चीन में हुए एक अध्ययन की मानें तो कोविड-19 महामारी की वजह बना कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 संभवतः मानव कोशिकाओं के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल प्रोसेसिंग सिस्टम की मदद से पूरे शरीर में फैलता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए वायरस हमारे सेल्स के कॉलेस्ट्रॉल प्रोसेसिंग सिस्टम को हाईजैक करने का काम करता है। हालांकि उसके इस प्रयास को एक रिसेप्टर की मदद से विफल किया जा सकता है। चीन की अकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज के वैज्ञानिकों ने इस नई जानकारी का पता लगाया है, जो कोविड-19 का इलाज ढूंढने में लगी कोशिशों को नया विकल्प देती है, जिससे बीमारी के खिलाफ सक्षम थेरेपी तैयार की जा सके। यह जानकारी अध्ययन समेत मेडिकल पत्रिका नेचर मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुई है।
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं को कोविड-19 और कोलेस्ट्रॉल मेटाबॉलिज्म के बीच मॉलिक्यूलर कनेक्शन का पता चला है। कोशिकाएं के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल प्रोसेसिंग सिस्टम को टार्गेट करने के लिए सार्स-सीओवी-2 वायरस ह्यूमन सेल्स पर पाए जाने वाले एक रिसेप्टर से चिपक जाता है। यह रिसेप्टर एचडीएल कोलेस्ट्रॉल से बंधा होता है, जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल भी कहते हैं। लैब आधारित अध्ययन में जब वैज्ञानिकों ने इस कोलेस्ट्रॉल रिसेप्टर को सेल्स में ही ब्लॉक कर दिया तो वायरस उनसे चिपकने में विफल रहा। इस आधार पर कहा गया है कि यह कोविड-19 के ट्रीटमेंट के लिए नए टार्गेट पैदा करने का काम कर सकता है। हालांकि ये परिणाम काफी शुरुआती स्टेज के शोधकार्य से जुड़े हैं, जिन पर अभी और काम करने की जरूरत है।
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यह अब अधिकतर लोग जानते हैं कि मानव कोशिकाओं में घुसने के लिए सार्स-सीओवी-2 एसीई2 रिसेप्टर प्रोटीन की मदद लेता है। इसकी सतह पर वायरस का स्पाइक प्रोटीन चिपक जाता है और उसके जरिये सेल्स में प्रवेश कर जाता है। अब नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक और रिसेप्टर की भूमिका को रेखांकित किया है। एचडीएल स्कैवेंजर रिसेप्टर बी टाइप 1 (एसआर-बी1) नामक यह रिसोप्टर कई ऊतकों में पाया जाता है। मानव फेफड़ों की कोशिकाएं में भी यह रिसेप्टर बहुतायत में मौजूदा रहता है, जो सामान्यतः हाई-डेन्सिटी वाले लीपोप्रोटीन से बंधा होता है। अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस का स्पाइक प्रोटीन कोलेस्ट्रॉल को बांध लेता है। एसआर-बी1 तथा एचडीएल मिलकर इसमें वायरस की मदद करते हैं। इस तरह कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन एसीई2 बहुलता वाली कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं।
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यानी अगर एसआर-बी1 और एचडीएल से मिल रही मदद को ब्लॉक कर दिया जाए तो वायरस को ह्यूमन सेल्स में घुसने से रोका जा सकता है। यह जानने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या एसआर-बी1 से बने एक विशेष फार्मालॉजिकल एंटेगॉनिस्ट के साथ-साथ एचडीएल की मध्यस्थता की मदद ली गई। यह प्रयोग कामयाब रहा, क्योंकि जब एसआर-बी1 एंटेगॉनिस्ट या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के साथ एचडीएल की अधिकता से स्पाइक प्रोटीन को ब्लॉक करने की कोशिश की गई तो परिणामस्वरूप वायरल इन्फेक्शन डिटेक्ट नहीं हुआ। इससे निष्कर्ष निकाला गया है कि कोविड-19 और कोलेस्ट्रॉल के बीच मॉलिक्यूलर कनेक्शन है और अगर एसआर-बी1 रिसेप्टर को टार्गेट करने वाले ड्रग्स का इस्तेमाल किया जाए तो सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है।