विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 को लेकर दो बड़ी जानकारियां दी हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोविड-19 एक अन्य जानलेवा संक्रामक रोग स्वाइन फ्लू से कम से कम दस गुना ज्यादा जानलेवा है। सोमवार को जेनेवा स्थित मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने यह जानकारी दी। उन्होंने सभी देशों की सरकारों से कहा कि वे कोरोना वायरस को रोकने के लिए अपने यहां लगाए गए लॉकडाउन पर से नियंत्रण ना खोएं और कोविड-19 से निपटने के लिए अन्य सख्त कदम उठाएं।
खबर के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, 'हम जानते हैं कि कोविड-19 बहुत तेजी से फैलती है और हम जानते हैं कि यह जानलेवा है। 2009 की (स्वाइन) फ्लू महामारी से दस गुना ज्यादा जानलेवा है। यह महामारी एक स्वास्थ्य संकट से कहीं ज्यादा है।'
टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसुस ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए यूरोप में नए मामलों में कमी देखी गई है। वहीं, अमेरिका में भी लॉकडाउन हटाने की चर्चा गर्म है। ऐसे में डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने चेतावनी के रूप में कहा है कि इस बीमारी के चलते लगाई गई रोकों को हटाने का फैसला कोविड-19 को फिर से जिंदा कर सकता है। टेड्रोस ने कहा, 'बीते हफ्ते हमने देखा कि सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश स्पेन, इटली, जर्मनी और फ्रांस में कुछ सुधार हुए। कुछ देश पहले से घरों में रहने से जुड़े आदेश हटाने की योजना बना रहे हैं। हम बता दें कि ऐसा करना (इस बीमारी के) एक जानलेवा पुनरुत्थान की वजह बन सकता है।'
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बहरहाल, डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 के इलाज से जुड़े प्रयासों को लेकर भी जानकारी साझा की। उसने कहा कि इस बीमारी के इलाज की खोज में इस समय पूरी दुनिया में 70 से ज्यादा वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से तीन वैक्सीन ऐसी हैं, जिन्हें इन्सानों पर आजमाया जा रहा है। खबरों के मुताबिक, इन वैक्सीनों की सूची में सबसे आगे हांगकांग स्थित कैनसीनो बायोलॉजिक्स और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नॉलजी द्वारा बनाई गई वैक्सीन है। बताया गया है कि इन्सानों पर आजमाई जा रही यह दवा दूसरे चरण के परीक्षण से गुजर रही है। इसके बाद अमेरिका की ड्रग मेकिंग कंपनी मोडेर्ना और इनोवायो फार्मास्यूटिकल्स द्वारा तैयार की गई दो वैक्सीनों का भी इन्सानी परीक्षण किया जा रहा है।
कोविड-19 की काट निकालने के दुनिया की कई छोटी बड़ी फार्मा कंपनियां लगी हुई हैं। डब्ल्यूएचो के दस्तावेजों के मुताबिक, पीफाइजर और सनोफी जैसी दवा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा विकसित वैक्सीन कैंडिडेट भी ट्रायल से गुजर रही हैं। रिपोर्टों की मानें तो कोविड-19 की वैक्सीन के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। दवा क्षेत्र की कंपनियों की कोशिश है कि कोविड-19 की वैक्सीन को एक साल के अंदर बाजार में लाया जाए। हालांकि यह आसान नहीं है, क्योंकि आमतौर पर इस प्रक्रिया में 10 से 15 साल तक लग जाते हैं। ऐसे में केवल एक साल में दवा बना कर बाजार में लाना बड़ी चुनौती है।
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