शोधकर्ताओं ने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के एक नए स्ट्रेन का पता लगाया है, जो इसी वायरस के पहले रूपों (स्ट्रेन) से ज्यादा संक्रामक है, लेकिन गंभीर रूप से बीमार करने के मामले में तुलनात्मक रूप से कम खतरनाक है। वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित शोधपत्र उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म 'बायोआरकाइव' पर बीते मई महीने में प्रकाशित हुए एक शोध में बताया गया था कि सार्स-सीओवी-2 का नया वैरिएंट तेजी से फैलने की क्षमता रखता है।

अब इसी शोध से जुड़े अन्य तथ्यों को खंगालने के बाद वैज्ञानिकों ने नई जानकारी सामने रखी है, जिसके मुताबिक, सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस में आए इस म्युटेशन या बदलाव का नाम है 'डी614जी'। इसे ऐसे समझें कि वायरस के नए वैरिएंट 'डी614' से पहले का वैरिएंट 'जी614' था। यानी जी614 में बदलाव आने के बाद डी614 सार्स-सीओवी-2 वजूद में आया।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, विषाणु में आए इस बदलाव के चलते इसके स्पाइक प्रोटीन के अमीनो एसिड में परिवर्तन देखा गया है, जिसकी वजह से वायरस अपने अन्य वैरिएंट्स के मुकाबले ज्यादा संक्रामक हो गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, डी614जी कोरोना वायरस ही चीन से यूरोप पहुंचा था, जो काफी तेजी से पूरी दुनिया में फैल रहा है। मई के महीने में यह वैरिएंट दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुके कोरोना वायरस के अन्य वैरिएंट्स में सबसे आगे था। हालांकि, मानव कोशिकाओं को सबसे तेजी से संक्रमित करने की क्षमता के बावजूद, यह मरीजों को ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नहीं करता।

(और पढ़ें - कोविड-19: 'हेपारिन' दवा के दाम में 50 फीसदी की बढ़ोतरी, कोरोना वायरस के इलाज से जुड़े प्रोटोकॉल में है शामिल, जानें क्या हैं इस फैसले के मायने)

न्यू मैक्सिको स्थित लॉस अलामोस नेशनल लैबोरेटरी, नॉर्थ कैरोलाइना स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी और यूनाइटेड किंगड के एक रिसर्च ग्रुप कोरोना वायरस डिसीज (कोविड-19) के वैज्ञानिकों ने वायरस के वंशाणु समूह (जीनोम) का विश्लेषण किया है। इसमें उन्होंने पाया है कि वायरस में तेजी से फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है, लेकिन यह गंभीर रूप से बीमार करने के मामले उतना खतरनाक नहीं है। वायरस के डी614जी वैरिएंट से संक्रमित हुए लोगों में वायरल लोड ज्यादा हो सकता है, लेकिन उनके गंभीर रूप से बीमार होने की संभावना कम है।

हालांकि यह बात जानने में अच्छी जरूर लग सकती है, लेकिन है नहीं। शोधकर्ताओं की मानें तो वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने में लगे वैज्ञानिकों के लिए यह जानकारी नई मुश्किल खड़ी कर सकती है, क्योंकि वैक्सीन बनाते हुए उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह मूल वायरस स्ट्रेन और उसके वैरिएंट दोनों से सुरक्षा देने में सक्षम हो।

(और पढ़ें - कोविड-19: लोगों का मानसिक स्वास्थ्य हो रहा प्रभावित, दक्षिण एशिया को लेकर डब्ल्यूएचओ की चेतावनी, अमेरिका में 90 प्रतिशत लोग भावनात्मक रूप से दुखी)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: चीन से यूरोप में फैले कोरोना वायरस की संक्रामक क्षमता ज्यादा, लेकिन गंभीर रूप से बीमार करने की क्षमता कम है

ऐप पर पढ़ें