कोविड-19 और फ्लू के बीच निम्न अंतर हैं, जिनके आधार पर दोनों की पहचान की जा सकती है।
लक्षण : कोविड-19 में भी फ़्लू जैसे कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। हालांकि, दोनों स्थितियों के बीच अंतर हैं। कोविड-19 में सांस लेने में कठिनाई आना सबसे सामान्य संकेत है, लेकिन यह समस्या सामान्य फ्लू में कम होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वास्थ्य और पर्यावरण के कैनसस विभाग ने कोविड-19 और फ्लू के बीच निम्न लक्षणों को संदर्भित किया है। इस चार्ट के आधार पर इसे समझा जा सकता है।
लक्षण |
कोविड-19 |
सामान्य फ्लू |
खांसी |
आम है |
आम है, लेकिन कई बार यह अधिक गंभीर हो सकती है। |
गले में खराश |
कम आशंका |
सामन्य है |
बहती नाक |
कम आशंका |
कुछ ही मामलों में |
डायरिया |
कम आशंका |
कभी-कभी बच्चों में ही होता है |
थकान |
कम आशंका |
सामान्य समस्या है |
सिरदर्द |
कम आशंका |
तेज दर्द सामान्य है |
बदन दर्द |
कम आशंका |
सामान्य और कई मामलों में तेज दर्द |
बुखार |
100 डिग्री सेल्सियस तक |
100 से 102 डिग्री सेल्सियस तक, 3 से 4 दिन |
छींक |
बहुत कम मामलों में |
सामान्य |
सांस लेने में तकलीफ |
गंभीर संक्रमण में |
बहुत कम मामलो में |
वायरस के संपर्क में आने के बाद कोविड-19 के लक्षण दिखने में लगभग 14 दिन तक लग सकते हैं। दूसरी ओर इन्फ्लूएंजा के लक्षण तेजी से दिखने शुरू होते हैं। वायरस के संपर्क में आने के एक से चार दिनों के भीतर ही आप समझ सकते हैं कि आप फ्लू से संक्रमित हो चुके हैं।
वायरस का संचार
कोविड-19 की तुलना में इन्फ्लुएंजा वायरस के संचरण की गति बहुत अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार फ्लू में 3 दिनों के भीतर या अधिकतम 5 से 6 दिनों में ही लक्षण स्पष्ट दिखने लगते हैं।
इतना ही नहीं लक्षण दिखने से पहले ही फ्लू का मरीज दूसरे व्यक्ति को वायरस से संक्रमित कर सकता है। वहीं कोविड-19 के रोगी लक्षण दिखने से एक या दो दिन पहले वायरस का संक्रमण दूसरों में फैला सकते हैं। कोविड-19 के 80 फीसदी संक्रमण छूने से संपर्क में आते हैं। ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय में किए गए एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कोविड-19 के हर 10 में से 1 मामला ऐसा होता है, जो ऐसे लोगों से प्रसार में आता है, जिनमें कोई भी लक्षण नहीं दिख रहे होते हैं।
जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अनुसार, इन्फ्लूएंजा के लगभग 50 प्रतिशत मामलों में लक्षण नजर नहीं आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उस व्यक्ति में पिछले इंफेक्शन से भी कुछ हद तक प्रतिरोधक क्षमता (पार्शियल इम्यूनिटी) थी। इसका मतलब यह हुआ कि उस व्यक्ति में गंभीर और घातक संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता है, लेकिन इसके बावजूद उसे बीमारी हो सकती है। ऐसे जिन लोगों में बीमारी के लक्षण नहीं दिखते वे भी वायरस के संवाहक होते हैं, लेकिन जिनमें लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं उनसे काफी कम।
प्रजनन क्षमता या संख्या की बात करें तो इन्फ्लूएंजा महामारी के लिए आरओ (प्रजनन संख्या) 1.80 (1.47 से 2.27 के बीच) होती, जबकि कोविड-19 के मामले में आरओ 1.5 से 3.5 के बीच होती है।
किसी बीमारी की प्रजनन संख्या आरओ से पता चलता है कि एक संक्रमित से दूसरे कितने लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इसी संख्या के आधार पर महामारी की संभावित तीव्रता का निर्धारण किया जाता है।
किन लोगों में ज्यादा खतरा है
डब्ल्यूएचओ के अनुसार इन्फ्लूएंजा वायरस का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों में होता है और इन्ही से वायरस के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। वहीं दूसरी ओर कोविड-19 के मामलों में देखा जाए तो बच्चो में इसका असर कम होता है या आम तौर पर लक्षण नजर नहीं आते हैं।
चीन से प्राप्त रिपोर्ट से पता चलता है कि वयस्कों से ही बच्चों में कोविड-19 के मामले देखने को मिल रहे हैं। कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा दोनों ही बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और उन लोगों को अपना अधिक शिकार बनाते हैं, जिनकी प्रतिरोधी क्षमता अच्छी नहीं होती है।
गंभीर समस्या और मृत्यु दर
कोविड-19 के केवल 5 फीसदी मामले ही गंभीर और जानलेवा होते हैं। हालांकि, यह दर इन्फ्लूएंजा की तुलना में तब भी बहुत अधिक है। कोविड-19 की मृत्यु दर लगभग 3 से 4 फीसदी के करीब है, जबकि आम फ्लू या इन्फ्लूएंजा में यह दर बहुत ही कम करीब 0.1 फीसदी है। यहां इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि यह दर उम्र, स्वास्थ्य और उपचार सहित कई अन्य कारकों द्वारा निर्धारित की जाती है।
टीका और उपचार
कोविड-19 एक नई बीमारी के रूप में सामने आया है, इस पर अध्ययन और शोध भी कम हुए हैं ऐसे में अब तक इसके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। संक्रमित लोगों को सेल्फ क्वारंटाइन की सलाह दी जाती है। संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए एंटीपीयरेटिक्स जैसी दवाइयां दी जाती हैं। वहीं गंभीर मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी और एंटीवायरल दवाओं के माध्यम से संक्रमण पर नियंत्रण पाने का प्रयास किया जाता है। अस्पताल में मरीजों की लगातार निगरानी की जाती है।
वहीं इन्फ्लुएंजा के टीके प्रतिवर्ष लक्षणों को देखते हुए तैयार किए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को फ्लू का मौसम शुरू होने से पहले हर साल इसकी गोली लेनी चाहिए।
एंटीवायरल के साथ एंटीफायरेटिक्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं के माध्यम से फ्लू पर नियंत्रण पाया जाता है। कोविड-19 और फ्लू दोनों ही स्थितियों में, रोगी को आराम करने और अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी जाती है।