ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवीशील्ड' (वैक्सीन का भारतीय नाम) से चेन्नई के एक प्रतिभागी में कथित विपरीत रिएक्शन होने का मामला सरकार की वैक्सीनेशन योजना को प्रभावित नहीं करेगा। मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने यह बात कही। केंद्र की ओर से उन्होंने कहा कि कोवीशील्ड वैक्सीन के ट्रायल को रोकने की कोई सटीक वजह नहीं है।

गौरतलब है कि सिरम इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए कोवीशील्ड के ट्रायल में एक प्रतिभागी में कथित रूप से विपरीत प्रभाव दिखने की बात सामने आई थी। इस प्रतिभागी का कहना था कि वैक्सीन लगाए जाने के कारण उसकी हालत बिगड़ गई थी। इस दावे के आधार पर प्रतिभागी ने एसआईआई से पांच करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी। हालांकि एसएसआई ने उसके खिलाफ यह कहते हुए 100 करोड़ का मानहानि का दावा कर दिया था कि उसमें दिखे विपरीत रिएक्शन का संबंध वैक्सीन से नहीं था। कंपनी ने दावा किया था कि कोवीशील्ड पूरी तरह सुरक्षित है।

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इस विवाद के बीच टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) अखबार ने कुछ प्रतिभागियों के हवाले से बताया है कि ट्रायल के दौरान एक प्रतिभागी में रिएक्शन होने की बात उन्हें नहीं बताई गई थी। टीओआई से बातचीत में ट्रायल में शामिल एक अन्य प्रतिभागी ने बताया, 'मुझे वैक्सीन का पहला शॉट 8 अक्टूबर को मिला था। 6 नवंबर को दूसरा शॉट दिया गया। इससे पहले ही 11 अक्टूबर को चेन्नई में प्रतिभागी ने बीमार होने की सूचना दी थी। लेकिन उन्होंने (कंपनी) हमें इसके बारे में क्यों नहीं बताया? यह मामला केवल इसलिए सामने आया, क्योंकि प्रतिभागी ने मुकदमा दायर करने की धमकी दी थी। नहीं तो कौन जानता है कि वास्तव में ऐसे कितने मामले हुए हैं।'

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एक अन्य प्रतिभागी के मुताबिक, ट्रायल केंद्र में मुख्य जांचकर्ता ने दावा किया था कि वैक्सीन की टेस्टिंग में सभी प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर को चेन्नई के प्रतिभागी में विपरीत रिएक्शन होने की सूचना दी गई थी। लेकिन उन्होंने यह जानकारी दूसरे प्रतिभागियों को बताना उचित नहीं समझा। इस पर एक दूसरे प्रतिभागी ने कहा कि अगर इस तरह से कोई नकारात्मक घटनाओं का जिक्र करता तो प्रतिभागियों में भय का माहौल पैदा होता। हालांकि इस प्रतिभागी ने यह भी कहा, 'मेरे डॉक्टर का कहना है कि स्वास्थ्य संबंधी जो भी गंभीर प्रतिकूल घटनाएं हुईं, वे वैक्सीन के कारण नहीं थीं। लेकिन क्या होता अगर ये घटनाएं वैक्सीन से जुड़ी होती तो?'

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उधर, मामले से जुड़े सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का कहना था कि ट्रायल के प्रोसेस को रोकने का कोई स्पष्ट कारण नहीं है और घटनाओं से निपटने के लिए हर चीज पहले से तय है। उन्होंने का कि ट्रायल को तब रोका जा सकता है, जब नियमों का पालन न किया गया हो।' इस आधार पर उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि चूंकि प्रतिभागी ने मामला अदालत में दायर किया है, इसलिए वे कोर्ट के मामले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। हालांकि प्रतिभागी के वकील का कहना है कि अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है और कंपनी ने भी कानूनी नोटिस नहीं भेजा है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कोवीशील्ड के ट्रायल के दौरान कथित विपरीत रिएक्शन होने का मामला, स्वास्थ्य सचिव ने कहा- इससे वैक्सीनेशन योजना पर कोई असर नहीं है

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