नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 थायराइड जैसे महत्वपूर्ण अंग को भी प्रभावित कर सकता है। इटली के डॉक्टरों ने कोविड-19 के मरीजों के ब्लड टेस्ट के आधार पर यह अंदेशा जताया है। दरअसल, मार्च महीने में जब इटली में कोविड-19 महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों को शिकार बनाना शुरू किया तो डॉक्टरों को कुछ कोरोना मरीजों के थायराइड में समस्या दिखाई दी। इटली के मिलान शहर स्थित एक अस्पताल में कोरोना वायरस के संक्रमितों की जांच के दौरान उनके शरीर में थायराइड की समस्या के कारण हार्मोन का लेवल बढ़ने का पता चला। मामले सामने आने के बाद मरीजों का ब्लड टेस्ट किया गया, जिनके परिणामों की तुलना पिछले साल आईसीयू में भर्ती हुए (गैर कोरोना) मरीजों के ब्लड नमूनों से की गई।
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डॉक्टरों ने मार्च और अप्रैल महीने के दौरान अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होने वाले 85 कोविड मरीजों की जांच की। ब्लड टेस्ट से पता चला कि उनमें से 13 में थायरोटॉक्सिकोसिस की समस्या पैदा हो गई थी। इस कंडीशन में ब्लड में थायराइड हार्मोन का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसा तब होता है कि जब किसी कारणवश थायराइड क्षतिग्रस्त हो जाता है। इससे रिजर्व में रखे हार्मोन असामान्य रूप से बड़ी संख्या में रिलीज होने लगते हैं। डॉक्टरों ने देखा कि पिछले साल मार्च-अप्रैल में ही आईसीयू में भर्ती हुए 78 नॉन-कोविड-मरीजों में से केवल एक में यह समस्या देखने को मिली थी। वहीं, इस साल आईसीयू में भर्ती हुए 85 कोरोना संक्रमितों में से 15 प्रतिशत में यह समस्या देखने को मिली है।
लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनॉजी पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने अंदेशा जताया है कि कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों को थायरोइडाइटिस की समस्या हो सकती है। इस कंडीशन में थायराइड में सूजन हो जाती है, जो अंत में थायरोटोक्सिकोसिस का रूप ले लेती है। वायरल थायरोइडाइटिस को सबएक्यूट थायरोइडाइटिस भी कहा जाता है। डॉक्टरों को इस समस्या के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कि यह आखिर किस तरह के वायरसों के चलते सामने आती है। हालांकि कुछ शोधकर्ताओं ने पारिस्थितिक साक्ष्यों के आधार पर इसे इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस से जोड़ा है। मिलान स्थित डॉक्टरों का कहना है कि कई तरह के वायरस थायराइट को प्रभावित कर सकते हैं तो सार्स-सीओवी-2 भी कर सकता है।
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इन डॉक्टरों ने यह भी बताया कि फेफड़ों और शरीर के बाकी अंगों की तरह थायराइड में एसीई2 रिसेप्टर होता है, जिसका इस्तेमाल नया कोरोना वायरस कोशिकाओं में घुसने के लिए करता है। उनका मानना है कि चूंकि थायराइड में भी इस प्रोटीन रिसेप्टर की मौजूदगी होती है, इसलिए कोविड-19 के गंभीर मामलों में यह वायरस थायराइड में घुसपैठ कर सकता है। हल्के मरीजों में इसकी संभावना काफी कम है। यह उल्लेखनीय है कि कोविड-19 और थायराइड की समस्या का यह संबंध पहले प्रकाशित हो चुके एक अन्य अध्ययन में सामने आ चुका है। गौरतलब है कि जुलाई में प्रकाशित एक अध्ययन में इटली के डॉक्टरों ने बताया था कि कैसे करीब 300 कोविड-19 मरीजों में से 20 प्रतिशत में थायरोटोक्सिकोसिस की समस्या देखने को मिली थी। ऐसा उन मरीजों में ज्यादा देखा गया, जिनके अंगों में वायरस के संक्रमण के चलते सिस्टमैटिक सूजन देखने को मिली थी।