भारत में कोविड-19 की पहली वैक्सीन बनाने वाली दवा कंपनी भारत बायोटेक (बीबीआईएल) को कोरोना वायरस के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली है। खबर है कि कंपनी ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन 'कोवाक्सिन' को 'एनीमल ट्रायल में सफल' बताया है। खबरों के मुताबिक, शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए भारत बायोटेक ने कहा कि जानवरों (बंदरों के समूह) पर किए गए परीक्षणों में वैक्सीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ 'मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स' पैदा किया है। कंपनी के मुताबिक, '(कोवाक्सिन) वैक्सीन कैंडिडेट से (जानवरों में) मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स देखने को मिला है। इस तरह वैक्सीन वायरस की उच्च मात्रा से संक्रमित किए गए बंदरों को संक्रमण से बचाने में कामयाब रही है।'
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बीबीआईएल ने 20 बंदरों वाले चार समूहों को कोवाक्सिन वैक्सीन लगाई थी। कंपनी ने बताया है कि ट्रायल के तहत वैक्सीन के दो शॉट इन बंदरों को दिए गए थे। प्रेस रिलीज में बीबीआईएल ने कहा है, 'एक समूह को प्लसीबो (ड्रग) दिया गया। बाकी तीनों समूह के बंदरों को पहले से 14वें दिन के बीच वैक्सीन कैंडिडेट से इम्यूनाइज किया गया। दूसरे डोज के बाद 14वें दिन तक सभी बंदर वायरल संक्रमित हो गए थे। परिणाम से पता चलता है कि वैक्सीन ने सार्स-सीओवी-2 को रोकने वाले इम्यूनोग्लोबुलिन जी और न्यूट्रालाइजिंग एंटीबॉडी बढ़ाते हुए प्रोटेक्टिव क्षमता दिखाई है।' कंपनी की मानें तो वैक्सीन के असर के चलते प्रतिभागी बंदरों की नाक, गले और फेफड़ों के ऊतकों में वायरस का रेप्लिकेशन बंद हो गया। वहीं, जिन तीन समूहों को वैक्सीनेट किया गया था, उनमें निमोनिया होने के भी कोई लक्षण नहीं मिले।
क्या है कोवाक्सिन?
कोरोना वायरस को खत्म करने के प्रयासों के तहत कई वैक्सीन तैयार की गई हैं। इनमें कोवाक्सिन भारत में तैयार हुई पहली कोविड-19 वैक्सीन है। इसे 'असक्रिय वैक्सीन' कैंडिडेट बताया जाता है। दरअसल, कोवाक्सिन को तैयार करने में वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस के डेड पार्टिकल्स का इस्तेमाल किया है। इसी कारण यह वैक्सीन किसी को संक्रमित नहीं कर सकती। वायरस अपने मृत कणों के जरिये अपनी कॉपियां नहीं बना सकता है। लेकिन यही पार्टिकल्स शरीर में जाकर सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करते हैं, ऐसा भारत बायोटेक का दावा है। इसके मुताबिक, कोवाक्सिन मृत विषाणु के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार करने में शरीर की मदद करती है।
कोवाक्सिन के मानव परीक्षण इस साल जुलाई के मध्य में शुरू हुए थे। इसी महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कंपनी को दूसरे चरण के ट्रायल करने की अनुमति दी है। पहले चरण में वैक्सीन के सुरक्षित होने पर फोकस किया गया था। अब दूसरे स्टेज में इसकी क्षमता को परखा जाएगा, जिसके लिए वैक्सीन को और ज्यादा प्रतिभागियों पर आजमाया जाएगा। अगर ये चरण भी कामयाब रहा तो वैक्सीन को व्यापक रूप से प्रभावी साबित करने के लिए तीसरे चरण के ट्रायल के तहत बड़ी संख्या में लोगों को लगाया जाएगा। यहां चलते-चलते बता दें कि कोवाक्सिन का निर्माण भारत बायोटेक ने देश की सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च एजेंसी आईसीएमआर के साथ मिलकर किया है।