कोविड-19 महामारी की रोकथाम को लेकर शुरू से चर्चा में रही, लेकिन इन दिनों सवालों में घिरी एजेडडी1222 वैक्सीन को लेकर रूस ने बड़ा दावा किया है। रूस की सरकारी वित्तीय कंपनी रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने कहा है कि एजेडडी1222 वैक्सीन की निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका रूसी वैक्सीन स्पुतनिक 5 के साथ अपनी कोरोना वैक्सीन को मिश्रित कर इस नए वैक्सीन कॉम्बिनेशन के ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल करेगी। आरडीआईएफ की मानें तो ये ट्रायल इसी साल के अंत तक शुरू कर दिए जाएंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आरडीआईएफ की अधिकारी किरिल दिमित्रेव ने एक बयान में कहा है कि रूस इस नई कंबाइंड वैक्सीन के संयुक्त उत्पादन को लेकर प्रतिबद्ध है। किरिल ने कहा कि नए क्लिनिकल ट्रायलों में मिश्रित वैक्सीन की क्षमता साबित होने पर रूसी वित्तीय कंपनी और ब्रिटिश दवा कंपनी साथ मिलकर वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग का काम एकसाथ शुरू करेंगी।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले शुक्रवार को एस्ट्राजेनेका ने घोषणा की थी कि वह अपनी प्रयोगात्मक वैक्सीन को स्पुतनिक 5 के साथ मिश्रित कर इस कॉम्बिनेशन की क्षमता की जांच करेगी। इस बारे में रूस के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रयास से कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन क्षमता को तेजी से बूस्ट मिलेगा। वहीं, किरिल दिमित्रेव ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ अलग-अलग देशों के वैज्ञानिकों का आपसी सहयोग इस महामारी को हराने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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रूस के लिए बाजार, एस्ट्राजेनेका की मजबूरी
एस्ट्राजेनेका और आरडीआईएफ ने अपनी-अपनी वैक्सीनों को मिश्रित कर नए वैक्सीन कॉम्बिनेशन को कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल करने का फैसला ऐसे समय में लिया है, जब ये दोनों ही कंपनियां अपनी-अपनी कोविड-19 वैक्सीन की क्षमताओं को लेकर सवालों के घेरे में हैं। स्पुतनिक 5 शुरुआत से ही विवादों में रही है। इस वैक्सीन को रूस की सरकार ने अंतिम और निर्णायक चरण वाले परीक्षणों के बिना ही कोविड-19 की पहली वैक्सीन घोषित कर दिया था। यह अभी तक पूरी तरह साफ नहीं है कि स्पुतनिक 5 वाकई में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के मामले में कितनी सक्षम है।
एस्ट्राजेनेका के साथ आने की एक और बड़ी वजह यह भी हो सकती है कि स्पुतनिक 5 को और देशों में बेचने के लिए रूस को बाजार मिल जाएगा। प्रोटोकॉल के तहत उचित ट्रायलों और डेटा के बिना ही अप्रूव हुई इस वैक्सीन को अमेरिका और यूरोपीय देशों ने खारिज किया हुआ है। इसके चलते रूस कुछ एशियाई देशों के अलावा स्पुतनिक 5 का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार नहीं कर पा रहा है। लेकिन अगर एजेडडी1222 के साथ मिश्रित टीके के रूप में इसने अपेक्षित परिणाम दिए तो रूस की इस समस्या का हल निकल सकता है। एक और बड़ा कारण यह है कि रूस में स्पुतनिक 5 को लोगों के लिए फ्री किए जाने के बाद भी इसका व्यापक इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है, क्योंकि लोगों में टीके को लेकर विश्वास की कमी है। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के बहाने उसे इस विश्वास को बढ़ाने का जरिया भी मिलेगा।
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वहीं, ब्रिटिश कंपनी की मजबूरी यह है कि कोविड-19 के खिलाफ उसकी वैक्सीन की क्षमता ही इन दिनों संदेह के घेरे में है। हाल में कंपनी ने दावा किया था कि अलग-अलग डोज के साथ एजेडी1222 कोविड-19 की रोकथाम में 62 और 90 प्रतिशत से ज्यादा की क्षमता रखती है। संदेह तब पैदा हुआ जब कंपनी ने बताया कि वैक्सीन का फुल डोज (दो खुराक) 62 प्रतिशत सक्षम पाया गया और डेढ़ डोज वाला शॉट 90 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ। बाद में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने माना कि ट्रायल में इस्तेमाल की गई कुछ शीशियों में 'गलती से' आधी डोज ही भर पाई थीं, जो प्रतिभागियों को लगा दी गईं। संयोग से यह डोज पहले से निश्चित डोज से ज्यादा प्रभावी निकला। यह जानकारी कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे ज्यादा भरोसेमंद मानी जा रही वैक्सीन की विश्वसनीयता के लिए नुकसानदेह साबित होता दिखा है।
वहीं, बाद में जानी-मानी मेडिकल पत्रिका दि लांसेट ने नए डेटा विश्लेषण के आधार पर वैक्सीन को 70 प्रतिशत प्रभावी बताया। हालांकि इस बार यह साफ नहीं हो सका कि टीका 55 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए किस प्रकार सक्षम है। इन नई जानकारियों से आम लोगों और मेडिकल जानकारों में यह संदेश गया है कि शायद एजेडडी1222 कोरोना संक्रमण की रोकथाम में फाइजर और मॉडेर्ना जैसी कंपनियों द्वारा निर्मित वैक्सीनों से कम क्षमता रखती है। यह जानकारी लोगों में मनोवैज्ञानिक रूप से इस वैक्सीन को लेकर पैदा हुए विश्वास को कम करने का कर सकती है। चूंकि अब वैक्सीन निर्माण के काम को फिर से शुरू करने का समय नहीं है और कंपनी फिर से हजारों लोगों का ट्रायल कर कोविड वैक्सीनेशन की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहेगी, इसलिए उसने (संभवतः मजूबरी में) प्रयोग के तहत स्पुतनिक 5 के साथ अपने टीके को मिक्स करने का विकल्प चुना है। शायद इस एक्सपेरिमेंट से कंबाइंड वैक्सीन की क्षमता पर्याप्त प्रतिशत के साथ निकल आए।
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एस्ट्राजेनेका ने यह कदम इसलिए भी उठाया है, क्योंकि अलग-अलग देशों की सरकारों ने फाइजर की बीएनटी162बी2 को मंजूरी देना शुरू कर दिया है। अगर सभी सरकारों ने फाइजर की ही वैक्सीन के ऑर्डर देना शुरू कर दिए तो वैक्सीन निर्माण में एस्ट्राजेनेका द्वारा लगाया गया निवेश भी बेकार साबित होगा। यानी इस समझौते के पीछे आर्थिक नुकसान का अंदेशा भी एक बड़ा कारण हो सकता है।