नए कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलते हुए तीन महीने पूरे हो चुके हैं। बीते साल 30 दिसंबर को चीन में सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पहले मरीज की पुष्टि हुई थी। इन तीन महीनों में कोरोना वायरस चीन से निकल कर पूरी दुनिया में फैल चुका है। इस दौरान सात लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि करीब 35,000 लोगों की मौत हो गई है। इस बीच, शोध के स्तर पर सबसे अधिक विकसित देश इस नए वायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने में लगे हुए हैं। इसके चलते कई जानकारियां सामने आई हैं। लेकिन कई बुनियादी और जरूरी सवाल अभी भी लोगों को परेशान किए हुए हैं। अगर आपको इन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं, तो हम आपको बताते हैं।

सार्स-सीओवी-2 कैसे फैलता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के खांसते या छींकते वक्त नाक और मुंह से निकलने वाली छोटी बूंदों के माध्यम से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। कोरोना वायरस अलग-अलग सतहों पर कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बना रह सकता है। इसलिए सीधे मरीज के सीधे संपर्क में आने के अलावा कोई व्यक्ति ऐसी चीज को छूने से भी संक्रमित हो सकता है, जिसे उससे पहले किसी संक्रमित व्यक्ति ने छुआ है। इसके अलावा, कुछ शोध यह भी बताते हैं कि संक्रमित व्यक्ति के मल में वायरस मौजूद हो सकता है। लेकिन इसके जरिये वह फैल सकता है या नहीं, इसे लेकर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं।

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कितने लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई दिए?
दुनिया भर में कोरोना वायरस से जुड़े अब तक लाखों मामले सामने आ चुके हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इनमें से 80 प्रतिशत संक्रमित लोग ऐसे हैं, जिनमें केवल हल्के लक्षण दिखाई दिए, जबकि कुछ को पता ही नहीं था कि वे बीमार हैं। चीन से लेकर यूरोप और अमेरिका में ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिनमें कोरोना वायरस मौजूद था, लेकिन उसके संक्रमण के लक्षण उनमें दिखाई नहीं दिए। इस आधार पर कुछ जानकारों ने कहा है कि नया कोरोना वायरस जांच में चकमा देता है। यह एक बड़ी वजह है कि इसे रोकना बड़ी चुनौती बन गया है।

क्या संक्रमित युवाओं के मरने की आशंका कम है?
नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 युवाओं के लिए कम घातक है या नहीं और वह इससे कितने सुरक्षित हैं इस पर अभी तक शोध जारी है। यह तथ्य है कि बुजुर्गों की अपेक्षा युवा इससे कम संक्रमित हुए हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि वे संक्रमित नहीं हो सकते और इस कारण उनकी मौत नहीं हो सकती। दुनियाभर में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें कोविड-19 से उन लोगों की भी जान गई है, जिनकी उम्र 50 वर्ष या उससे कम थी। बता दें कि भारत में भी 38 और 45 वर्ष के दो व्यक्तियों की कोरोना वायरस से मरने की पुष्टि हो चुकी है।

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क्या लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं?
यह एक अहम सवाल है कि क्या कोई ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है। कुछ अध्ययनओं के जरिये शोधकर्ताओं ने इसकी आशंका जताई है। चीन में ऐसे मामलों की पुष्टि भी हुई है। मतलब एक व्यक्ति ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित हो सकता है। दरअसल, अध्ययनों में यह संभावना सामने आई है कि ठीक होने के बाद मरीज पर किए जाने वाले टेस्ट में संक्रमण का पता न चले, जबकि वायरस उसके शरीर में कहीं न कहीं मौजूद हो।

कोविड-19 से जुड़ी वैक्सीन कब तक तैयारी होगी?
इस सवाल का जवाब आज हर कोई जानना चाहता है। इस समय सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 की कोई वैक्सीन तैयार नहीं है, इसलिए वर्तमान में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को सांस से जुड़ी समस्या के आधार पर अलग-अलग उपचार दिया जा रहा है। फिलहाल दुनिया भर की कई सरकारें और वैज्ञानिक संस्थाएं वैक्सीन बनाने पर काम कर रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इससे जुड़ा टीका विकसित होने में एक साल या उससे भी अधिक समय लग सकता है।

जानकार इसकी एक बड़ी वजह बताते हैं। उनके मुताबिक, नया कोरोना वायरस शरीर पर हमला करने की अपनी क्षमता में लगातार बदलाव कर रहा है। सार्स-सीओवी-2 के अस्तित्व में आने के बाद वैज्ञानिकों ने शुरुआत में इसमें होने वाले कुछ छोटे परिवर्तनों की पुष्टि भी की थी। यह भी एक बड़ी वजह है कि वैक्सीन को बनाने में ज्यादा वक्त लग रहा है।

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क्या गर्म जगहों पर कोरोना वायरस कम फैलता है?
कुछ विशेषज्ञों ने यह संभावना जताई थी कि गर्मी की शुरुआत स्वाभाविक रूप से वायरस को धीमा कर देगी। लेकिन 'यूरोपीय सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल' ने बीते बुधवार को कहा कि इसकी संभावना कम है। डब्ल्यूएचओ ने भी यह कहा है कि वायरस गर्म और आर्द्र जलवायु सहित सभी प्रकार के वातावरण में फैल सकता है। भारत और अमेरिका के भी कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि नए कोरोना वायरस की क्षमता के बारे में पूरी-पूरी जानकारी नहीं है, लिहाजा ऐसे सबूत नहीं है जिनके आधार पर कहा जा सके कि यह विषाणु गर्मी में खत्म हो जाएगा। यानी अभी यह कहना गलत होगा कि अधिक तापमान वाली जगहों पर वायरस का असर कम होगा या वहां कोरोना वायरस के फैलने की गति धमी होगी।

महामारी आखिर कब तक चलेगी?
इस सवाल का जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। जानकार बताते हैं कि कोरोना को खत्म करने लिए इसके फैलाव से जुड़े फैक्टर यानी लोगों की उस चैन को तोड़ना होगा जिससे यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है। चीन ने ऐसा करके दिखाया है। हालांकि वायरस के पूरी तरह खत्म होने का दावा वहां अभी भी नहीं किया जा रहा। यानी यह तो पुख्ता तौर पर कहा जा सकता है कि महामारी के खत्म होने की शुरुआत इसकी दवा या वैक्सीन बनने के बाद ही होगी।

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