भारत में कोविड-19 बीमारी का सबसे बुरा प्रभाव यानी पीक गुजर गया है और आने वाले समय में कोरोना संक्रमण के मामले कम होंगे। कोरोना वायरस से संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट पैनल ने किसी गणितीय मॉडल के तहत यह बात कही है। गौरतलब है कि सितंबर महीने में देश में प्रतिदिन दर्ज होने वाले कोविड-19 मामलों की संख्या 97 हजार से भी ज्यादा हो गई थी, जो अब 60 हजार के आसपास देखने को मिल रही है। रविवार को 55 हजार से कुछ ही ज्यादा मामले सामने आए हैं। इन सबके बीच सरकार के पैनल ने कहा है कि देश कोविड-19 के पीक से निकल गया है और फरवरी के अंत तक सक्रिय मामलों की संख्या बिल्कुल कम हो जाएगी, जोकि इस समय सात लाख 72 हजार से कुछ ही ज्यादा है।
हालांकि यह दावे करते हुए पैनल ने ऐसी कोई विस्तृत व तकनीकी जानकारी नहीं दी, जिससे लगे कि फरवरी तक एक्टिव केसों की संख्या काफी कम हो जाएगी, वह भी ऐसे समय में जब नीति आयोग के सदस्य और कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. वीके पॉल खुद कह रहे हैं कि सर्दी में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने की काफी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
केंद्र सरकार के इस पैनल में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के सदस्य शामिल हैं। इन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सुरक्ष संबंधी उपायों का ठीक प्रकार से पालन किया जाए तो सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को अगले साल की शुरुआत तक नियंत्रण में लाया जा सकता है, जिससे एक्टिव मामलों की संख्या फरवरी के अंत तक न्यूनतम हो सकती है। इसके साथ ही, पैनल ने भारत में कोविड-19 से बीमार होने वाले अधिकतम लोगों की अनुमानित संख्या भी बताई है। उसने कहा है कि भारत में यह महामारी एक करोड़ पांच लाख लोगों तक पहुंच सकती है।
हालांकि, यह बात करते हुए पैनल यह भी कहता है कि आगामी त्योहारी सीजन और सर्दी के मौसम में कोरोना के संक्रमण मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ सकते हैं। लेकिन उसी के पैनल के हिसाब से देखें तो ये मामले 25 से 30 लाख से ज्यादा नहीं हो सकते, क्योंकि इनकी अधिकतम अनुमानित सीमा एक करोड़ पांच लाख बताई गई है, जो रविवार को ही 75 लाख तक पहुंच चुकी है।। जानकारों का कहना है कि पैनल की तरफ से दिए जा रहे बयानों में कई सवाल छिपे हैं, जिनके जवाब नहीं दिए गए हैं। सर्दी में वायरस ज्यादा मल्टीप्लाई होगा और त्योहार में भीड़भाड़ वाला माहौल बनेगा, जिससे संक्रमण कम समय में ज्यादा लोगों और दूर तक ट्रांसमिट हो सकता है। ऐसे में पैनल का एक तरह से यह कहना कि फरवरी के अंत तक सब ठीक हो जाएगा, कई विशेषज्ञों को शंका में डाल रहा है।