जर्मनी में कोविड-19 को लेकर हुए कुछ नए अध्ययनों में यह पाया गया है कि यह बीमारी रिकवर हो चुके मरीजों को हृदय से जुड़ी समस्याएं दे सकती है, भले ही वे गंभीर रूप से इसकी चपेट न आए हों। खबरों के मुताबिक, एक अध्ययन में कोविड-19 से उबरे सौ लोगों के कार्डियक एमआरआई लिए गए थे। इनकी तुलना ऐसे सौ अन्य मरीजों से की गई थी, जो कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे। अध्ययन में शामिल इन मरीजों की औसत उम्र 49 वर्ष थी और दो-तिहाई घरों में रहते हुए ही कोविड-19 से उबर गए थे। लेकिन दो महीनों के बाद उनमें हृदय संबंधी समस्याएं दिखने की संभावनाएं दूसरे समूह यानी नॉन-कॉविड मरीजों की अपेक्षा ज्यादा दिखने लगीं।
अध्ययन में पता चला कि सौ में से 78 के हृदय के आकार में बदलाव आ गए थे और 76 में कार्डियक इन्जरी के संकेत मिलने के सबूत मिले थे, जैसा कि आमतौर पर हार्ट अटैक के बाद देखने मिलता है। इसके अलावा, 60 मरीजों के दिल में सूजन होने के संकेत मिले थे। अध्ययन में शामिल शोधकर्ता वैलंटीना पंटमैन ने बताया कि जांच में दिलचस्प बात यह निकल कर आई कि इनमें से ज्यादातर मरीज कोविड-19 के खतरे के लिहाज से युवा आयु के थे और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित नहीं थे, दिल की बीमारी से तो बिल्कुल नहीं।
वहीं, एक अन्य स्टडी में कोरोना वायरस के संक्रमण से मारे गए 39 मरीजों के पोस्टमॉर्टम से जुड़ी जानकारियों का विश्लेषण किया गया था। इसमें पता चला कि 85 वर्ष की औसत आयु वाले इन मरीजों में से 24 के हृदय में सार्स-सीओवी-2 वायरस बड़ी मात्रा में पाया गया था। इस पर अध्ययन में शामिल शोधकर्ता और जर्मनी के हैमबर्ग स्थित यूनिवर्सिटी हर्ट एंड वस्क्युलर सेंटर के हृदय रोग विशेषज्ञ डर्क वेस्टरमैन ने कहा, 'हमने गंभीर रूप से संक्रमित होने वाले मरीजों (मृतकों) के हृदय में वायरल रेप्लिकेशन के संकेत देखे हैं। (कोविड-19 की वजह से) वंशाणुओं में इस तरह के बदलाव होने के दीर्घकालिक परिणामों को लेकर अभी जानकारी नहीं है। लेकिन मैं अन्य बीमारियों के हवाले से कह सकता हूं कि हृदय में सूजन का स्तर बढ़ना निश्चित ही अच्छा नहीं है।'
इन दोनों अध्ययनों को एक साथ प्रकाशित करते हुए जामा कार्डियॉलजी पत्रिका ने कहा है कि कोविड-19 कई मरीजों में हर्ट फेलियर या दीर्घकालिक हृदय रोग का संकेत दे सकती है या दिल की पंपिंग की क्षमता को गिरा सकती है। पत्रिका के मुताबिक, फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि कोरोना वायरस से हृदय को होने वाले ये नुकसान अस्थायी हैं या स्थायी, लेकिन विशेषज्ञ इन्हें लेकर चिंतित हैं।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत से यह माना जाता रहा है कि दिल से जुड़ी बीमारियों (जैसे ब्लड प्रेशर) से पीड़ित लोगों के लिए यह संक्रामक रोग ज्यादा खतरनाक है और उनकी मौत का कारण बन सकती है। अमेरिका स्थित माउंट सिनाई अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ मैथ्यू टॉमे का कहना है कि हो सकता है कोविड-19 के मरीजों में हृदय रोग की समस्याएं धीरे-धीरे लक्षण पैदा करने वाले पैटर्न के तहत सामने आ रहे हों। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसे कई मरीजों में कमजोरी के लक्षण देखे हैं जो, मार्च या अप्रैल में कोरोना वायरस की चपेट में आए थे। वहीं, बॉस्टन स्थित ब्रिगम एंड विमन्स हॉस्पिटल के कार्डियॉलजिस्ट मार्क फेफर का कहना है, 'हम जानते हैं कि यह वायरस दिल को नहीं छोड़ता। हमें अभी ऐसे और मरीज देखने को मिलने वाले हैं। मेरे विचार में इसकी दीर्घकालिक कीमत चुकानी होगी।'