कोविड-19 महामारी ने भारत के लगभग हर राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी है लेकिन नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के कारण सबसे अधिक प्रभावित राज्यों की सूची में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। भारत सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में 12 लाख 24 हजार से ज्यादा लोग अब तक कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं जबकि 33 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है। बावजूद इसके महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में मृतकों की संख्या के मामले में थोड़ा सुधार हुआ है।
एक महीने में आधी हुई कोविड-19 मृत्यु दर- बीएमसी
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुंबई शहर की कोविड-19 मृत्यु दर पिछले 30 दिनों में घटकर 2.2% पर आ गई है जो एक महीने पहले 4.85 प्रतिशत थी। भारत में कोविड-19 से होने वाली राष्ट्रीय मृत्यु दर 1.63% है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के प्रमुख आई एस चहल ने बताया कि कोरोना के पॉजिटिव मामलों में वृद्धि के बावजूद 20 अगस्त से 20 सितंबर के बीच कोविड-19 से होने वाली मौत के आंकड़ों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। हालांकि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या जो अगस्त में प्रतिदिन 1200 के आसपास थी वह सिंतबर में बढ़कर प्रतिदिन 2 हजार हो गई, लेकिन इसकी तुलना में मृतकों का आंकड़ा नहीं बढ़ा है जो कि एक राहत की बात है। बीएमसी प्रमुख चहल ने इसके लिए सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 से होने वाली मौतों की वीकली मॉनिटरिंग (साप्ताहिक निगरानी) को वजह बताया।
चहल के मुताबिक “पिछले 31 दिनों में बीएमसी के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में औसत कोविड मृत्यु दर घटकर 2.2% हो गई है वहीं शहर के सभी कोविड अस्पतालों में यह मृत्यु दर 5.4% से कम होकर 4.6% हो गई है।” आंकड़ों की मानें तो पिछले 30 दिनों में मुंबई शहर में कोरोना संक्रमण से जुड़े 53 हजार 976 मामले सामने आए जबकि 1201 मौतें हुईं तो वहीं 20 जुलाई से 20 अगस्त के बीच मुंबई में कोविड-19 का मृत्यु दर 4.85 प्रतिशत था।
शहर में मृत्यु दर घटने के पीछे कई फैक्टर
मुंबई शहर के आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 से होने वाली औसतन दैनिक मौतें 40-50 तक गिर गई हैं।गंभीर रूप से बीमार मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर (इन्टेन्सिविस्ट) और स्टेट कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. राहुल पंडित का कहना है कि मौतों में गिरावट के लिए कई कारकों का अहम योगदान रहा है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण कारक इलाज के प्रोटोकॉल का मानकीकरण और गंभीर रूप से बीमार मरीजों का पहले ही पता लगा लेने की डॉक्टरों की क्षमता है। डॉ. राहुल इसके लिए चिकित्सकों को धन्यवाद देते हैं कहते हैं उन्हें पता है कि कब मरीज को रेमडेसिविर देना है, कब स्टेरॉयड, कब ऑक्सीजन स्पोर्ट और कब बाकी के बचाव कार्यों को शुरू करना है। इसके अलावा, महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के एक समान प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।
सिविक डैशबोर्ड के अनुसार, शहर में अभी 27 हजार 664 सक्रिय मामले हैं जिसमें से 1300 से अधिक रोगी गंभीर हैं जबकि 7 हजार 966 रोगी असिम्प्टोमैटिक। बीएमसी प्रमुख चहल ने बताया “पहले जहां औसतन रोजाना 1 हजार मामले सामने आ रहे थे वहीं टेस्टिंग बढ़ने के कारण अब रोजाना औसतन 2 हजार मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि रविवार के आंकड़ों की मानें तो अब भी हमारे पास 4 हजार 777 कोविड बेड 271 आईसीयू बेड खाली थे।
मुंबई में किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल (केईएम) के पूर्व डीन और कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर का साप्ताहिक विश्लेषण करने वाले डॉ. अविनाश सुपे बताते हैं कि मौतों के मामले में गिरावट की वजह समुदाय में बढ़ती जागरूकता भी है। साथ ही बीमारी के शुरुआती दिनों में ही बेहतर देखभाल से भी स्थिति में बदलाव आया है। डॉ पंडित ने निष्कर्ष निकाला कि 7-8 दिनों की देरी जो पहले देखी जा रही थी उसमें भी अब काफी कमी आयी है।