भारत में कोरोना वायरस के वर्टिकल (या ट्रांसप्लेसेंटल) ट्रांसमिशन यानी मां से नवजात को वायरस ट्रांसमिट होने के पहले मामले की दस्तावेज आधारित पुष्टि हो गई है। खबरों के मुताबिक, पुणे स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) एंड सैसून जनरल हॉस्पिटल में ऐसा पहला मामला सामने आया है। बीजेएमसी ने अपनी रिपोर्ट में इसे कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के ट्रांसप्लेसेंटल ट्रांसमिशन यानी गर्भनाल से फैलने वाले संक्रमण का पहला प्रमाणित केस करार दिया है। उन्होंने बताया है कि अस्पताल में भर्ती एक गर्भवती महिला से उसके पेट में पल रहे बच्चे तक कोविड-19 बीमारी का संक्रमण पहुंच गया था। हालांकि इलाज के बाद अब बच्चे की हालत ठीक है।

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गौरतलब है कि वैश्विक रूप से अभी तक इस दावे को पूरी तरह स्वीकारा नहीं गया है कि कोविड-19 से ग्रस्त किसी गर्भवती महिला से उसके भ्रूण को भी कोरोना वायरस ट्रांसमिट हो सकता है। वैज्ञानिकों और मेडिकल विशेषज्ञों की राय इस बारे में बंटी हुई है। हालांकि बीते सात महीनों के दौरान ऐसे कुछ मामले सामने आकर जानकारों को हैरान करते रहे हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय मेडिकल पत्रिकाओं ने इन मामलों की रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीते अप्रैल के महीने में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान ने वर्टिकल ट्रांसमिशन से जुड़े साक्ष्यों को गंभीरता से लेते हुए इस बारे में गाइडलाइन जारी की थी। इसमें बताया गया था कि हालांकि ट्रांसप्लेसेंटल ट्रांसमिशन की पुष्टि होना बाकी है, लेकिन इस संबंध में सामने आ रहे नए साक्ष्य बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से प्रभावित एक गर्भवती महिला अपने अजन्मे बच्चे को वायरस इन्फेक्शन ट्रांसफर कर सकती है।

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चिकित्सा क्षेत्र के जानकारों के लिए वर्टिकल इन्फेक्शन कोई नया टर्म नहीं है। एचआईवी और जीका वायरस संक्रमण मां से बच्चे को भी मिल सकते हैं, यह जानकारी आम लोगों को भी है। लेकिन कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस संक्रमण के इस तरह फैलने को लेकर केवल संभावनाएं ही जताई जाती रही हैं, असल मामलों की संख्या न के बराबर है। लेकिन इन न के बराबर संख्या वाले केसों में से एक भारत में सामने आ गया है। बीजेएमसी एंड सैसून जनरल हॉस्पिटल के डीन डॉ. मुरलीधर तांबे ने बताया है कि मां से मिले संक्रमण से ग्रस्त बच्ची की हालत अब ठीक है। उसे तीन हफ्तों तक आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी, लेकिन अब वह पूरी तरह रिकवर हो चुकी है।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेएमसी में बाल चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. आरती किनिकर ने बताया कि इस मामले में उनकी रिपोर्ट को एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ने प्रकाशित करने के लिए सहमति जता दी है। डॉ. आरती ने बताया, 'अमेरिका स्थित एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द्वारा हमारे शोधपत्र को प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है। बीती रात को हमें उनका स्वीकृति पत्र प्राप्त हुआ।' डॉ. आरती ने यह भी कहा कि जन्म के समय कोरोना वायरस से संक्रमित बच्ची को बचाना चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि उसमें कोविड-19 बीमारी गंभीर रूप से विकसित हो गई थी। इसके चलते उसके सफल इलाज के लिए कई तरह के प्रयास करने पड़े। हालांकि डॉक्टर बच्ची को बचाने में कामयाब रहे।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: भारत में मां से नवजात को कोरोना वायरस ट्रांसमिट होने का पहला मामला सामने आया है

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