फ्रांस के ल्योन शहर स्थित एक अस्पताल में परीक्षण के तहत एक ऐसी मशीन की मदद से कोविड-19 की पहचान की जा रही है, जो कथित रूप से केवल सेकंडों में कोरोना वायरस को डिटेक्ट कर सकती है। यह मशीन असल में एक प्रकार के ब्रेथलाइजर की तरह काम करती है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को इस मशीन में लगी ट्यूब में सांस भरने को कहा जा रहा है। दावा है कि इसके बाद कुछ ही सेकंडों में वायरस का पता लगाया जा सकता है। फिलहाल इस मशीन का इस्तेमाल टेस्टिंग स्टेज में है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, तीन महीनों तक दर्जनों मरीजों पर आजमाए जाने के बाद मशीन का दूसरा ट्रायल शुरू होने वाला है। दावा है कि इन तीन महीनों के दौरान मशीन से करीब 20 लोगों में कोरोना वायरस का पता लगाने में कामयाबी मिली है। कोविड-19 बीमारी को डिटेक्ट करने का यह तरीका न सिर्फ पीसीआर मेथड से तेज है, बल्कि ज्यादा सुविधापूर्ण भी है। ल्योन के ला क्रोइक्स-रूसे हॉस्पिटल के नेशनल सेंटर फॉर साइंटिफिक रिसर्च के डायरेक्टर क्रिश्चन जॉर्ज का कहना है, 'इसका इस्तेमाल किसी आम ब्रेथलाइजर की तरह ही है। मशीन ट्यूब में छोड़ी गई सांस में मौजूद मॉलिक्यूल्स को रजिस्टर करती है और उसकी मदद से (कोविड-19) बीमारी का पता लगाती है।'
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वहीं, अस्पताल के आईसीयू विभाग के प्रमुख जीन-क्रिस्टोफ रिचर्ड का कहना है कि अस्पताल इस साल के अंत तक मशीन को पूरी तरह काम में लाने लायक बना देना चाहता है। मशीन को लेकर उनका कहना है, 'इस प्रकार के त्वरित परीक्षण का मतलब है कि हमें सीधे ही परिणाम मिल जाएंगे। इससे हमें मरीज को अस्पताल के उस एरिया में शिफ्ट करने में मदद मिलेगी, जहां उसे उस समय होना चाहिए। चूंकि अब हमारे पास (कोरोना वायरस के) कुछ कारगर उपाचर मौजूद हैं, इसलिए जितनी जल्दी (बीमारी की) पहचान होगी, उतनी जल्दी हम इलाज कर सकते हैं।'
लेकिन मशीन के इस्तेमाल को लेकर कुछ सीमाओं (लिमिटेशन) का भी पता चला है। मशीन की निर्माण टीम से अलग एक स्वतंत्र वायरस एक्सपर्ट ब्रूनो लीना कहती हैं कि ब्रेथलाइजर से कोरोना वायरस का पता लगाना सही दिशा में उठाया गया कदम है, लेकिन इस स्टेज में इसका इस्तेमाल काफी महंगा सौदा है, जिसके चलते अस्पतालों में इसका वितरण आसान नहीं है। फ्रांस के नेशनल एंटेरोवायरस एंड पेरेकोवायरस रेफ्रेंस सेंटर की प्रमुख ब्रूनो लीना का कहना है, 'अगर हमारा अनुमान सही साबित हुआ तो दूसरी या तीसरी जनरेशन की मशीनों की कीमत कम होगी और फिर संक्रमण के संकेतकों तक सीधे पहुंचा जा सकेगा।'
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