस्ट चाइना अस्पताल के वैज्ञानिकों ने कीड़े की कोशिकाओं की मदद से इस वैक्सीन को विकसित किया है। यह टीका कोविड-19 की सस्ती वैक्सीन बनाने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया है कि कोरोना वायरस के खिलाफ प्रोटीनों के विकास के लिए कीड़े की कोशिकाओं का इस्तेमाल किया गया है। एजेंसी ने स्थानीय सरकार के हवाले से बताया है कि इस तकनीक से वैक्सीन को बड़े पैमाने पर तेजी से तैयार किया जा सकता है। वहीं, स्थानीय सरकार के नोटिस की मानें तो चीन के नेशनल मेडिकल प्रॉडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन ने इस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायलों को स्वीकृति दे दी है। इससे पहले बंदरों पर हुए परीक्षणों के दौरान वैक्सीन में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोकने की क्षमता दिखाई दी है। ऐसा करते हुए बंदरों में कोई स्पष्ट दुष्प्रभाव भी सामने नहीं आए हैं।

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उधर, अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ पहली नेजल वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है। उनका कहना है कि एनीमल मॉडल के तहत किए गए क्लिनिकल ट्रायलों में वैक्सीन ने चूहों में संक्रमण को फैलने से रोकने की क्षमता दिखाई है और ऐसा केवल वैक्सीन के पहले डोज में होता पाया गया है। इस सफलता के बाद वैज्ञानिक इस टीके को अन्य नर वानरों और उसके बाद इन्सानों पर आजमाने की योजना बना रहे हैं। वहीं, चूहों पर किए गए ट्रायल से जुड़ा अध्ययन सेल पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।

इस नई वैक्सीन की खासियत यह है कि कोविड-19 के लिए बनाई गई अन्य वैक्सीनों से अलग इसे नाक से दिया जाता है। दुनियाभर के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का कहना है कि नए कोरोना वायरस के एक व्यक्ति से दूसरे लोगों के बीच फैलने का सबसे प्रमुख माध्यम नाक है, जहां इस विषाणु का संकम्रण फैलता भी सबसे पहले है। यहां से वायरस श्वसन मार्ग और फेफड़ों के बीच के अंगों को संक्रमित करना शुरू करता है। इसीलिए एक ऐसी नई वैक्सीन तैयारी की गई, जिसे सीधे नाक में लगाया जा सके। सेल पत्रिका में छपे अध्ययन की मानें तो चूहों पर किए गए ट्रायल में वैक्सीन ने नाक के जरिये शरीर में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा किया है। शरीर के इस हिस्से और श्वसन मार्ग में वैक्सीन का प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिला।

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इस तरह विकसित की वैक्सीन
वैक्सीन को डेवलेप करने के लिए शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को एक अन्य विषाणु एडीनोवायरस के अंदर डाला। यह विषाणु सामान्य सर्दी जुकाम की वजह बनता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन की मदद से एडीनोवायरस को चूहों को बीमार करने योग्य बना दिया। इसके बाद इसे चूहों की नाक के जरिये उनके शरीर में भेजा गया। इस गैर-हानिकारक वायरस से चूहों के शरीर में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इम्यून डिफेंस विकसित हुआ। ऐसा होते समय चूहों में कोई बीमारी देखने को नहीं मिली।

अच्छी बात यह रही कि यह काम एक ही डोज में हो गया। इस पर खुशी जाहिर करते हुए अध्ययन के सह-लेखक डॉ. डेविड कुरियल कहते हैं, 'सभी अन्य एडीनोवायरस वैक्सीन इन्जेक्शन के जरिये दी जाती हैं। उन्हें बाजू या जांघ पर लगाया जाता है। नाक एक नया रूट है और इसलिए हमारे अध्ययन में आए परिणाम भी हैरान और भरोसा करने वाले हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि केवल एक ही डोज से मजबूत इम्यून प्रतिक्रिया देखने को मिली है। (वायरस से) संपूर्ण सुरक्षा के लिए जिन वैक्सीनों को दो बार देने की जरूरत पड़ती है, वे इतनी डोज में कम प्रभावी रहती हैं, क्योंकि कई लोगों को किसी न किसी वजह से दूसरा डोज मिल ही नहीं पाता।'

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: चीन में कीड़े की कोशिकाओं से बनी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी, अमेरिका में कोरोना वायरस की पहली नेजल वैक्सीन तैयार हुई है

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