ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने टाटा समूह द्वारा विकसित किए गए कम लागत वाले क्रिस्प्र (क्लस्टर्ड रेग्युलर्ली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रोमिक रिपीट्स) कोविड-19 टेस्ट को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने की अनुमति दे दी है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडिस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने बीते सप्ताहांत यह जानकारी दी। क्रिस्प्र नामक जीन एडिटिंग तकनीक से तैयार किए गए इस टेस्ट का नाम 'फेलूदा' है, जिसे कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए कुछ महीने पहले तैयार किया गया था। भारत में ही बने इस टेस्ट को आखिरकार सरकारी नियामक एजेंसियों से कमर्शियल बाजार में उतारने की इजाजत मिल गई है।
इस बारे में बयान जारी करते हुए सीएसआईआर ने कहा है कि नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के जेनोमिक सीक्वेंस को डिटेक्ट करने के लिए फेलूदा टेस्ट में क्रिस्प्र तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। सीएसआईआर की मानें तो टाटा क्रिस्प्र टेस्ट की वायरस को डिटेक्ट करने की क्षमता आरटी-पीसीआर टेस्ट जितनी है, जिसे कोरोना वायरस की टेस्टिंग में 'गोल्डन स्टैंडर्ड' वाला परीक्षण माना जाता है। विज्ञान व तकनीकी मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसी ने यह भी बताया है कि टाटा क्रिस्प्र कोविड-19 टेस्ट को आरटी-पीसीआर टेस्ट की अपेक्षा ज्यादा जल्दी पूरा किया जा सकता है। इसमें लगने वाली लागत भी काफी कम है और इस्तेमाल भी ज्यादा आसान है। यहां बता दें कि टाटा ग्रुप ने जिस क्रिस्प्र तकनीक की मदद से यह टेस्ट तैयार किया है, उसे सीएसआईआर ने इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के साथ मिलकर विकसित किया है।
टेस्ट को कमर्शियली लॉन्च किए जाने की अनुमति देते हुए सीएसआई ने बयान में कहा, 'टाटा क्रिस्प्र टेस्ट फेलूदा को डीसीजीआई से व्यावसायिक रूप से लॉन्च किए जाने का अप्रूवल दे दिया गया है। यह मंजूरी आईसीएमआर द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस के मुताबिक दी गई है। इनके तहत नए कोरोना वायरस को डिटेक्ट करने के लिए टेस्ट की सेंसिटिविटी 96 प्रतिशत और स्पेसिफिटी 98 प्रतिशत है, जो आईसीएमआर के उच्च मानकों से मेल खाती हैं।' बयान में कहा गया है कि टाटा क्रिस्प्र दुनिया का ऐसा पहला डायग्नॉस्टिक टेस्ट है, जिसमें कोविड-19 महामारी की वजह बने वायरस को डिटेक्ट करने के लिए कैस9 प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है। यहां यह भी बता दें कि क्रिस्प्र भविष्य में और भी कई विषाणुओँ को डिटेक्ट करने के लिहाज से अभी से एक महत्वपूर्ण जीन एडिटिंग तकनीक मानी जा रही है।
वहीं, कोरोना वायरस के संबंध में इस तकनीक को इस्तेमाल करने को लेकर सीएसआईआर ने कहा है, 'टाटा ग्रुप ने उच्च गुणवत्ता का टेस्ट तैयार करने के लिए सीएसआईआर-आईजीआईबी और आईसीएमआर के साथ मिलकर काम किया है। यह टेस्ट कोविड-19 की तेज और किफायती टेस्टिंग में मदद करेगा। यह टेस्ट 'मेड इन इंडिया' का एक ऐसा उत्पाद जो सुरक्षित, विश्वसनीय, सस्ता और हर किसी की पहुंच में है।'
उधर, टेस्ट को मिले अप्रूवल पर टाटा मेडिकल एंड डायग्नॉस्टिक्स लिमिटेड के सीईओ गिरीश कृष्णमूर्ति ने कहा, 'टाटा क्रिस्प्र टेस्ट को अप्रूवल मिलने से इस वैश्विक महामारी के खिलाफ स्वदेशी प्रयासों को बल मिलेगा। टाटा क्रिस्प्र टेस्ट का व्यवसायीकरण शोध और विकास के मामले में देश की योग्यता दिखाता है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं और वैज्ञानिक शोध में भारत के योगदान की रूपरेखा बदलने में मदद मिल सकती है।'
क्या है फेलूदा?
यह कोविड-19 बीमारी की जांच के लिए भारत में तैयार किया गया एक पेपर स्ट्रिप आधारित टेस्ट है, जिसका नाम भारत के महान फिल्ममेकर सत्यजित राय द्वारा रचित जासूसी किरदार 'फेलूदा' के नाम पर रखा गया है। इसे बनाने वालों का दावा है कि बहुत सस्ती लागत में तैयार हुआ यह टेस्ट केवल एक घंटे के अंदर परिणाम देकर बता सकता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस है या नहीं।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 'फेलूदा' आरटी-पीसीआर और एंटीबॉडी टेस्ट से बिल्कुल अलग है। इसमें जीन एडिटिंग से जुड़ी आधुनिक तकनीक 'क्रिस्प्र-कैस9' का इस्तेमाल किया जाता है। यह तकनीक नए कोरोना वायरस के जेनोमिक सीक्वेंस को आईडेंटिफाई करने के काम आती है। फेलूदा टेस्ट न केवल अन्य टेस्टों की अपेक्षा ज्यादा जल्दी परिणाम दे सकता है, बल्कि यह ज्यादा किफायती और आत्मनिर्भर भी है। इसकी कीमत मात्र 500 रुपये है। साथ ही, अलग तकनीक के इस्तेमाल की वजह से फेलूदा को वायरस के आरएनए को अलग करने, डीएनए के रूपांतरण (कन्वर्जन) और विस्तारण (एंप्लिफिकेशन) के लिए महंगी पीसीआर मशीनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, जिनकी आपूर्ति अभी तक बहस का विषय बनी हुई है।
(और पढ़ें - कोविड-19: अनानास में ऐसा क्या है कि वैज्ञानिक इसे कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीवायरल एजेंट के रूप में देख रहे हैं? जानें)
फेलूदा की टेस्ट किट प्रेग्नेंसी का पता करने के लिए इस्तेमाल होने वाली किट की तरह होती है। इसमें दो पेपर स्ट्रिप होते हैं। इनका इस्तेमाल अन्य कोविड-19 टेस्टों की अपेक्षा ज्यादा आसान है। मई महीने में 'फेलूदा' के सामने आने के बाद यह बहस छिड़ गई थी कि क्या यह टेस्ट भारत में कोविड-19 की तेज और बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जरूरत को पूरा कर सकता है। व्यावहारिक रूप से ऐसा होगा या नहीं, यह अभी देखना बाकी है। लेकिन सरकार की तरफ से मिले अप्रूवल के बाद इसकी उम्मीद तो की ही जा सकती है।