भारत में कोरोना वायरस के रीइन्फेक्शन से जुडे एक मामले की पुष्टि होने का दावा किया गया है। खबर है कि बेंगलुरू में एक 27 वर्षीय महिला दूसरी बार सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस की चपेट में आई है। यहां के एक निजी अस्पताल ने कहा है कि यह महिला एक महीना पहले कोविड-19 से रिकवर हुई थी। लेकिन अब वह दूसरी बार वायरस की चपेट में आई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बेंगलुरू स्थित फोर्टिस अस्पताल ने महिला के रीइन्फेक्ट होने की पुष्टि की है। यहां के डॉक्टरों ने इसे बेंगलुरू में कोविड-19 रीइन्फेक्शन का पहला मामला बताया है। हालांकि मीडिया रिपोर्टों की मानें तो यह भारत में कोविड-19 रीइन्फेक्शन का पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले दिल्ली और पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हांगकांग, यूरोप और अमेरिका में कोरोना वायरस से दो बार संक्रमित हुए लोगों की पहचान की जा चुकी है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फोर्टिस अस्पताल के संक्रामक रोग विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित महिला को पहले से कोई अन्य बीमारी नहीं है। वह पहले जुलाई महीने में कोरोना वायरस की चपेट में आई थी। उस समय उसमें बुखार और खांसी के हल्के लक्षण देखने को मिले थे। उस समय वह बीमारी से आसानी और अच्छे से उबर गई थी। इलाज करने वाली टीम ने टेस्ट में महिला को नेगेटिव पाए जाने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी थी।
फोर्टिस अस्पताल में संक्रामक रोगों से जुड़े विशेषज्ञ और सलाहकार डॉ. प्रतीक पाटिल ने बताया कि पहली बार संक्रमित होने के बाद महिला को 24 जुलाई को डिस्चार्ज कर दिया गया था। उन्होंने कहा, 'हालांकि करीब एक महीने बाद, अगस्त के आखिरी हफ्ते में उसमें (फिर कोरोना संक्रमण के) हल्के लक्षण दिखे और वह टेस्ट में पॉजिटिव निकली। यह संभावित रूप से बेंगलुरू में कोविड-19 रीइन्फेक्शन का पहला मामला है।' डॉ. प्रतीक ने आगे बताया, 'आमतौर पर संक्रमण होने के दो-तीन हफ्तों बाद इम्यूनोग्लोबुलिन जी (आईजीजी) एंटीबॉडी का टेस्ट पॉजिटिव निकलता है। लेकिन इस मरीज के मामले में एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव निकला है। इसक मतलब है कि संक्रमण होने के बाद उसमें इम्यूनिटी पैदा नहीं हुई थी।'
हालांकि एंटीबॉडी पर बात करते हुए डॉ. प्रतीक मरीज को लेकर दूसरा पक्ष भी रखते हैं। उन्होंने कहा है, 'एक दूसरी संभावना यह है कि (महिला के) आईजीजी एंटीबॉडीज एक महीने के अंदर लुप्त हो गए होंगे, जिसकी वजह से वह रीइन्फेक्शन के प्रति संवेदनशील हो गई। दूसरी बार संक्रमण होने का मतलब है कि ऐसे लोगों में एंटीबॉडी या तो पैदा नहीं हुए या पैदा होने के बाद लंबे वक्त तक बने नहीं रह सके। इससे वायरस को शरीर में घुसकर बीमारी की वजह बनने को मौका मिल गया।'
हालांकि कोरोना रीइन्फेक्शन को लेकर मेडिकल विशेषज्ञों की यह भी राय रही है कि यह पहले संक्रमण की अपेक्षा कम गंभीर होता है। कुछ ऐसी ही बात पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के महामारी विशेषज्ञ और प्रोफेसर डॉ. गिरिधर बाबू भी कहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, '(कर्नाटक में) 3.8 लाख केसों की पुष्टि के बाद इस तरह का यह पहला मामला है। आगे भी यह (रीइन्फेक्शन) इसी तरह दुर्लभ बना रहेगा। अच्छी बात यह है कि दूसरा संक्रमण पहले इन्फेक्शन की अपेक्षा कम गंभीर होता है।'
(और पढ़ें - भारत में अब जो चाहे कोविड-19 टेस्ट करा सकता है, आईसीएमआर ने गाइडलाइन जारी कर कहा)
अखबार की मानें तो बेंगलुरू में सामने आया यह मामला भारत में कोरोना रीइन्फेक्शन का पहला केस नहीं है। उसने बताया है कि जुलाई महीने में दिल्ली में एक 50 वर्षीय पुलिसकर्मी में कोरोना वायरस का संक्रमण दोबारा देखने को मिला था। यह पुलिसकर्मी पहले मई महीने में सार्स-सीओवी-2 की चपेट में आया था। उस समय उसमें वायरस के लक्षण नहीं दिखे थे। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के इस मामले के दो दिन बाद पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी और उत्तरी बंगाल में भी रीइन्फेक्शन के मामले सामने आए थे। कुछ अन्य मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में लोग कोरोना वायरस से दो बार संक्रमित हो चुके हैं।