महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में नए कोरोना वायरस से संक्रमित त्रैमासिक गर्भवती महिला का गर्भपात होने का मामला सामने आया है। इस मामले से जुड़ा अध्ययन मेडिकल क्षेत्र के शोधपत्र ऑनलाइन मुहैया कराने वाले प्लेटफॉर्म 'मेडआरकाइव' पर प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, नया कोरोना वायरस महिला के अम्बिलिकल कॉर्ड (नाभि रज्जु) और गर्भनाल (प्लेसेंटा) तक पहुंच गया था। आशंका जताई गई है कि इससे भ्रूण में सूजन आ गई थी, जिसके चलते वह मिसकैरेज हो गया है। यहां स्पष्ट कर दें कि इस अध्ययन की अभी तक किसी मेडिकल जर्नल ने समीक्षा करते हुए पुष्टि नहीं की है। हालांकि स्विट्जरलैंड में हुआ ऐसा ही एक अध्ययन जानी-मानी विज्ञान व मेडिकल पत्रिका जर्नल ऑफ अमेरिका मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित हो चुकी है।
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक शाखा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन रीप्रॉडक्टिव हेल्थ (एनआईआरआरएच) ने इस मामले में अपना रिसर्च पेपर सबमिट किया है। इसमें बताया गया है, 'हमारी जानकारी के मुताबिक, गले के स्वैब में क्लियरेंस मिलने के हफ्तों बाद भी किसी एक टिशू (ऊतक) में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के मिलने का यह पहला मामला है। वायरस ऊतक में न सिर्फ जीवित रहा, बल्कि गर्भनाल की कोशिकाओं में वह अपनी कॉपियां भी बना रहा था।'
इस केस से जुड़ी गर्भवती महिला एक अस्पताल में बतौर सिक्यॉरिटी गार्ड काम करती है। उसकी उम्र 20 साल से ज्यादा है। जब उसका कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया, उस समय वह दो महीने की गर्भवती थी। उसमें वायरस से जुड़े लक्षण नहीं थे। पांच हफ्तों बाद यानी जब वह अपनी प्रेग्नेंसी के 13वें हफ्ते में थी तो उसकी नाक से लिए गए नमूने नेगेटिव पाए गए थे। लेकिन 13वां हफ्ता बीतने के बाद महिला के नियमित अल्ट्रासाउंड टेस्ट में भ्रूण मृत पाया गाया। इसके बाद टेस्ट करने वाले ईएसआईएस अस्पताल ने एनआईआरआरएच से संपर्क कर मामले की जांच करने को कहा। अस्पताल की एथिक्स कमेटी ने महिला के कई परीक्षण कराने की मंजूरी दी।
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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनआईआरआरएच के प्लेसेंटा बायोलॉजिस्ट डॉ. दीपक मोदी ने कहा, 'हमने पहले कोविड-19 के लिए महिला की नाक के हिस्सों के टेस्ट किए जो कि नेगेटिव निकले। इसके बाद गर्भनाल, ऐमनियॉटिक फ्लूड और भूण की झिल्ली का टेस्ट किया। हमें यह जानकर हैरानी हुई के संक्रमण होने के पांच हफ्तों बाद भी वायरस प्लेसेंटा में अपनी कॉपियां बना रहा था।' रिपोर्ट के मुताबिक, महिला तीसरी बार प्रेग्नेंट हुई थी। डॉक्टरों को अंदेशा है कि इस बार कोविड-19 होने के चलते बच्चा वायरस के वर्टिकल ट्रांसमिशन की वजह से फेफड़ों में आई सूजन के चलते मारा गया।
गौरतलब है कि कुछ इसी तरह का मामला स्विटरजलैंड में भी सामने आया था। वहां कोविड-19 से ग्रस्त एक 28 वर्षीय महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया था। उस मामले की रिपोर्ट जेएएमए पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था कि महिला के अम्बिलिकल कॉर्ड और पेरिफेरल मार्जिन टेस्ट में उसके कोविड-19 से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई थी। रिपोर्ट में महिला के गर्भपात को सार्स-सीओवी-2 वायरस से प्लेसेंटा के संक्रमित होने से जोड़ा गया था और भ्रूण के मरने की कोई और वजह नहीं बताई गई थी। मुंबई में जो मामला सामने आया है, उसे भी यहां के डॉक्टर प्लेसेंटा में फैले संक्रमण से जोड़ कर देख रहे हैं।
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